GDP में बढ़ेगा MSME सेक्टर का योगदान, जानिए सरकार की तैयारी
नयी दिल्ली। केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक सरकार का लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में एमएसएमई (सूक्ष्म और लघु और मध्यम उद्यम) सेक्टर की हिस्सेदारी को 40 प्रतिशत तक बढ़ाना है। अभी लगभग 6.5 करोड़ एमएसएमई का जीडीपी में 30 फीसदी योगदान है। एमएसएमई का जीडीपी में योगदान बढ़ा कर सरकार गरीबों को लाभ पहुंचाना चाहती है। गडकरी ने जोर दिया कि गरीबों को सशक्त बनाने के लिए एक नीति बनाई जानी चाहिए। गडकरी के अनुसार सरकार पश्चिमीकरण के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन गांवों में आधुनिकीकरण के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा कि यह सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन का समय है।
गांवों में ट्रांसफॉर्मेटिव बदलाव
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में नवीन, रिसर्च आधारित प्रौद्योगिकी के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर स्थायी और ट्रांसफॉर्मटिव बदलावों लाने की बात कही। एमएसएमई पर केंद्र सरकार ने काफी ध्यान दिया है। हाल ही में पेश किए गए बजट में भी एमएसएमई के लिए आवंटन राशि दोगुनी कर दी गयी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि एमएसएमई के लिए आवंटन राशि को दोगुना किया जाएगा। वित्त वर्ष 2021-22 में सरकार एमएसएमई के लिए 15,700 करोड़ रु अलग रखेगी। पिछले बजट में एमएसएमई के लिए 7,520 करोड़ रु आवंटित किए गए थे।
छोटी कंपनियों के लिए नयी परिभाषा
बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने छोटी कंपनियों की परिभाषा बदलने की भी बात कही। छोटी कंपनियों की परिभाषा कैपिटल आधार पर बदली जाएगी। 50 लाख रुपये की मौजूदा सीमा से पूंजीगत आधार को बढ़ा कर 2 करोड़ रुपये करके छोटी कंपनियों की परिभाषा को बदला जाएगा।
ड्यूटी-फ्री चीजों का आयात
वस्त्र, चमड़ा और हस्तशिल्प वस्तुओं के निर्यातकों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ड्यूटी-फ्री चीजों के आयात पर छूट में सुधार कर रही है। कुछ प्रकार के लेदरों के आयात पर छूट को खत्म किया जा रहा है, क्योंकि इनका घरेलू स्तर पर अच्छी मात्रा और गुणवत्ता में उत्पादन होता है। ज्यादातर एमएसएमई ही इनका उत्पादन करते हैं।
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