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पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम पर चुप क्यों हैं सरकार !

By Ashutosh
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तेल के दाम हर रोज बढ़ रहे हैं, पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ने से जहां आम आदमी परेशान है वहीं सरकार की तरफ से इसे लेकर बेहद ठंडी प्रतिक्रिया आ रही है। विपक्ष लगातार सरकार को तेल के बढ़ते दाम को लेकर घेर रहा है वहीं सरकार इसे एक प्रक्रिया बता बता रही है और हर बयान में तेल के दाम घटाने की बातें कह रही है। पेट्रोलियम मंत्री से लेकर वित्तमंत्री तक ने तेल के दाम घटाने की बात कही है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है।

क्या कहना है सरकार का

क्या कहना है सरकार का

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तेल की कीमतों को जीएसटी के अंतरगत लाने की अपील की और ये विश्वास भी दिलाया कि जल्द ही जीएसटी काउंसिल इसे लेकर कोई रचनात्मक फैसला ले सकती है। वहीं वित्तमंत्री ने कांग्रेस शासित राज्यों पर टिप्पणी की और कहा कि वह अपने यहां राज्यों में वैट घटाकर जनता का बोझ थोड़ा काम कर सकते हैं। अब जरा मुद्दे पर आइए और सोचिए कि आखिर अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतें 50 डॉलर से भी कम होने पर देश में तेल के दाम क्यों बढ़ रहे हैं, इसके पीछे कुछ बड़े कारण हैं जिन्हें समझना जरूरी है।

अंतरराष्ट्रीय दबाव

अंतरराष्ट्रीय दबाव

भारत सरकार पर तेल की कीमतें बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव नहीं है बल्कि दबाव है कि भारत कार्बन उत्सर्नज कम करे और अपने यहां प्रदूषण को घटाए ताकि भविष्य में होने वाली ग्लोबल वार्मिंग की चुनौती से निपटा जा सके।

पेरिस जलवायु सम्मेलन

पेरिस जलवायु सम्मेलन

पेरिस जलवायु सम्मेलन में भारत ने आगे बढ़ कर कार्बन उत्सर्जन को कम करने और शुद्ध ऊर्जा यानि कि क्लीन एनर्जी को बढ़ावा देने की भी बात कही थी। इसके अलावा भारत ने सोलर एलांयस बनाने का भी प्रस्ताव रखा था जिसे लेकर तमाम देश गंभीरता दिखा रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम ने भारत पर दबाव बढ़ा दिया है, अब यदि भारत में गाड़ियों के बढ़ते प्रदूषण का असर बढ़ता है तो अंतरराष्ट्रीय मीडिया और तमाम देशों को भारत पर उंगली उठाने का मौका मिल जाएगा।

फ्रांस की चुनौती

फ्रांस की चुनौती

पेरिस में हुए जलवायु सम्मेलन के बाद अब फ्रांस ने नया प्रण लिया है। फ्रांस में 2040 तक फ्यूल से चलने वाली गाड़ियों को बंद करने का निर्णय गया और सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों को चलाने का लक्ष्य रखा गया है। इस दिशा में फ्रांस ने काम करना शुरु भी कर दिया है। इसके अलावा हाईपॉवर इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनी टेस्ला ने भी इस दिशा में कार्यरत है और वह इलेक्ट्रिक वाहनों का तेजी से निर्माण पर ध्यान दे रही है।

चीन भी गंभीर

चीन भी गंभीर

फ्रांस के अलावा भारत के पड़ोसी मुल्क और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए पेट्रोल-डीजल वाहनों पर बैन लगाने की तैयारी शुरु कर दी है। चीन ने देश के वाहन निर्माता कंपनियों को निर्देश दिए हैं कि वह डीजल-पेट्रोल से चलने वाले वाहनों का निर्माण कम करे और इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण तेजी से शुरु करें। चीन ने भी 2030 तक कार्बन उत्सर्जन पर लगाम लगाने की कवायद तेज कर दी है। इसके अलाव विभिन्न तेजी से इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

चीन ने बढ़ाई चिंता

चीन ने बढ़ाई चिंता

चीन की नई नीति के अनुसार अब पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों पर से सब्सिडी हटा दी जाएगी। इसके अलावा हर वाहन ऑटोकंपनी में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी 8 फीसदी रहनी जरूरी है। चीन ने इसके लिए कोई सीमा लागू नहीं की है फिर भी ये माना जा रहा है कि साल 2018 से ये नीति लागू हो जाएगी। वहीं भारत में इस तरह की कोई नीति लागू करने या फिर बनाने पर किसी तरह की योजना नहीं सामने आई है। हां, गाहे-बगाहे सरकार की तरफ से वाहन कंपनियों को इलेक्ट्रिक कारों के तेजी से निर्माण करने की बात कही जाती है और कभी-कभार एनजीटी अपने अपने सख्त रवैये से प्रदूषण रोकने की अपील करती है।

भारत की मुश्किलें

भारत की मुश्किलें

भारत के सामने सबसे बड़ी मुश्किल है देश के लोगों को ये समझाना कि पर्यावरण संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है। इसके अलावा यदि भारत सरकार कोई कठोर नीति बनाती है तो भी उसे विरोध झेलने के लिए तैयार रहना होगा। पेट्रोल डीजल के दाम घटने से या फिर उन्हे जीएसटी के अंतरगत लाने से सरकार को शाबासी तो जरूर मिलेगी पर इससे वाहन कंपनियों की चांदी हो जाएगी। वह इलेक्ट्रिक कारों की बजाय डीजल-पेट्रोल से चलने वाली कार का निर्माण और तेजी से करेंगे। इसलिए ये जरूरी है कि सरकार कठोर नीति सिर्फ जनता के लिए ही नहीं बल्कि वाहन निर्माण करने वाली कंपनियों के लिए भी बनाए।

बिजली बड़ी समस्या

बिजली बड़ी समस्या

भारत में यदि इलेक्ट्रिक कारों को लेकर किसी तरह की नीति बनती भी है तो भी उसके सामने सबसे बड़ी समस्या बिजली की होगी। इलेक्ट्रिक कारों के लिए चार्जिंग स्टेशन और शहर से लेकर गांव तक 24 घंटे बिजली की उपलब्धता देनी होगी। भारत के अभी भी तमाम गांवों में बिजली नहीं पहुंची है और शहरों में भी महानगरों को छोड़कर शायद ही कहीं 24 घंटे बिजली रहती हो। ये मान कर चलिए कि भारत को फ्रांस या चीन की तरह 2040 तक इलेक्ट्रिक वाहनों पर निर्भर होने के लिए तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा और उसमें सबसे बड़ी चुनौती बिजली है।

सरकार की मंशा

सरकार की मंशा

तेल की बढ़ती कीमतों के पीछे शायद सरकार की यही मंशा है कि इससे लोग इलेक्ट्रिक वाहनों में ज्यादा दिलचस्पी दिखाएंगे और वाहन निर्माण करने वाली कंपनिया भी ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक कारों का निर्माण करेंगी। जरूरी ये है कि सरकार अपनी इस मंशा को लोगों तक सरल माध्यम में पहुंचाए और उन्हें स्वच्छ उर्जा के प्रयोग के लिए प्रेरित के ताकि हम अपनी आने वाली पीढ़ी को एक साफ सुथरी धरती दे सकें।

English summary

8 Reason, Why Modi Govt Silence On Petrol Price Hike

Last Few Months Oil Price Hike As Never Before, Here Some Reason Behind Petrol Price Hike.
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