अगले 5 सालों में रक्षा क्षेत्र में होगा 35,000 करोड़ का विदेशी निवेश
सरकार रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को आकर्षित करने के लिए और अधिक उदार एफडीआई नीति लागू करने पर विचार कर रही है। इसका लक्ष्य अगले पांच वर्षो में 35,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करना, भारत में रक्षा निर्माण को गति देना और साथ ही अधिक रोजगार सृजन करना है।
नए नियमों के तहत सरकार भारत में टैंकों, बख्तरबंद वाहनों और सैन्य परिवहन विमानों के उत्पादन के लिए ऑटोमेटिक रूट के तहत 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दे सकती है। लड़ाकू विमानों और हेलिकॉप्टर्स के लिए ऑटोमेटिक रूट के तहत 75 प्रतिशत एफडीआई प्रस्तावित है।
पनडुब्बियों और युद्धपोतों के लिए ऑटोमेटिक रूट के तहत 51 प्रतिशत एफडीआई प्रस्तावित है। नीति का लक्ष्य रक्षा आयात में घटाना है, जो फिलहाल 70 प्रतिशत है। रक्षा क्षेत्र के लिए एफडीआई नीति को और अधिक उदार करने के लिए नीति आयोग, रक्षा मंत्रालय और डीआईपीपी के बीच व्यापक चर्चा जारी है। सूत्रों के मुताबिक, नए नियम जल्द ही हकीकत में तब्दील हो जाएंगे।
रूस के साथ जारी है मिग-35 पर बात
भारत और रूस के बीच 4++ जनरेशन के फाइटर प्लेन मिग-35 को लेकर बात आगे बढ़ रही है। रुस ने स्पष्ट किया है कि भारत इस डील में दिलचस्पी दिखा रहा है और आने वाले कुछ दिनों में भारतीय वायुसेना इस विमान का ट्रायल भी कर सकती है।
रुस के इस 4++ श्रेणी के युद्धक विमान को अमेरिका F-35 से उन्नत माना जाता है या लगभग बराबर ही माना जाता है। अमेरिका का F-35 रैप्टर एक स्टेल्थ विमान है जो कि राडार की पकड़ में नहीं आता है। भारत मिग 35 समेत कई PAK-FA-50 को लेकर भी दिलचस्पी दिखा रहा है। आपको बता दें कि भारत और रुस मिलकर PAK-FA-50 FGFA का संयुक्त रूप से निर्माण कर रहे हैं।