मोदी सरकार का 1 लाख करोड़ का सोशल सेक्योरिटी प्लान
मोदी सरकार ने देश के गरीबों के लिए 1 लाख करोड़ रुपए का सोशल सेक्योरिटी प्लान ड्राफ्ट किया है। इसके तहत करीब 20 फीसदी गरीब आबादी को यूनिवर्सल सोशल सेक्योरिटी कवरेज दिया जाएगा। मनी भास्कर की रिर्पोट के अनुसार खास बात यह है कि सरकार की इस महत्वाकांक्षी स्कीम को सभी इंडिविजुअल के लिए प्लान किया गया है।
3 कैटेगरी में बांटी जाएगी योजना
यह प्रपोजल लेबर मिनिस्ट्री के द्वारा तैयार किया गया है। इस प्रपोजल के हिसाब से इस योजना को तीन कैटेगरी में बनाने का प्लान है। इसमें सबसे गरीब 20 फीसदी आबादी शामिल होगी, जिसका पूरा खर्च सरकार उठाएगी। इसके अलावा सैलरी क्लास और फॉर्मल सेक्टर वर्कर्स के लिए भी यह योजना होगी। इन दोनों स्थितियों मं इंडिविजुअल को अपनी इनकम का फिक्स हिस्सा योजना में लगाना होगा।
सोशल सेक्योरिटी कोड का ही हिस्सा
यह नई पॉलिसी सोशल सेक्योरिटी कोड का ही हिस्सा होगी। यह उन चार कोड में शामिल होगा जिन्हें लेबर मिनिस्ट्री अंतिम रुप दे रही है। जो कि देश में मौजूद 17 सरकारी सोशल सेक्योरिटी कानूनों की जगह लेंगे।
जल्द ही वित्त मंत्रालय के पास जाएगी रिर्पोट
लेबर मिनिस्ट्री इस प्रपोजल की समीक्षा और फंडिंग के लिए जल्द ही फाइनेंस मिनिस्ट्री को भेजेगी। लेबर मिनिस्ट्री इसे एक अनिवार्य स्कीम के रुप में अगले साल शुरु करना चाहती है। ऐसे में यह आम चुनाव से पहले सरकार के लिए एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है।
दो स्तर की होगी योजना
श्रम मंत्रालय के प्रपोजल के अनुसार यह योजना दो स्तर की होगी। मनी भास्कर ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि पहले स्तर में अनिवार्य पेंशन (डेथ एंड डिसएबिलिटी) और मैटरनिटी कवरेज है। दूसरे में ऑप्शनल मेडिकल, बीमारी और बेरोजगारी कवरेज शामिल है।
सरकार के लिए चैलेंजिंग होगी फंडिंग
यूनिवर्सल सोशल सेक्योरिटी स्कीम के तहत फंड अलग-अलग तरह से कलेक्ट किया जाएगा। इसे सब-स्कीम और रिंगफेन्स्ड में डिवाइड किया गया है। आप्शनल एलीमेंट अनिवार्य स्कीम के तहत कलेक्ट किए गए फंड पर निर्भर करेगा। हालांकि, इस स्कीम के लिए फंडिंग सरकार के लिए चैलेंज होगी, क्योंकि वह अपने फिस्कल डेफिसिटी के टारगेट को लेकर सख्त है।
1 लाख करोड़ तक का होगा खर्च
श्रम मंत्रालय के अनुसार इस योजना के तहत गरीबों को कवरेज देने में 1 लाख करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। गरीबों की पहचान सोशो एंड कॉस्ट सेंशन 4 के तहत की जाएगी, जो कि देश की आबादी का करीब 20 फीसदी है।