तो अगले 3 साल में 6 लाख इंजीनियर हो जाएंगे बेरोजगार!
साल 56,000 आईटी पेशेवरों की छंटनी होगी, लेकिन नई प्रौद्योगिकियों के अनुरूप खुद को ढालने में आधी अधूरी तैयारी के चलते तीन साल तक हर साल वास्तव में 1.75 से 2 लाख आईटी पेशेवरों की छंटनी हो सकती है।
H1-B वीजा और डॉलर के गिरते दाम ने भारतीय आईटी इंडस्ट्री और इंजीनियर्स को हिला कर रख दिया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 'बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकन' अभियान के तहत H1-B वीजा नियमों को सख्त करने से भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों को न केवल बढ़ते खर्चो का सामना करना पड़ेगा, बल्कि स्वदेश में कई कर्मचारियों को नौकरी से निकालना भी पड़ सकता है।
रुपए की मजबूती से बढ़ी परेशानी
रुपए की मजबूती से प्रौद्योगिकी कंपनियों की परेशानी और बढ़ेगी। औद्योगिक संगठन एसोचैम ने हाल ही में एक पेपर जारी करते हुए ये बाते कहीं थी। पेपर के मुताबिक, कंप्यूटर जगत में 86 फीसदी H1-B वीजा भारतीयों को जारी होता रहा है। अब यह आंकड़ा 60 फीसदी या उससे भी कम हो सकता है।
हर साल 2 लाख इंजीनियरों की छटनीं
मानव संसाधन से जुड़ी फर्म हेड हंटर्स इंडिया ने कहा है कि नई प्रौद्योगिकियों के अनुरूप खुद को ढालने में आधी अधूरी तैयारी के कारण भारतीय आईटी क्षेत्र में अगले तीन साल तक हर साल 1.75 से 2 लाख इंजीनियरों की सालाना छंटनी होगी।
भारतीय आईटी इंडस्ट्री नई प्रोद्योगिकी से अंजान
हेड हंटर्स इंडिया के संस्थापक अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के. लक्ष्मीकांत ने मैककिंसे एंड कंपनी द्वारा 17 फरवरी को भारतीय सॉफ्टवेयर सेवा कंपनियों के मंच नैसकॉम इंडिया लीडरशिप फोरम को सौंपी गयी रिपोर्ट का विश्लेषण करते हुए कहा, ‘मीडिया में खबर आयी है कि इस साल 56,000 आईटी पेशेवरों की छंटनी होगी, लेकिन नई प्रौद्योगिकियों के अनुरूप खुद को ढालने में आधी अधूरी तैयारी के चलते तीन साल तक हर साल वास्तव में 1.75 से 2 लाख आईटी पेशेवरों की छंटनी हो सकती है।'
50-60 फीसदी लोगों को फिर से प्रशिक्षण देने की कोशिश
मैककिंसे एंड कंपनी की रिपोर्ट में कहा गया था कि आईई सेवा कंपनियों में अगले 3-4 सालों में आधे कर्मचारी अप्रासंगिक हो जाएंगे। मैककिंसे एंड कंपनी के निदेशक नोशिर काका ने भी कहा था कि इस उद्योग के सामने बड़ी चुनौती 50-60 फीसदी कर्मचारियों को पुन: प्रशिक्षित करना होगा क्योंकि प्रौद्योगिकियों में बड़ा बदलाव आएगा। इस उद्योग में 39 लाख लोग कार्यरत हैं और उनमें से ज्यादातर को फिर से प्रशिक्षण देने की जरूरत होगी।