Success Story : कभी भूखे पेट सोना पड़ा, अब है 10 करोड़ रु का कारोबार
Success Story : कहते हैं कि किस्मत भी उन्हीं का साथ देती है, जो मेहनत करते हैं। इसकी एक मिसाल हैं मुरादाबाद के रहने वाले अतीक अहमद। अतीक एक संपन्न परिवार से ताल्लुक रखत हैं। उनके पिता दूध की डेरी चलाने के अलावा एक कपड़े की एक दुकान के भी मालिक थे। मगर अतीक के जीवन की घटना अलग है। वे अपने जीजाजी के साथ एक बार राजधानी दिल्ली आए। फिर यहीं उनके साथ उनकी जूते की फैक्ट्री में काम करने लगे।
नहीं था पसंद ये काम
अतीक अहमद को जूते का काम पसंद नहीं आया। उन्हें यह चीज महसूस हो रही थी कि ये काम उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं है। इसी कारण उन्होंने ये बात जीजाजी को बताई। साथ ही यह भी कहा कि वे कुछ और करना चाहते हैं। उनके जीजाजी ने उन्हें अपने पंसद का काम करने की इजाजत दे दी।
हाथ रहा खाली
अतीक ने करीब छह-सात महीने तक अपने जीजा जी के साथ काम किया। मगर उनके हाथ में कुछ नहीं बच रहा था। वे खर्चा तो निकाल पा रहे थे। मगर जेब में एक्स्ट्रा कुछ नहीं बचता था। इसके बाद उन्होंने अपने दोस्तों से उधार पैसा लिया। दोस्तों के ही साथ वे छोटे से कमरे में रहने लगे। वे दिल्ली में इधर उधर घूम कर काम की तलाश करने लगे। जैसा कि हमने बताया कि उनके पास पैसों की कमी थी। पर वे काम की तलाश में दिल्ली के ही गांधीनगर पहुंच गए।
एशिया की सबसे बड़ी कपड़ा मार्केट
ये जानकारी अहम है कि गांधीनगर भारत नहीं बल्कि एशिया की सबसे बड़ी कपड़ा मार्केट है। यहां अतीक एक जींस निर्माता के पास पहुंचे। उन्होंने जींस निर्माता से फैब्रिकेटर का काम करने की बात की और जींस बनाने के कुछ आर्डर मांगे। मगर हैरानी यह थी कि अतीक को कपड़ा तक नहीं काटना आता था। जबकि उन्होंने दावा कर दिया फैब्रिकेटर का काम करने का। जींस की सिलाई और फिनिशिंग तो उन्हें जींस के काम की कुछ भी जानकारी नहीं थी। मगर ये उनका दांव था कि वे जींस पेंट के कारोबार में हाथ डालें।
कर दिखाया काम
गांधीनगर की जिस जींस की दुकान पर अतीक अहमद गए थे, वहां से उन्हें 70 मीटर कपड़ा मिला। इतने कपड़े से मालिक ने उन्हें जींस बनाकर लाने को कहा। इस काम में अतीक ने अपने भाई की मदद ली। इतना ही नहीं उन्होंने भाई के साथ मिल कर जैसे तैये जींस के कुछ पीस तैयार कर डाले। उन्हें तैयार करने के बाद वे दुकानदार को वे पीस लौटाने के लिए पहुंचे।