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3 साल मोदी सरकार: RAPID गति से टैक्स सुधार

प्रधानमंत्री के संदेश का निचोड़ था कि कानून का राज उन सब पर लागू हो जो टैक्स की चोरी करते हैं।

By प्रकाश चावला
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जब पिछले वर्ष जून में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के अधिकारियों को संबोधित किया था तो उन्होंने कहा था कि राजकोष के लिए राजस्व जमा करते समय वे " रैपिड " (आरएपीआईडी) का पालन करें।

 

'रैपिड' का संदेश

'रैपिड' का संदेश

‘राजस्व ज्ञान संगम' के समापन पर वरिष्ठ टैक्स अधिकारी " रैपिड " का संदेश ले कर चले। इसका अर्थ रेवेन्यू, अकाउंटीबिलिटी, प्रोबिटी, इंफॉरमेशन और डिजिटाइजेशन है। प्रधानमंत्री के संदेश का निचोड़ था कि कानून का राज उन सब पर लागू हो जो टैक्स की चोरी करते हैं। लेकिन जो लोग टैक्स का भुगतान करते हैं या टैक्स का भुगतान करने की इच्छा रखते हैं वे गर्व के साथ अपने इस राष्ट्रीय दायित्व को पूरा करने में सक्षम हों और उन्हें किसी प्रकार का भय न हो।

कैसे दूर होगा कर दाताओं का डर?
 

कैसे दूर होगा कर दाताओं का डर?

करदाताओं का भय उसी समय दूर होगा जब उन्हें सही सूचना, सही कानून, उपकरणों का ज्ञान होगा और अधिकारी ईमानदारी तथा जिम्मेदारी के साथ उनसे व्यवहार करेंगे। टैक्स संबंधी कानून हमेशा से जटिल रहे हैं और ईमानदार करदाता नियमों और उप-नियमों के जाल में उलझ जाते हैं। इसके मद्देनजर सरकार यह प्रयास करती रही है कि सभी लोगों, कारोबार और उद्योगों तथा हंसी-खुशी से टैक्स देने वालों के लिए चीजों को आसान बनाया जाए।

टैक्स संबंधी कानून बदलने में होती है कठिनाई

टैक्स संबंधी कानून बदलने में होती है कठिनाई

यह कहा जा सकता है कि कई बार टैक्स संबंधी कानूनों को बदलने में कठिनाई होती है क्योंकि कानूनों की छानबीन करने वाली अदालतों में मुकदमें शुरू हो जाते हैं। मिसाल के तौर पर पिछले शासनकाल के दौरान पिछले तारीख से टैक्स लगाने पर जो बहस होती रही थी उसके कारण नीति बनाने में बहुत दिक्कत हुई थी। प्रतिगामी टैक्स लगाने की प्रक्रिया को समाप्त कर दिया गया। बहरहाल, अदालतों में लंबित मामलों का न्यायपालिका द्वारा निस्तारण किया जाएगा।

 

 

कर दाताओं का जीवन आसान बनाने की पहल

कर दाताओं का जीवन आसान बनाने की पहल

करदाताओं का जीवन आसान बनाने के लिए वित्त मंत्रालय लगातार प्रयास कर रहा है कि अनुपालन का बोझ कम किया जा सके। मिसाल के तौर पर पिछले बजट में वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आंतरिक अंतरण मूल्य वर्धन के दायरे को सीमित करने की घोषणा की थी। इसे कर वंचना की रोकथाम के उपाय के तौर पर वित्त अधिनियम, 2012 में शामिल किया गया था।

 

 

HUF को  10 लाख से बढ़ाकर 50 लाख रुपए प्रतिवर्ष किया गया

HUF को 10 लाख से बढ़ाकर 50 लाख रुपए प्रतिवर्ष किया गया

इसी तरह, व्यापारिक प्रतिष्ठानों के लेखापरीक्षण के लिए आधार को एक करोड़ रुपये से बढ़ाकर दो करोड़ रुपये किया गया। इसे संभावित आय योजना के तौर पर स्वीकार किया जाता था। व्यक्तियों और हिन्दू संयुक्त परिवार के संबंध में खातों के रखरखाव के लिए कारोबार को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दिया गया। प्रोफेशनल लोगों के लिए संभावित टैक्स सीमा 50 लाख रुपये प्रतिवर्ष तक लागू है। खातों के रखरखाव के लिए छोटे व्यापारियों की आवश्यकताओं को यह प्रावधान स्पष्ट करते हैं।

 

 

नए प्रावधानों को आयकर अधिनियम में शामिल किया गया

नए प्रावधानों को आयकर अधिनियम में शामिल किया गया

उपयोगकर्ताओं की सहायता के लिए कई प्रावधानों को आयकर अधिनियम में शामिल किया गया है, ताकि शेयरों के अंतरण या हितों के मद्देनज़र फॉरेन पोर्टफोलियो निवेशकों को व्यापार करने में आसानी हो।

