Mukesh Ambani हर घंटे कमा रहे 90 करोड़ रुपये, जानिए पूरी रिपोर्ट
महामारी के प्रकोप से दुनिया अभी भी पूरी तरह से उबर नहीं पाई है। एक ओर जहां दैनिक मजदूरी से गुजारा करने वाली गरीब जनता को जद्दोजेहद करनी पड़ी, वहीं दूसरी ओर इसके ठीक विपरीत धन-कुबेरों के खजाने और भरते चले गए।
नई दिल्ली: महामारी के प्रकोप से दुनिया अभी भी पूरी तरह से उबर नहीं पाई है। एक ओर जहां दैनिक मजदूरी से गुजारा करने वाली गरीब जनता को जद्दोजेहद करनी पड़ी, वहीं दूसरी ओर इसके ठीक विपरीत धन-कुबेरों के खजाने और भरते चले गए। जी हां महामारी के दौरान अमीरों की आमदनी में बेहतासा बढ़ोतरी हुई है।
अरबपतियों की संपत्ति में वृद्धि हुई
ऑक्सफैम की रिपोर्ट द इनइक्वालिटी वायरस में कहा गया कि पिछले साल मार्च के बाद से भारत में 100 अरबपतियों की संपत्ति में 12,97,822 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है। इतनी राशि का वितरण यदि देश के 13.8 करोड़ सबसे गरीब लोगों में किया जाए, तो इनमें से प्रत्येक को 94,045 रुपये दिया जा सकता है। भारतीय अरबपतियों की दौलत लॉकडाउन के दौरान 35 फीसदी बढ़ी और 2009 के बाद यह 90 फीसदी बढ़कर 422.9 अरब डॉलर पहुंच गई। मार्च में कोरोना महामारी ने भारत में पैर पसारने शुरू किए थे।
मुकेश अंबानी ने हर घंटे बनाए 90 करोड़ रुपये
रिपोर्ट के मुताबिक महामारी के दौरान मुकेश अंबानी को एक घंटे में जितनी कमाई हुई, उतनी कमाई करने में एक अकुशल मजदूर को 10,000 साल लग जाएंगे या मुकेश अंबानी ने प्रति सेकंड जितनी आय हुई, उतनी कमाई करने में मजदूर को तीन साल लगेंगे। इस कोरोना काल में जाने-माने उद्योगपति मुकेश अंबानी ने जहां 90 करोड़ रुपये प्रति घंटे के हिसाब से धन कमाया, वहीं 24 प्रतिशत लोगों की एक महीने की आमदनी तीन हजार रुपये से भी कम रही। रिपोर्ट को विश्व आर्थिक मंच के दावोस संवाद के पहले दिन जारी किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस महामारी पिछले सौ वर्षों का सबसे बड़ा स्वास्थ्य संकट है और इसके चलते 1930 की महामंदी के बाद सबसे बड़ा आर्थिक संकट पैदा हुआ।
भारत में दुनिया की चौथा सबसे कम हेल्थ बजट
ऑक्सफैम की रिपोर्ट के लिए हुए सर्वे में 79 देशों के 295 अर्थशास्त्रियों ने अपनी राय दी। रिपोर्ट के अनुसार सरकारी खर्च के हिसाब से देखें तो भारत में दुनिया की चौथा सबसे कम हेल्थ बजट है। यदि भारत के टॉप 11 अरबपति महामारी के दौरान अपनी बढ़ी दौलत का सिर्फ एक फीसदी टैक्स देते तो इससे जन औषधि स्कीम का आवंटन 140 गुना बढ़ाया जा सकता था। इससे गरीब और वंचित तबके को सस्ती दवाइयां मिलती। बता दें, भारत ने महामारी के दौरान सबसे सख्त और सबसे पहले लॉकडाउन लगाने वाले देशों में रहा।
महामारी और लॉकडाउन के दौरान तेजी से बढ़ी अमीरों की दौलत
बता दें कि रिपोर्ट के मुताबिक कोयला, तेल, टेलिकॉम, मेडीसिन, फार्मा, शिक्षा और रिटेल जैसे सेक्टर्स में काम कर रहे मुकेश अंबानी, गौतम अडाणी, शिव नादर, सायरस पूनावाला, उदय कोटक, अजीम प्रेमजी, सुनील मित्तल, राधाकृष्ण दमानी, कुमार मंगलम बिरला और लक्ष्मी मित्तल जैसे अरबपतियों की संपत्ति मार्च 2020 के बाद महामारी और लॉकडाउन के दौरान तेजी से बढ़ी। वहीं दूसरी ओर, अप्रैल 2020 में प्रति घंटे 1.7 लाख लोग बेरोजगार हो रहे थे। महामारी के दौरान अमीर और अमीर हुए।
अरबपतियों की रैंकिंग में भारत का छठां स्थान
वहीं भारतीय अरबपतियों की दौलत लॉकडाउन के दौरान 35 फीसदी बढ़ी और 2009 के बाद 90 फीसदी बढ़कर 422.9 अरब डॉलर पहुंच गई। अरबपतियों की रैंकिंग में भारत का छठां स्थान है। अमेरिका, चीन, जर्मनी रूस और फ्रांस के बाद भारत का नंबर है। रिपोर्ट के अनुसार, टॉप 11 भारतीय अरबपतियों की जितनी दौलत महामारी में बढ़ी, उतना बजट ग्रामीण रोजगार योजना मनरेगा को 10 साल या स्वास्थ्य मंत्रालय के लिए 10 साल तक के लिए उपयोगीग होता। इस दौरान असंगठित क्षेत्र सबसे बुरी तरह प्रभावित रहा। कुल 12.2 करोड़ लोगों की नौकरियां चली गईं। इनमें से 75 फीसदी यानी 9.2 करोड़ नौकरियां असंठित क्षेत्र से गई।
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