भारत-ईरान समझौता, चा-बहार पोर्ट की देख-रेख का मिला जिम्मा
भारत और ईरान के बीच शनिवार को आतंकवाद और उग्रवाद को रोकने तथा इसे धर्म से जोड़कर न देखने का संकल्प लिया तथा आतंकवाद के पनाहगाहों पर रोक लगाने पर सहमति जताई। दोनों देशों ने 9 समझौतों पर हस्ताक्षर कर अपने संबंधों को नई मजबूती दी, जिसमें रणनीतिक चाबाहार बंदरगाह से संबंधिक कनेक्टिविटी भी शामिल है।
दोनों देशों के बीच 9 समझौते हुए
दोनों देशों के बीच संबंधों की मजबूती को दर्शाते हुए भारत के दौरे पर आए ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अलग से और प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत की और उसके बाद कहा कि ईरान और भारत के बीच सामरिक सहयोग के निर्माण के लिए ऊर्जा और परिवहन क्षेत्र में व्यापक संभावनाएं हैं।अपने अतिथि के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में अपनी टिप्पणी में मोदी ने दोनों देशों के बीच सूफी संबंधों और आतंकवाद से निपटने के लिए दृढ़ निश्चय के बारे में बात की।
आतंकवाद, ड्रग्स और साइबर अपराध रोकने पर बनी सहमति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "भारत और ईरान, दोनों देशों के लोग शांति और सहिष्णुता में विश्वास करते हैं, जो सूफी दर्शन का मूल्य है। हमारे पारस्परिक लाभों को ध्यान में रखते हुए, हम दोनों आतंकवाद, उग्रवाद, अवैध नशीले पदार्थों की तस्करी, साइबर अपराध और अन्य अंतर्राष्ट्रीय अपराधों को रोकने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
मित्र देशों के साथ सहयोग के लिए ईरान तैयार
रूहानी ने आतंकवाद को न केवल पूरे क्षेत्र के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक समस्या बताते हुए कहा, "हमें आतंकवाद की जड़ों से लड़ना चाहिए, जो चरमवाद, हिंसक विचारों को बढ़ावा देने से बौद्धिक और सांस्कृतिक रूप में पनप रही हैं, और हम इस लड़ाई में भारत सहित सभी मित्र देशों के साथ सहयोग करने को तैयार हैं।"
सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता के लिए बनी सहमति
बातचीत के बाद जारी एक संयुक्त वक्तव्य में दोनों नेताओं ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषदों के बीच बढ़ती बातचीत का स्वागत किया और आतंकवाद, सुरक्षा और संगठित अपराध, धन-शोधन, नशीले पदार्थो की तस्करी और साइबर अपराध जैसे मुद्दों पर नियमित और संस्थागत परामर्श को बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।
चा बहार के विकास के लिए पीएम मोदी की तारीफ
मोदी ने रूहानी को अपने नेतृत्व में ईरान में चाबाहार बंदरगाह के 'गोल्डेन गेटवे' का विकास करने के लिए बधाई दी, जिससे चारों तरफ से विभिन्न देशों की सीमा से घिरे अफगानिस्तान का मध्य एशियाई देशों से संपर्क बढ़ेगा। रूहानी ने कहा कि भारत का अफगानिस्तान, मध्य एशिया और पूर्वी यूरोप से जोड़ने में चाबहार बंदरगाह, दोनों देशों और पूरे क्षेत्र के बीच ऐतिहासिक संबंधों को और मजबूती प्रदान करेगा।