जुलाई से लागू हो जाएगा जीएसटी

जुलाई से लागू हो जाएगा जीएसटी

सबसे विशाल और सबसे प्रभावशाली टैक्स सुधार वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के रूप में इस वर्ष जुलाई या कम से कम सितंबर तक लागू हो जाएगा। यद्यपि समस्त राजनीतिक दलों को यह श्रेय जाता है कि उन्होंने संसद में इस महत्वपूर्ण संवैधानिक संशोधन का समर्थन किया और यह कानून बनाने में मदद की, लेकिन प्रधानमंत्री की दृढ़ता के कारण यह संभव हो सका है। जीएसटी को लागू करने के लिए पूरी तैयारी की जा रही है लेकिन प्रधानमंत्री स्वयं प्रगति का जायजा ले रहे हैं और इस बात पर नजर रखे हैं कि केंद्र, राज्य और व्यापारी प्रतिष्ठान इसे लागू करें। इस अप्रत्यक्ष कर प्रणाली से व्यापार और उपभोक्ताओं को वस्तुओं एवं सेवाओं के लिए टैक्स का भुगतान करने के लिए नई दिशा मिलेगी।

GST से लाभ

GST से लाभ

पहले निर्माण आधारित कर प्रणाली लागू थी जबकि जीएसटी के तहत गंतव्य या उपभोक्ता आधारित लेवी प्रक्रिया होगी जिसमें कई टैक्सों को शामिल किया जाएगा और भुगतान आदि की निर्बाध प्रणाली चलेगी। परिणामस्वरूप उपभोक्ताओं को एक ही टैक्स देना होगा जबकि पहले उन्हें सीमा शुल्क, अतिरिक्त सीमा शुल्क, मूल्य वर्धित टैक्स या बिक्री कर या सेवा कर या चुंगी आदि देनी पड़ती थी।

 

 

GST से बढ़ेगा सकल घरेलू उत्पाद

GST से बढ़ेगा सकल घरेलू उत्पाद

विभिन्न आकलन बताते हैं कि जीएसटी से देश का सकल घरेलू उत्पाद कम से कम एक से दो प्रतिशत बढ़ेगा क्योंकि कई कारोबार और व्यापार जो पहले टैक्स के दायरे से बाहर थे, उन्हें अब नई कर प्रणाली को अपनाना होगा। इसमें उनका अपना हित होगा और उनकी संचालन कुशलता बढ़ेगी। कीमतों पर जीएसटी के प्रभाव के विषय में जो चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं, वे निर्मूल हैं। इस निर्मूल धारणा के विपरीत मध्यम और दीर्घ काल के दौरान कीमतें कम होंगी और कारोबारी क्षेत्र के लिए ऋण उपलब्ध होगा। इसके अलावा सामान को एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाने में राज्यों की सीमाओं पर जो विलंब होता था, वह भी समाप्त हो जाएगा और उपभोक्ताओं को कम कीमत पर सामान मिलेगा।

GST की तैयारी पूरी

GST की तैयारी पूरी

कारोबारी और औद्योगिक क्षेत्र सीबीडीटी, सीबीईसी सहित राज्य सरकारों के साथ जीएसटी को लागू करने के लिए तैयारी कर रहा है। इसके मद्देनजर कर्मियों का प्रशिक्षण हो रहा है और कारोबारी हल्के के साथ बातचीत चल रही है। आरंभिक चरणों में व्यापारिक संस्थानों की तरफ से यह मांग की जा रही है कि अगर जीएसटी आधारित प्रणाली को अपनाने में कोई गैर-इरादी तौर पर कमी रह जाए तो उसके लिए छूट दी जाए। संभवतः इस समस्या को जीएसटी परिषद देख सकती है क्योंकि इस तर्क में दम है। बहरहाल, जीएसटी को सफल बनाने और भारत के टैक्स सुधारों को आदर्श के तौर पर पेश करने में बहुत कुछ दांव पर लगा है।

 

 

GST पर दुनिया भर की नजरें

GST पर दुनिया भर की नजरें

जीएसटी के कार्यान्वयन पर विश्व रेटिंग एजेंसियां और बहुस्तरीय संगठन नजदीकी नजर जमाए हुए हैं। इसका आसान कार्यान्वयन व्यापार करने की आसानी संबंधी विश्व बैंक सूचकांक के संबंध में निश्चित रूप से भारत को आगे ले जाएगा। आंतरिक और विश्व स्रोतों के लिए निवेश के संबंध में प्रावधान एक प्रमुख पैमाना होता है। अब भारत सही दिशा में चल पड़ा है।

प्रकाश चावला एक वरिष्‍ठ पत्रकार और टिप्‍पणीकार हैं। वे राजनीतिक-अर्थव्‍यवस्‍था और विश्‍व आर्थिक विषयों पर लेखन टैक्स ते हैं। यह लेखक के अपने निजी विचार हैं। (साभार-PIB)

 

English summary

Taxation reforms on RAPID road

When PM Narendra Modi addressed CBDT and CBEC in June last year, he gave them an acronym RAPID to follow as they carry out their job of collecting revenue for the national exchequer.
Story first published: Wednesday, May 24, 2017, 16:08 [IST]
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