गोल्ड कंपनी ने 14 बैंकों से 824.15 करोड़ रुपए का किया फ्रॉड
पंजाब नेशनल बैंक से नीरव मोदी के घोटाले का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि एक और घोटाला सामने आ गया है। इस बार यह घोटाला देश की जानी-मानी गोल्ड कंपनी कनिष्क की ओर से आया है। आपको बता दें कि भारतीय स्टेट बैंक ने ज्वेलरी चेन कनिष्क गोल्ड प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 824.15 करोड़ के लोन फ्रॉड को लेकर सीबीआई से जांच की मांग की है।
चेन्नई की है गोल्ड कंपनी
बता दें कि कनिष्क का रजिस्टर्ड ऑफिस चेन्नई में है। इसके मालि और प्रमोटर डायरेक्टर भूपेश कुमार जैन और उनकी पत्नी नीता जैन हैं। इस मामले में बैंक के लोगों का कहना है कि वे अभी तक कनिष्क के मालिक से संपर्क नहीं कर पाए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि वे अभी मॉरिशस में हैं। सीबीआई ने अभी तक इस पर FIR भी दर्ज नहीं की है।
एसबीआई ने सबसे ज्यादा दिया था कर्ज
कनिष्क गोल्ड ज्वेलर्स को जिन 14 सरकारी और प्राइवेट बैंकों ने लोन दिया है उनमें एसबीआई सबसे आगे है। 25 जनवरी 2018 को लिखे लेटर में एसबीआई ने कनिष्क पर रिकॉर्ड्स में फेरबदल और रातोंरात दुकान बंद करने का आरोप लगाया है। इस फ्रॉड में मूलधन तो 824 करोड़ रुपए का है, लेकिन ब्याज को भी जोड़ लें तो बैंकों को 1 हजार करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है। इस बारे में SBI ने सबसे पहले 11 नवंबर 2017 में आरबीआई को जानकारी दी थी। तो वहीं दूसरे बैंकों ने जनवरी तक इस बारे में बताया है।
मार्च 2017 से शुरु किया घपला
इस मामले में एसबीआई का कहना है कि कनिष्क जूलर ने सबसे पहले मार्च 2017 में ब्याज भुगतान में 8 सदस्य बैंकों से डिफॉल्ट किया, और अप्रैल 2017 तक कनिष्क ने सभी 14 बैंकों को पेमेंट रोक दी। 5 अप्रैल 2017 को स्टॉक ऑडिट की शुरुआत के समय बैंकर्स प्रमोटर से संपर्क करने में असफल रहे।
2007 से बकाया है लोन
25 मई 2017 को जब बैंकर्स ने कनिष्क के कॉर्पोरेट ऑफिस का दौरा किया जो फैक्ट्री और शोरूम बंद था। एसबीआई के लेटर से पता चलता है कि कनष्कि पर लोन 2007 से ही बकाया है। समय बीतने के साथ बैंकों ने कनिष्क के लिए क्रेडिट लिमिट और वर्किंग कैपिटल लोन की लिमिट बढ़ा दी है।