'GST की दर 18% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए'
पश्चिम बंगाल ने शनिवार को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की अधिकतम दर, केवल तंबाकू और लक्जरी उत्पादों को छोड़कर, सभी वस्तुओं के लिए 18 फीसदी करने की मांग की है, जो वर्तमान में 28 फीसदी है। पश्चिम बंगाल के वित्तमंत्री अमित मित्रा ने यहां मीडिया से कहा कि जीएसटी को जल्दबाजी में लागू किया गया, जिससे केंद्र और राज्यों को मिलाकर कुल एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
तकनीकि गड़बड़ियों से रिटर्न दाखिल करने में दिक्कत
एक आयोजन में मित्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा केंद्र को तैयारियों को लेकर जीएसटी के खिलाफ बार-बार चेताए जाने के बावजूद उन्होंने नया कर शासन लागू किया और अब व्यापारी ढेरों तकनीकी गड़बड़ियों के कारण रिटर्न दाखिला करने में नाकाम हैं।
केंद्र और राज्य को हुआ नुकसान
मित्रा ने कहा, "हमने केंद्र सरकार से एक जुलाई, 2017 से जीएसटी लागू करने से मना किया था।" मित्रा ने कहा, "मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि पिछले तीन महीनों में केंद्र सरकार को करीब 65,000 करोड़ रुपये का तो राज्य सरकारों को करीब 30,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।"
एक लाख करोड़ का नुकसान
उन्होंने कहा कि पिछले तीन महीनों में करीब एक लाख करोड़ रुपये का 'अपेक्षित संरक्षित निधि' का नुकसान हुआ है। मंत्री ने कहा कि सितंबर में करीब 30 फीसदी करदाता रिटर्न दाखिल नहीं कर पाए थे, जो अक्टूबर में बढ़कर 40 फीसदी हो गया।
छोटे व्यापारी नहीं दाखिल कर पा रहे हैं रिटर्न
मित्रा ने कहा कि स्थिति काफी गंभीर है "एक संभावित कारण तो यह है कि छोटे व्यापारी अपना रिटर्न दाखिल नहीं कर पा रहे हैं, अगर वे रिटर्न दाखिल नहीं कर पा रहे हैं, तो कर में कमी आएगी।" मित्रा ने यह भी कहा कि वस्तुओं और सेवाओं पर कर की दरें निर्धारित करने का एक सिद्धांत होना चाहिए "ना कि चुन-चुन कर इसे लॉबिंग के आधार पर निर्धारित किया जाए।"