सभी को ज्यादा पेंशन देने से EPFO ने किया इंकार
ईपीएफओ ने छूट वाली कंपनियों के कर्मचारियों को पूरे वेतन पर पेंशन देने से इंकार कर दिया है। आपको बता दें कि जिन कंपनियों के कर्मचारियों का फंड प्राइवेट ट्रस्ट द्वारा मैनेज किया जाता है उन्हें छूट वाली कंपनियां कहा जाता है और जिन कंपनियों का फंड ईपीएफओ मैनेज करता है उन्हें बगैर छूट वाली कंपनी कहा जाता है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद किया था बदलाव
सुप्रीम कोर्ट के 4 अक्टूबर 2016 को दिए गए फैसले के बावजूद एंप्लाई प्रॉविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (EPFO) ने छूट वाली कंपनियों को पूरे वेतन पर पेंशन देने से इंकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ईपीएफओ इस बात पर राजी हो गया था कि एंप्लॉयी पेंशन स्कीम के सदस्यों को पूरे वेतन पर पेंशन देगा। इसमें EPFO ने इस बात का जिक्र नहीं किया था कि ये सभी तरह की कंपनियां होंगी या सिर्फ बगैर छूट वाली कंपनियां, लेकिन बाद में ईपीएफओ ने बगैर छूट वाली कंपनियों के कर्मचारियों को ही यह अवसर देने का फैसला लिया।
इतना लेता है अंश
वर्तमान में ईपीएफओ 15,000 रुपए वेतन की सीमा के साथ ईपीएस में 8.33% योगदान ही स्वीकार करता है। पेंशन भी 15 हजार रुपए प्रति माह के वेतन पर ही दी जाती है। यह सीमा पहले 6,500 रुपए थी। यदि पूरे वेतन पर ईपीएस में योगदान स्वीकार किया जाता है तो रिटायरमेंट के बाद पेंशन भी पूरे वेतन पर ही देनी होगी। पूरे वेतन पर दी जाने वाली पेंशन 15 हजार रुपए की सीमा वाली पेंशन से कई गुना ज्यादा होगी।
इसलिए किया इंकार
फिलहाल ईपीएफओ ने पूरे वेतन पर योदगान स्वीकार नहीं करने की बात कही है। इसके पीछे ईपीएफओ ने दलील दी है कि एंप्लॉई और एंप्लॉयर्स को तय सीमा से ज्यादा वेतन पर योगदान की जानकारी फैसले के 6 महीने के भीतर देनी चाहिए थी। जबकि SC ने EPFO की 6 महीने वाली दलील को मनमाना बताते हुए इसे खत्म करने का निर्देश दिया था। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट में केस जीतने वाले 12 लोगों में 2 छूट वाली कंपनियों से आते हैं।
इस मुद्दे पर आज होगी बैठक
अब ईपीएफओ का कहना है कि जिन कर्मचारियों का ईपीएफ ईपीएफओ के पास आता है, पीएफ बॉडी उनके ईपीएफ खातों में अतिरिक्त रकम जमा करा देगी, लेकिन प्राइवेट ट्रस्ट से ईपीएफ अकाउंट में पैसा ट्रांसफर नहीं किया जाएगा। इस मुद्दे पर आज सीबीडीटी की बैठक होगी।