ग्रेच्युटी लिमिट 20 लाख रुपए करने का बिल लोकसभा में पेश
प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए ग्रैच्युटी लिमिट बढ़ाने और अधिक मैटरनिटी लीव देने के लिए सरकार ने लोकसभा में बिल पेश किया है। इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिर्पोट के अनुसार प्राइवेट सेक्टर में ग्रेच्युटी लिमिट सरकारी कर्मचारियों की तरह बढ़ाकर 20 लाख रुपए होने की उम्मीद है। आपको बता दें कि श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने सोमवार को पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी अमेंडमेंट बिल, 2017 सदन में पेश किया है।
मैटरनिटी लीव बढ़ाने का भी प्रस्ताव
पेमेंट ऑफ ग्रैच्युटी एक्ट 1972, फैक्ट्रियों, माइंस, ऑइलफील्ड, प्लांटेशन, पोर्ट, रेलवे कंपनियों, दुकानों या अन्य प्रतिष्ठानों में नौकरी करने वाले कर्मचारियों के लिए लागू किया गया था। यह 10 या अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठान में कम से कम पांच वर्षों की नौकरी पूरी करने वाले कर्मचारियों पर लागू है। इसके अलावा मैटरनिटी बेनिफिट ऐक्ट 2017 के जरिए मैटरिनिटी लीव को 12 सप्ताह से बढ़ाकर अधिकतम 26 सप्ताह किया जाएगा।
10 लाख थी 2010 में
ग्रेच्युटी की रकम नौकरी के प्रत्येक वर्ष के लिए 15 दिन के वेतन के आधार पर तय की जाती है। इसकी अधिकतम सीमा अभी 10 लाख रुपए है जो 2010 में तय की गई थी। केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए सातवां वेतन आयोग लागू होने के बाद ग्रेच्युटी की सीमा 10 लाख रुपए से बढ़कर 20 लाख रुपए की गई है।
प्राइवेट सेक्टर के लिए भी जरुरी
सरकार ने कहा है कि इन्फ्लेशन और वेतन में बढ़ोत्तरी के मद्देनजर सरकारी कर्मचारियों के साथ ही प्राइवेट सेक्टर से जुड़े कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी की सीमा बढ़ाने की जरुरत है। इसके लिए एक्ट में संशोधन करने के बजाय केंद्र सरकार को अधिकार देने का प्रपोजल भी दिया गया है। इससे वेतन और इन्फ्लेशन में बढ़ोत्तरी और भविष्य के वेतन आयोगों को ध्यान में रखकर ग्रैच्युटी की लिमिट बढ़ाई जा सकेगी।
रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सुरक्षा देने का लक्ष्य
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी बिल को संसद में पेश करने के लिए 12 सितंबर को हरी झंडी दी थी। इससे प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए भी ग्रेच्युटी लिमिट बढ़ाकर 20 लाख रुपए किया जाएगा। इस कानून का मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सुरक्षा उपलब्ध कराना है।