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बिक सकते हैं 2 सरकारी बैंक, कहीं आपका खाता तो नहीं

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नई दिल्ली, मई 18। देश में निजीकरण को लेकर मोदी सरकार शुरू से तेजी से आगे बढ़ी है। अब सरकार जल्द ही सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों का निजीकरण करने जा रही है। कई कंपनियों के लिए बोली भी शुरू हो गई है। मगर फिलहाल दो बैंको के जल्द ही इसी साल निजीकरण करने को लेकर प्रोसेस शुरू होने की संभावना है। आगे जानिए इन दोनों बैंकों की डिटेल।

 

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कब तक शुरू हो सकती है प्रोसेस

कब तक शुरू हो सकती है प्रोसेस

रिपोर्ट्स के मुताबिक इस साल सितंबर तक इन बैंकों का निजीकरण शुरू हो सकता है। वहीं दूसरी ओर सरकारी कर्मचारी भी इसके विरोध में लगातार हड़ताल पर हैं। सरकार बैंकिंग विनियमन अधिनियम में संशोधन करके पीएसयू बैंकों (पीएसबी) में विदेशी स्वामित्व पर 20 प्रतिशत की सीमा को हटाने के लिए तैयार है। बताया जा रहा है कि सरकार ने इसके लिए दो सरकारी बैंकों को शॉर्टलिस्ट भी किया है।

कौन से हैं बैंक
 

कौन से हैं बैंक

इन बैंकों में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक शामिल हैं। गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चालू वित्त वर्ष का बजट पेश करते हुए आईडीबीआई बैंक के साथ सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी। इसके अलावा नीति आयोग ने निजीकरण के लिए दो पीएसयू बैंकों को भी शॉर्टलिस्ट किया है। अनुमान है कि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक को निजीकरण के लिए संभावित उम्मीदवारों के रूप में चुना गया था।

बीमा कंपनी भी बिकेगी

बीमा कंपनी भी बिकेगी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह भी कहा था कि चालू वित्त वर्ष में एक बीमा कंपनी को बेचने की योजना है। ये एलआईसी के अलावा कोई और कंपनी होगी, जिसका आईपीओ हाल ही में आया है। लेजिस्लेटिव प्रोसेस पूरी होने के बाद, विनिवेश पर मंत्रियों का समूह जिन बैंकों का निजीकरण किया जाना है, उनके नामों को फाइनल करेगा।

क्या होगी प्रोसेस

क्या होगी प्रोसेस

प्रक्रिया के अनुसार, कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों का कोर ग्रुप, इसकी मंजूरी के लिए वैकल्पिक तंत्र (एएम) को अपनी सिफारिश भेजेगा और अंततः अंतिम मंजूरी के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट को भेजेगा। सचिवों के कोर ग्रुप के सदस्यों में आर्थिक मामलों के सचिव, राजस्व सचिव, व्यय सचिव, कॉर्पोरेट मामलों के सचिव, कानूनी मामलों के सचिव, सार्वजनिक उद्यम विभाग के सचिव, निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव और एक प्रशासनिक विभाग के सचिव शामिल हैं।

सामान्य बीमा व्यवसाय (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक, 2021

सामान्य बीमा व्यवसाय (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक, 2021

सामान्य बीमा व्यवसाय (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक, 2021 ने एक निर्दिष्ट बीमाकर्ता में इक्विटी पूंजी का कम से कम 51 प्रतिशत रखने के लिए केंद्र सरकार की आवश्यकता को हटा दिया। अधिनियम, जो 1972 में लागू हुआ, सामान्य बीमा व्यवसाय के विकास को सुरक्षित करके अर्थव्यवस्था की बेहतर जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय बीमा कंपनियों और अन्य मौजूदा बीमा कंपनियों के उपक्रमों के शेयरों के अधिग्रहण और हस्तांतरण के लिए लाया गया था। हाल ही में भारतीय जीवन बीमा निगम का आईपीओ संपन्न हुआ। इसके आईपीओ को 2.95 गुना ओवरसब्सक्राइब किया गया। देश की सबसे बड़ी और सरकारी बीमा कंपनी के आईपीओ में 16.2 करोड़ इक्विटी शेयर रखे गए थे, जिसके मुकाबले 47.83 करोड़ इक्विटी शेयरों के लिए बोलियां प्राप्त हुईं।

English summary

2 government banks can be sold is your account in any of these

At present, the process of privatization of two banks is likely to start soon this year. Know further the details of these two banks.
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