पकौड़ा बेच कर खड़ी की देश की सबसे बड़ी कंपनी, नाम है...
आज पूरे देश में पकौड़े पर बहस जारी है। संसद से लेकर पकौड़े की दुकान तक बस 'पकौड़ा ही पकौड़ा' है। पकौड़े पर बहस पीएम मोदी के एक बयान के बाद शुरु हुई जहां पीएम ने एक निजी चैनल को इंटरव्यू देते हुए कहा था कि पकौड़ा बेचना भी एक रोजगार है। इसी का बाद पूरी बहस शुरु हुई है। पर शायद ही कुछ लोगों को पता होगा कि देश की सबसे बड़ी कंपनी को जिस व्यक्ति ने खड़ा किया था उन्होंने अपने स्वरोजगार की शुरुआत पकौड़े बेचकर की थी।
15 हजार रुपए में रखी थी रिलायंस की नींव
रिलायंस आज देश की सबसे बड़ी कंपनी है। इस कंपनी की नींव धीरू भाई अंबानी ने सिर्फ 15 हजार रुपए में रखी थी। पर कंपनी खोलने से पहले तक वह कई तरह के छोट-मोटे बिजनेस और नौकरी कर चुके थे।
पकौड़े बेचकर कमाए पैसे
धीरू भाई अंबानी का जन्म 28 दिसंबर 1932 में गुजरात के जूनागढ़ में हुआ था। धीरू भाई का पूरा नाम धीरजलाल हीरालाल अंबानी है। शुरुआत के दिनों में वह गिरनार की पहाड़ी पर स्थित तीर्थ यात्रियों को पकौड़े बेचकर पैसे कमाते थे। बाद में वह 16 साल की उम्र में यमन चले गए।
यमन जाकर किया काम
यमन में एक तेल कंपनी में वह 300 रुपए के वेतन पर काम करते थे पर वहां उनका मन नहीं लगता था। उन्हें हमेशा से अपना व्यापार शुरु करने का मन था। इसी दौरान धीरू भाई बेस्सी एंड कंपनी और शेल के उत्पादन के वितरक बन गए और अदन के बंदरगाह पर एक कंपनी के फिलिंग स्टेशन के प्रबंधन के लिए उन्हें प्रमोशन भी मिला।
1958 में भारत वापस आ गए
इसी बीच धीरूभाई अंबानी का विवाह कोकिलाबेन के साथ हो गया। धीरूभाई के दो बेटे मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी और दो बेटियां नीना कोठारी, दीप्ती साल्गावकर हैं। 1958 में धीरूभाई भारत वापस आ गए और 15 हजार रुपए की पूंजी से रिलायंस की शुरुआत की।
जोखिम लेने से नहीं डरते थे धीरूभाई अंबानी
धीरुभाई कॉटन के कपड़ों के अलावा सिल्क और पॉलिएस्टर के कपड़ों का भी व्यापार शुरु किया। वह जोखिम लेने से नहीं डरते थे, इसी कारण उनके सहयोगी चंपक लाल दीमानी धीरुभाई से अलग हो गए। 1960 तक धीरूभाई अंबानी की कुल धनराशि 10 लाख रुपए आंकी गई थी।
1966 में अहमदाबाद में शुरु की कपड़ा मिल
कपड़ा उद्योग में मिली सफलता से धीरूभाई अंबानी उत्साहित थे। 1966 में उन्होंने अहमदाबाद के नैरोड़ा में कपड़ा मिल की शुरुआत की। धीरुभाई ने विमल ब्रांड की शुरुआत की जो उनके बड़े भाई रमणिकलाल अंबानी के बेटे विमल अंबानी के नाम पर रखा गया था।
विश्वबैंक ने की थी तारीफ
1975 में विश्वबैंक की एक तकनीकी कमेटी ने रिलांयस टैक्सटाइल्स की इकाई का दौरा किया और अपनी रिपोर्ट में लिखा कि रिलायंस टेक्सटाइल्स के मानक विकसित देशों के मानकों से भी ज्यादा उत्कृष्ट थे।
1977 में रिलायंस का IPO शुरु किया
धीरुभाई अंबानी को भारत में इक्विटी कल्ट यानि समान्य शेयर शुरु करने श्रेय दिया जाता है। भारत के विभिन्न भागों से 58 हजार से ज्यादा निवेशकों ने 1977 में रिलायंस के आईपीओ को खरीदा। धीरुभाई ने गुजरात के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को आश्वस्त किया कि उनकी कंपनी का शेयर धारक होने से उन्हे सिर्फ लाभ ही मिलेगा।
लाइसेंस राज के खिलाफ लड़ाई लड़ी
धीरुभाई अंबानी को देश में लाइसेंस राज के खिलाफ लड़ने वाला उद्योगपति बताया जाता है। उन्होंने अपनी कंपनी रिलायंस को सार्वजनकि क्षेत्र की कंपनी बना दिया और 30 लाख निवेशकों से जोड़ दिया। 2007 तक धीरुभाई अंबानी की संयुक्त धनराशि 100 अरब डॉलर आंकी गई थी जिसने उस वक्त अंबानी परिवार को दुनिया का सबसे धनी परिवार बना दिया था।
निधन
6 जुलाई 2002 के दिन धीरुभाई अंबानी को एक अटैक आया और उन्होंने 11.50 बजे इस दुनिया में आखिरी सांस ली। उनके निधन के बाद देश भर के व्यापारी, नेता, विभिन्न क्षेत्रों की बड़ी हस्तियां और लाखों लोग आखिरी यात्रा में शामिल हुए।
2007 में 15 हजार की कंपनी बनी 75 हजार अरब रुपए की कंपनी
धीरूभाई ने 15000 रुपए से रिलायंस की नींव रखी थी और जब वह इस दुनिया को छोड़कर गए तो रिलायंस की संपत्ति 75 हजार करोड़ रुपए यानि कि 15 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई थी। यहां से ये सीख मिलती है कि बड़े लक्ष्यों को पूरा करने के लिए पहले छोटे-छोटे कदम आगे बढ़ाने पड़ते हैं तभी सफलता मिलती है। धीरुभाई ने पकौड़े बेचने से अपने व्यापार की शुरुआत की थी और वह देश के सबसे बड़े उद्योगपति के तौर पर इस दुनिया को अलविदा कह गए।