भारत के पहले वित्तमंत्री जो बाद में बने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री
इस लेख में हम आपको बताएंगे कि भारत का पहला बजट किसने पेश किया, भारत में सबसे ज्यादा बार बजट किसने पेश किया और कौन से ऐसे बजट थे जिन्होंने देश की दिशा बदल दी।
बजट 2018-19 आने में अब कुछ ही दिन रह गए हैं। हर बार बजट से पहले पिछले बजट के बारे में चर्चा की जाती है कि पिछले बजट से ये बजट कितना अलग होगा। अब जरा सोचिए कि भारत का पहला बजट जब बना होगा तो क्या बाते बजट में रही होंगी क्या मुद्दे रहे होंगे। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि भारत का पहला बजट किसने पेश किया, भारत में सबसे ज्यादा बार बजट किसने पेश किया और कौन से ऐसे बजट थे जिन्होंने देश की दिशा बदल दी।
लियाकत अली खान
भारत की आजादी से एक वर्ष पहले 1946 में लियाकत अली खान ने पहला बजट पेश किया था। लियाकत अली खान भारत में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से पढ़े हुए थे साथ उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से भी पढ़ाई की थी। लियाकत अली खान ने अंतरिम सरकार का बजट पेश किया था। ये 1946-47 का वक्त था। बाद में देश का बंटवारा हो गया और लियाकत अली खान पाकिस्तान चले गए। लियाकत अली खान पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने। हालांकि भारतीय बजट का इतिहास आर के षनमुखम चेट्टी के नाम शुरू होता है लेकिन यहां पहले बजट के लिहाज से लियाकत अली खान का जिक्र करना जरूरी है।
आर के षनमुखम चेट्टी
आजाद भारत का पहला बजट पेश करने का श्रेय आर के षनमुखम चेट्टी को जाता है। भारत का पहला बजट कृषि आधारित था जिसमें किसानों के लिए नई नीतियों के बारे में जिक्र किया गया था। आर के षणमुखम चेट्टी 1947 से 1949 तक भारत के वित्तमंत्री रहे।
सीडी देशमुख
50 का दशक था, आजादी के बाद देश में खाद्यान संकट और गरीबी को नियंत्रित करने के लक्ष्य से बजट पेश किया गया। सीडी देशमुख ने ये बजट पेश किया। उन्होंने कृषि में ढांचागत सुविधाओं पर जोर दिया। देश में अधिक अन्न उत्पादन पर जोर दिया। कुल मिलाकर कहा जाए तो भारत का ये पहला बजट था जिसमें किसानों को स्थित को सुधारने पर पूरा जोर लगा दिया गया था।
पंडित जवाहर लाल नेहरू
आजादी के बाद एक वर्ष के लिए पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भी बतौर वित्तमंत्री जिम्मेदारी संभाली। प्रधानमंत्री होने के साथ उनके पास वित्त मंत्रालय का भी भार था। हालांकि ये जिम्मेदारी सिर्फ 1 वर्ष तक ही थी।
मोरार जी देसाई
ये दूसरी बार था कि जब देश की दिशा बदलने के लिए बजट के जरिए एतिहासिक घोषणा की गई। मोरार जी देसाई ने 1969 में बतौर वित्तमंत्री का कार्यभार संभाला और अपने बजट में बैंको के राष्ट्रीयकरण की बात कही। 14 बैंको का राष्ट्रीयकरण किया गया। बैंको के राष्ट्रीयकरण से देश के आर्थिक विकास को बल मिला। मोरार जी देसाई ने ही बैंको देश के दूर दराज के क्षेत्रों में शाखाएं खोलने का निर्देश दिया जिससे देश का आम आदमी बैंकिंग से जुड़ सका। सबसे अधिक बजट पेश करने का रिकॉर्ड मोरारजी देसाई के नाम है। उन्होंने कुल 10 बजट पेश किए, इसमें 8 पूरे और 2 अंतरिम बजट थे।
