कॉल ड्रॉप हुई तो 5 लाख जुर्माना देना होगा टेलीकॉम कंपनी को
भारतीय दूरसंचार नियामक ने शुक्रवार को कॉल ड्रॉप को लेकर कड़े नियमों की घोषणा की और कहा कि जो दूरसंचार ऑपरेटर मानदंडों को पूरा नहीं करेंगे, उन पर कम से कम 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने कहा, अगर सेवा प्रदाता नए शुरू किए गए डीसीआर (कॉल ड्रॉप की दर) बेंचमार्क तक पहुंचने में नाकाम होते हैं तो उन पर ग्रेडेट फाइनेंसियल डिसइंसेटिव कार्रवाई की जाएगी, जिसके तहत जुर्माना लगाया जाएगा। जुर्माने की रकम इस पर निर्भर करेगी कि कंपनियां बेंचमार्क से कितनी दूर हैं।
इसमें बताया गया कि बेंचमार्क को पूरा नहीं करने पर सेवा प्रदाताओं पर प्रत्येक पैरामीटर पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। ट्राई के कार्यवाहक सचिव एस. के. गुप्ता ने कहा , अगर लगातार दो तिमाहियों तक कंपनी बेंचमार्क पर खरा नहीं उतरती तो जुर्माने की रकम डेढ़ गुनी हो जाएगी और दो तिमाही से भी ज्यादा वक्त बीतने पर सुधार नहीं हुआ तो जुर्माने की रकम दो गुनी यानि 10 लाख हो जाएगी।
ट्राई ने कहा कि 'सेवाओं की गुणवत्ता' को लेकर संशोधित विनियमन 1 अक्टूबर से प्रभावी होगा। संशोधित नियमों के तहत किसी दूरसंचार सर्किल में 90 प्रतिशत मोबाइल साइटें 90 प्रतिशत समय तक 98 प्रतिशत तक कॉल्स को सुगम तरीके से संचालित करने में सक्षम होनी चाहिए। यानी कुल कॉल्स में से दो प्रतिशत से अधिक ड्रॉप की श्रेणी में नहीं आनी चाहिए। किसी खराब स्थिति या दिन के व्यस्त समय में एक दूरसंचार सर्किल के 90 प्रतिशत मोबाइल टावरों पर कॉल ड्रॉप की दर तीन प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। नियामक ने रेडियो लिंक टाइम आउट प्रौद्योगिकी (आरएलटी) के लिए भी मानक तय किए हैं। कथित रूप से इसका इस्तेमाल दूरसंचार आपरेटरों द्वारा कॉल ड्रॉप को छुपाने के लिए किया जाता है।