MSME : नई परिभाषा से मिलेगा एक्सपोर्ट को बढ़ावा, जानिए कैसे
नयी दिल्ली। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की परिभाषा में बदलाव से इस सेक्टर को बड़ी राहत मिलेगी। एक्सपर्ट कहते हैं कि इससे कपड़े और रेडीमेड गार्मेंट के निर्यात में भी इजाफा होगा। पिछले महीने 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एमएसएमई सेक्टर के लिए नई परिभाषा का भी ऐलान किया था। बता दें कि अब 1 करोड़ रुपये के निवेश और 5 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाले उद्यमों को अब सूक्ष्म उद्यम माना जाएगा। 10 करोड़ रुपये से कम के निवेश और 50 करोड़ रुपये से कम टर्नओवर वाले कारोबार को अब छोटे उद्यमों की कैटेगरी में रखा जाएगा। वहीं 50 करोड़ रुपये के निवेश और 250 करोड़ रुपये के कारोबार वाली इकाइयों को मध्यम उद्यम माना जाएगा। इन तीनों श्रेणियों में एमएसएमई को अगले महीने से बांटा जाएगा।
कैसे बढ़ेगा निर्यात
दरअसल सरकार ने निर्यात से होने वाली इनकम को एमएसएमई के टर्नओवर से बाहर रखने का फैसला लिया है। इससे एमएसएमई को अधिक से अधिक निर्यात करने की छूट मिलेगी। क्योंकि फर्म्स को अपने एमएसएमई का दर्जा और मिलने वाले फायदे खोने का डर नहीं रहेगा। इससे एमएसएमई फर्म्स का आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे खुल कर निर्यात पर ध्यान दे सकेंगी।
कपड़ा उद्योग को फायदा
परिभाषा में बदलाव से कपड़ा उद्योग में बड़ी संख्या में निर्यातकों को अब एमएसएमई के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है और उन्हें ब्याज समानता योजना के तहत 5 प्रतिशत छूट का लाभ मिल सकता है। इससे भारतीय कपड़ा उद्योग विश्व बाजार में फैलेगा और भारत के कपड़ा निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। नतीजे में रोजगार के भी पैदा होंगे।
भारतीय जीडीपी में योगदान
एमएसएमई की भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका है। ये सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) के 29 प्रतिशत और भारत के कुल निर्यात में 48 प्रतिशत का योगदान देता है। कोरोनवायरस को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन के महीनों में कारोबार की स्थिति काफी खराब हो गई है। ऐसे में एमएसएमई की परिभाषा में परिवर्तन से घरेलू उत्पादन और निर्यात दोनों में बेहतरी की उम्मीद है।
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