MSME : 2024 तक भारत की जीडीपी में होगा 216 अरब डॉलर का योगदान
नयी दिल्ली। एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) सेक्टर को अर्थव्यवस्था के लिए बहुत अहम माना जाता है। इस सेक्टर का जीडीपी में कापी योगदान होता है। साथ ही करोड़ों लोगों को रोजगार भी मिलता है। एक रिपोर्ट के अनुसार एमएसएमई के डिजिटलिकरण से ये सेक्टर 2024 तक भारत की जीडीपी में 158 से 216 अरब डॉलर का योगदान दे सकता है। सिस्को इंडिया एसएमबी डिजिटल मैच्योरिटी स्टडी 2020 के अनुसार छोटे और मझोले कारोबार (एसएमबी) के डिजिटलीकरण के जरिए ये सेक्टर 2024 तक भारत की जीडीपी में 158 से 216 अरब डॉलर तक का योगदान दे सकता है। साथ ही इससे कोरोना संकट के बाद देश के आर्थिक सुधार में भी मदद मिल सकती है।
68 फीसदी एसएमबी डिजिटल होने को तैयार
68 फीसदी भारतीय एसएमबी नए उत्पादों और सेवाओं को पेश करने के लिए डिजिटल ट्रांसफॉर्म होना चाहते हैं ताकि प्रतिस्पर्धा से खुद को अलग कर सकें और ग्रोथ हासिल कर सकें। 60 प्रतिशत यह स्वीकार करते हैं कि प्रतिस्पर्धा बदल रही है और उन्हें गति बनाए रखनी चाहिए। 50 प्रतिशत ग्राहकों की मांग के कारण डिजिटल ट्रांसफॉर्म करना चाहते हैं।
क्या है प्रमुख तकनीक
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार इस स्टडी के नतीजे से पता चलता है कि क्लाउड, डिजिटलाइजेशन के लिए एक बुनियादी स्तंभ, भारत में एसएमबी के लिए निवेश टॉप टेक्नोलॉजी है। 16 प्रतिशत एसएमबी के लिए ये सबसे बड़ी जरूरत है। इसके बाद सुरक्षा (13 प्रतिशत) और आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर सॉफ्टवेयर का अपग्रेड (12 प्रतिशत) का नंबर है।
कैसा है एशिया प्रशांत क्षेत्र में हाल
सामान्य रूप से एशिया प्रशांत क्षेत्र में एसएमबी चुनौतियों के बावजूद अपनी डिजिटलाइजेशन प्रोसेस की प्रगति को बनाए रखे हुए हैं। स्टडी के अनुसार इस क्षेत्र में 16 प्रतिशत एसएमबी अब अपग्रेड डिजिटल मैच्योरिटी चरणों में हैं, जबकि 2019 में यह 11 प्रतिशत थे। मगर 31 प्रतिशत एसएमबी ही बाजार में बदलाव के प्रति रीएक्टिव हैं और डिजिटल रूप से बदलने के लिए उन्होंने शायद ही कोई प्रयास किया हो।
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