इंदिरा गांधी
1971 में प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद इंदिरा गांधी ने वित्तमंत्रालय का भी कार्यभार अपने पास ही रखा। ये देश का पहला ऐसा बजट माना जाता है जिसमें आय से अधिक व्यय दिखाया गया। बजट का मुख्य लक्ष्य गरीब और किसान ही रहे, इसी बजट के जरिए देश में गरीबी हटाओ का भी नारा दिया गया।
वीपी सिंह
देश में उदारीकरण का दौर 90 के दशक से पहले आकार लेना शुरु कर चुका था। इसकी पूरी रूप रेखा वीपी सिंह ने तैयार की थी। वीपी सिंह ने कर संबंधी प्रस्तावों के लिए सुझाव दिया और कंपनियों के लिए डी- लाइसेंसिंग की प्रथा शुरु की।
मनमोहन सिंह
पंजाब विश्वविद्यालय, सेंट जॉन्स कॉलेज, कैंब्रिज न्यूफील्ड कॉलेज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डॉ. मनमोहन सिंह ने पढ़ाई की है। एक खुली अर्थव्यवस्था से जुड़े देश में रहकर पढ़ाई करने के बाद डॉ. मनमोहन सिंह जब भारत के वित्तमंत्री बने तो उन्होंने देश को वैसा ही संमृद्ध बनाना चाहा जैसा वह बाहरी दुनिया में देखकर आए थे। 1991 के बजट को देश हमेशा याद करेगा जिसने देश में खुली अर्थ व्यवस्था का दौर शुरु किया। देश में लाइसेंस राज के सिस्टम को खत्म किया और भारत के नव आर्थिक उदारवादी चेहरे को दुनिया के सामने रखा। 1991 के बजट में ये पहली बार देखा गया जब कृषि और गरीबी के मुद्दों के अलावा देश के आर्थिक विकास को बढ़ाने के लिए कारोबार जगत, निवेश और व्यापार पर पूरा फोकस किया गया। डॉ. मनमोहन सिंह आगे चलकर देश के प्रधानमंत्री बने।
पी चिदंबरम
पी चिदंबरम ने 1997 में देश का ड्रीम बजट प्रस्तुत किया। जिसमें माध्यम आर्थिक जरूरतों की पूर्ति के लिए पॉलिसी बनाई गई। चिदम्बरम ने टैक्स की दरों को 30% फीसदी तक ले गये। काले धन को ध्यान में रखते हुए चिदंबरम ने ही सबसे पहले 1997 में खुद से अपनी सम्पति की घोषणा(वालान्टियरी डिस्क्लोज ऑफ़ इनकम स्कीम-वीडीआईएस) की पहल की। सन्2005 में चिदंबरम ने ही ग्रामीणों को रोजगार मुहैया कराने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना की शुरुआत की। सन्2005 में ही चिदंबरम ने वैल्यू ऐडेड टेक(वैट) की शुरुआत की। जो अब तक का सबसे बेहतर कर सुधार व्यवस्था साबित हुई। कर चिदंबरम ने 2008 में वित्त मंत्री रहते हुए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने पहली बार टैक्स छूट की सीमा को 40,000 से बढ़ाते हुए 1 लाख 50 हजार कर दी।
यशवंत सिन्हा 2001
यशवंत सिन्हा ने वित्त मंत्री रहते हुए 7 बार बजट पेश किया। उन्होंने भी आर्थिक सुधारों को बढ़ावा दिया। सबसे महत्वपूर्ण काम उन्होंने बजट को प्रतीतात्मक औपनिवेशिक शासन की याद दिलाने वाली बजट दिवस में सुधार का किया। अबतक बजट शाम के समय प्रस्तुत होता था, जब इंग्लैंड में दिन हो। लेकिन यशवंत सिन्हा ने भारत देश की संप्रभुता की याद दिलाते हुए सुबह बजट प्रस्तुत किया। जिसके बाद से बजट सुबह 10-11 बजे के बीच प्रस्तुत किया जाने लगा। इनके अलावा वित्त मंत्री के रूप में जसवंत सिंह ने 2003 का बजट पेश किया था, उन्होंने 2004 का अंतरिम बजट भी पेश किया था।
