MSME : Lockdown के दौरान कितनी फर्म्स हुईं बंद, नहीं है कोई आंकड़ा
नयी दिल्ली। कोरोना का कहर एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों) पर भी खूब टूटा। कोरोना ने एमएसएमई सेक्टर की कमर तोड़ दी। कोरोना और इसके काबू में रखने के लिए लगाए गए लॉकडाउन से एमएसएमई का कारोबार, सेल्स, प्रोडक्शन और निर्यात बुरी तरह प्रभावित हुआ। एमएसएमई सेक्टर पर खतरा मंडराने की रिपोर्ट्स भी आई। मगर इस बारे में कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है कि कितनी एमएसएमई फर्म्स लॉकडाउन के दौरान बंद हुईं। अब इस बात का खुलासा खुद सरकार ने संसद में किया है।
क्या है सरकार का जवाब
केंद्र सरकार ने शनिवार को संसद में बताया कि एमएसएमई फर्म्स की ऐसी संख्या का कोई आंकड़ा नहीं है, जो लॉकडाउन के दौरान बंद हो गईं। एमएसएमई राज्य मंत्री प्रताप चंद्र सारंगी ने मार्च से अगस्त 2020 तक कितने छोटे और मध्यम कारोबार बंद हुए इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि ऐसा कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। हालाँकि सरकार ने स्वीकार किया कि कोरोना महामारी ने सूक्ष्म, लघु उद्योगों सहित विभिन्न सेक्टरों को अस्थायी रूप से प्रभावित किया है, जिससे नौकरियों पर भी असर पड़ा है।
पिछले 5 सालो का भी आंकड़ा नहीं
दिलचस्प बात यह है कि सरकार ने ये भी कहा कि वित्त वर्ष 2014-15 से वित्त वर्ष 2019-20 तक बंद हुई एमएसएमई की संख्या पर भी कोई डेटा नहीं है। हालाँकि सरकार ने एमएसएमई सेक्टर के लिए किए गए उपायों की जानकारी जरूर दी। इनमें 20,000 करोड़ रुपये का सबोर्डिनेट लोन, 3 लाख करोड़ रुपये की इमरजेंसी क्रेडिट लोन स्कीम और 50000 करोड़ रु का इक्विटी निवेश भी शामिल है।
पुराना डेटा है उपलब्ध
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार एमएसएमई मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक कोविड से प्रेरित समस्याओं का समाधान करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला डेटा मुख्य रूप से 2013 का था। एमएसएमई पर उपलब्ध लेटेस्ट डेटा 2013 की आर्थिक जनगणना पर आधारित है। इन इकाइयों की वास्तविक संख्या का आकलन करने के लिए इसके बाद कोई रिसर्च नहीं की गई। दूसरे सरकार के पास रजिस्टर्ड एमएसएमई की संख्या का डेटा है।
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