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SC ने दिया केंद्र को झटका, आधार लिंक योजना पर उठे सवाल

By Ashutosh
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केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना, जिसमें आधार को हर आवश्यक कार्यलयी कार्य के लिए जरूरी किया गया था वह अब अधर में लटक सकती है। सुप्रीम कोर्ट में आज यानि 24 अगस्त को राइट टू प्राइवेसी पर अपना फैसला सुनाया है जिसमें प्राइवेसी को मौलिक अधिकार माना है और सुप्रीम कोर्ट साथ ही यह भी दलील दी है कि यह मौलिक अधिकार है और आर्टिकल 21 के तहत आता है। आर्टिकल 21 जीने का अधिकार है।

 

1954 और 1961 के फैसले को पलटा

1954 और 1961 के फैसले को पलटा

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से इस पर अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 1954 में 8 जजों की संवैधानिक बेंच की एमपी शर्मा केस और 1961 के खड्ग सिंह केस के 6 जजों की बेंच के फैसले को पलट दिया है। कोर्ट ने इन दोनों ही मामलों में आए फैसले को मूलभूत अधिकार नहीं माना था वहीं अब सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच ने इसे मौलिक अधिकार की श्रेणी में रखा है।

मौलिक अधिकार में तर्कपूर्ण रोक

मौलिक अधिकार में तर्कपूर्ण रोक

हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये दलील भी दी है कि निजता का अधिकार कुछ तर्क पूर्ण रोक के साथ ही मौलिक अधिकार है, अदालत के मुताबिक हर मौलिक अधिकार में तर्कपूर्ण रोक होते ही हैं, जीवन का अधिकार भी पूर्ण नहीं है।

केंद्र के लिए बड़ा झटका
 

केंद्र के लिए बड़ा झटका

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को केंद्र सरकार के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। केंद्र सरकार ने कोर्ट में दलील दी थी कि निजता मौलिक अधिकार की श्रेणी में नहीं आता है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का असर अब केंद्र की आधार कार्ड पर आधारित नीतियों पर पड़ेगा। लोगों की प्राइवेसी से जुड़े आंकड़ो पर कानून बनाते समय तर्क पूर्ण रोक के मुद्दे पर विचार करना होगा।

निजता के अधिकार की प्रकृति पर फैसला

निजता के अधिकार की प्रकृति पर फैसला

इसके साथ ही अब सरकारी नीतियों की नए सिरे से समीक्षा करनी होगी साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि अगर किसी व्यक्ति का निजी डेटा लिया जा रहा है तो वह सार्वजनिक ना हो। सुप्रीम कोर्ट की बेंच को फैसला सिर्फ निजता के अधिकार की प्रकृति पर लेना था और उसका दर्जा तय करना था।

आधार पर भी सुप्रीम कोर्ट की नजर

आधार पर भी सुप्रीम कोर्ट की नजर

अब 5 जजों की बेंच आधार के मामले में ये देखेगी कि लोंगो से लिया गया डेटा प्रिवेसी के दायरे में है या नहीं। अब सरकार के हर कानून को टेस्ट किया जाएगा कि वो तर्कपूर्ण रोक के दायरे में है या नहीं। फिलहाल सरकार ने पैन से लेकर LPG और मिड डे मील से लेकर छात्रवृत्ति तक आधार को जरूरी बना दिया है।

English summary

SC declares right to privacy as Fundamental right

The Supreme Court today declared right to privacy as a Fundamental right under the Constitution.
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