MSME : 2 सालों के अंदर निर्यात में होगा 60 फीसदी योगदान
नयी दिल्ली। केंद्रीय एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक अगले सालों में इस सेक्टर का देश के कुल निर्यात में योगदान 60 फीसदी तक पहुंच जाएगा। उनके मुताबिक इस समय निर्यात में एमएसएमई क्षेत्र का 48 फीसदी योगदान है, जबकि एमएसएमई ने 11 करोड़ नौकरियां पैदा की हैं। उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह ग्राम उद्योग से संबंधित है। मार्च तक गाँव उद्योग का कारोबार 88,000 करोड़ रुपये के करीब पहुंच चुका है। उनके मुताबिक प्रधानमंत्री का सपना भारत को एक सुपर आर्थिक शक्ति और 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का है, जिसमें 100 लाख करोड़ रुपये का इन्फ्रास्ट्रक्चर है। इसलिए एमएसएमई की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।
एमएसएमई की परिभाषा बदलना ऐतिहासिक
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार नितिन गडकरी ने एमएसएमई की परिभाषा बदलने को भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सरकार द्वारा उठाया गया सबसे ऐतिहासिक और उल्लेखनीय फैसला है। पिछले 15 सालों से एमएसएमई की परिभाषा बदलने की बात चल रही थी, मगर कुछ नहीं हुआ। अब 1 करोड़ रुपये के निवेश और 5 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाले उद्यमों को अब सूक्ष्म उद्यम माना जाएगा। 10 करोड़ रुपये से कम के निवेश और 50 करोड़ रुपये से कम टर्नओवर वाले कारोबार को अब छोटे उद्यमों की कैटेगरी में रखा जाएगा। वहीं 50 करोड़ रुपये के निवेश और 250 करोड़ रुपये के कारोबार वाली इकाइयों को मध्यम उद्यम माना जाएगा।
ऐसे बढ़ेगा निर्यात
बता दें कि निर्यात से होने वाली इनकम को एमएसएमई के टर्नओवर से बाहर रखने का फैसला भी लिया गया है। इससे एमएसएमई को अधिक से अधिक निर्यात करने की छूट मिलेगी। एक्सपर्ट भी कहते हैं कि क्योंकि फर्म्स को अपने एमएसएमई का दर्जा और मिलने वाले फायदे खोने का डर नहीं रहेगा, इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे खुल कर निर्यात कर सकेंगी।
पीपीई किट मामले में भारत बना निर्यातक
गडकरी के अनुसार 2 महीने पहले पीपीई किट की कमी के चले हमने चीन से स्पेशल फ्लाइट में पीपीई किट मंगाई थीं। जबकि आज देश का एमएसएमई उद्योग प्रति दिन 5 लाख पीपीई किट तैयार कर रहा है। इसीलिए निर्माताओं को निर्यात करने की अनुमति दी जा चुकी है। एमएसएमई अब अपने पीपीई किट दुनिया के विभिन्न हिस्सों में निर्यात कर रहे हैं।
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