MSME : अब भी अटके हैं हजारों करोड़ों रु, जानिए पूरा मामला
नयी दिल्ली। माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एमएसएमई) सेक्टर को केंद्रीय मंत्रालयों और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (सीपीएसयू) के बकाया भुगतान में गिरावट देखी गई है। मंत्रालयों और सरकारी कंपनियों ने एमएसएमई को काफी बकाया चुका दिया है। ये एमएसएमई के एक ऐसे समस्या रही है, क्योंकि इससे छोटी फर्म्स के कैश फ्लो पर असर पड़ता है। एक तरह मंत्रालयों और सरकारी कंपनियों ने एमएसएमई को काफी बकाये का भुगतान कर दिया है, मगर अब भी छोटे कारोबारों के हजारों करोड़ रु अटके हुए हैं। आइए जानते हैं पूरा मामला।
कितना है पैसा बकाया
जिन यूनिट्स पर एमएसएमई फर्म्स का पैसा बाकी है उनमें कई राज्य सरकारें, राज्यों की सरकारी कंपनियां, रेलवे और प्रोपराइटरशिप फर्म्स शामिल हैं। एमएसएमई समाधान पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार बकाया चुकाने के 37,520 मामले अटके हुए हैं। इन मामलों में कुल राशि 12,597.64 करोड़ रुपये हैं। ये आंकड़े 30 सितंबर तक के हैं। इनमें राज्य सरकारों पर सबसे अधिक 2,349 करोड़ रु (3546 मामले) बाकी हैं।
कहां-कहां फंसा पैसा
राज्य सरकारों के अलावा सीपीएसयू पर 2,211 मामलों में 2,171.74 करोड़ रुपये, राज्यों की सरकारी कंपनियों पर 1,355 मामलों में 1,573.18 करोड़ रुपये और प्रोपराइटरशिप फ़र्म पर 6,483 मामलों में 851.97 करोड़ रुपये बाकी हैं। अन्य श्रेणियों में 18,441 मामलों में 4,468.23 करोड़ रु का बाकी है। ये वे मामले हैं जिनके लिए आवेदन किया गया है। 24 मंत्रालयों और 86 सीपीएसई पर अगस्त में कुल 3,770.04 करोड़ रुपये का बकाया बताया था, जिसमें से उसी महीने में 2,936.08 करोड़ रुपये अदा कर दिए गए थे।
जुलाई में कितना था बकाया
अगस्त के मुकाबले जुलाई में बकाया राशि 4,124.34 करोड़ रुपये थी, जिसमें से छोटे व्यवसायों को अदा की गई रकम 3,155.14 करोड़ रुपये रही। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सरकार ने एमएसएमई को पेमेंट के लिए बकायदा नियम बनाया हुआ है। सरकार के नियमों के मुताबिक खरीदार को ऑर्डर स्वीकार करने के 45 दिनों के भीतर भुगतान करना होता है।
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