प्रणब मुखर्जी
देश की राजनीति का एक बड़ा दौर देख चुके प्रणब दा ने जब वित्तमंत्री के रूप में कमा संभाली तो उनके सामने कई चुनौतियां थी। उन्होंने विदेशी कंपनियों संबंधी नए कानून लागू किए। प्रणब मुखर्जी ने 7 बार देश के लिए बजट पेश किया। वर्तमान में प्रणब दा देश के राष्ट्रपति हैं।
अरुण जेटली
2014 में भाजपा की मोदी सरकार आने के बाद ये तय हो गया था कि वित्त मंत्रालय की कमा अरुण जेटली के ही हाथों में जाएगी। अरुण जेटली ने अपना पहला बजट 2015 में पेश किया। इस बजट में देश में निवेश बढ़ाने और स्किल्ड वर्कर की जरूरत को पूरा करने पर जोर दिया गया था। बजट में मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, स्किल इंडिया, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, स्वाइल हेल्थ कार्ड, जैसे उपक्रमों पर खासा जोर दिया गया था। अब साल 2017 में अरुण जेटली अपना तीसरा बजट पेश करेंगे इस बार बजट में उनके पास रेल बजट भी होगा ये बजट अपने आप में सबसे दिलचस्प बजट होगा।
देश के वित्त मंत्रियों की पूरी सूची
लियाकत अली खान, 29 अक्टूबर 1946 से 14 अगस्त 1947 तक
आर के षणमुखम चेट्टी, 15 अगस्त 1947 से 1949 तक
जॉन मथाई, 1949 से 1950 तक
सी डी देखमुख, 1950 से 1957 तक
टी टी कृष्णमाचारी, 1957 से 13 फरवरी 1958 तक
पंडित जवाहर लाल नेहरू, 13 फरवरी 1958 से 13 मार्च 1958 तक
मोरारजी देसाई, 13 मार्च 1958 से 29 अगस्त 1963 तक
टी टी कृष्णमाचारी, 29 अगस्त 1963 से साल 1965 तक
सचिंद्रा चौधरी, 1965 से 13 मार्च 1967 तक
मोरारजी देसाई, 13 मार्च 1967 से 16 जुलाई 1969 तक
इंदिरा गांधी, 1970 से 1971 तक
यशवंतराव चव्हाण, 1971 से 1975 तक
चिदंबरम सुब्रह्मण्यम, 1975 से 1977 तक
हरिभाई एम पटेल, 24 मार्च 1977 से 24 जनवरी 1979 तक
चौधरी चरण सिंह, 24 जनवरी 1979 से 28 जुलाई 1979 तक
हेमवती नंदन बहुगुणा, 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक
आर वेंकटरमण, 14 जनवरी 1980 से 15 जनवरी 1982 तक
प्रणब मुखर्जी, 15 जनवरी 1982 से 31 दिसंबर 1984 तक
वी पी सिंह, 31 दिसंबर 1984 से 24 जनवरी 1987 तक
राजीव गांधी, 24 जनवरी 1987 से 25 जुलाई 1987 तक
एन डी तिवारी, 25 जुलाई 1987 से 25 जून 1988 तक
शंकरराव चव्हाण, 25 जून 1988 से 2 दिसंबर 1989 तक
मधु दंडवते, 2 दिसंबर 1989 से 10 नवंबर 1990 तक
यशवंत सिन्हा, 10 नवंबर 1990 से 21 जून 1991 तक
मनमोहन सिंह, 21 जून 1991 से 16 मई 1996 तक
जसवंत सिंह, 16 मई 1996 से 1 जून 1996 तक
पी चिदंबरम, एक जून 1996 से 21 अप्रैल 1997 तक
आई के गुजराल, 21 अप्रैल 1997 से 1 मई 1997 तक
पी चिदंबरम, 1 मई 1997 से 19 मार्च 1998 तक
यशवंत सिन्हा, 19 मार्च 1998 से 1 जुलाई 2002 तक
जसवंत सिंह, 1 जुलाई 2002 से 22 मई 2004 तक
पी चिदंबरम, 22 मई 2004 से 30 नवंबर 2008 तक
मनमोहन सिंह, 30 नवंबर 2008 से 24 जनवरी 2009 तक
प्रणब मुखर्जी, 24 जनवरी 2009 से 26 जून 2012 तक
मनमोहन सिंह, 26 जून 2012 से 31 जुलाई 2012 तक
पी चिदंबरम, 31 जुलाई 2012 से मई 2014 तक
अरुण जेटली मई 2014 से अब तक