MSME : 15 फीसदी इक्विटी निवेश करेगी सरकार, जानिए किसे मिलेगा फायदा
नयी दिल्ली। पहले से ही मुसीबत में चल रहे एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) सेक्टर को कोरोनावायरस से काफी तगड़ा झटका लगा। इस झटके से एमएसएमई को उबारने के लिए सरकार ने कई उपाय किए और 3 लाख करोड़ रुपये के क्रेडिट का भी ऐलान किया। सरकार ने एमएसएमई के लिए जो बड़े ऐलान किए हैं उनमें कुछ खास फर्म्स में 15 फीसदी इक्विटी निवेश किया जाना भी शामिल है। इसे बारे में एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी क्या कहते हैं आइये जानते हैं।
एमएसएमई के लिए है चुनौतियां
ईटी डिजिटल से बातचीत में नितिन गडकरी ने कहा कि यह बहुत स्पष्ट है कि एमएसएमई को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और यहां कार्यशील पूंजी (Working Capital) की दिक्कत है। मांग और आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हुई, लेकिन हम अब आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। भारत में राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात 70-80% के स्तर पर वापस आ गया है, बंदरगाह खुले हैं और निर्यात-आयात फिर से शुरू हो गया है। बाजार भी खुल गए हैं और सर्विस सेक्टर भी वापसी कर रहा है। नितिन गडकरी ने कहा कि इस महीने चीजें 70-80% तक सामान्य हो जाएंगी।
एमएसएमई को डायरेक्ट पैसा
गडकरी के मुताबिक प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) के जरिए गरीबों के खातों में सीधे पैसा भेजा गया है, मगर सरकार एमएसएमई के लिए ऐसी सुविधा देने की स्थिति में नहीं है। उन्होंने छोटे व्यवसायों का समर्थन और उनकी समस्याओं को हल करने की बात कही। एमएसएमई को बकाया लोन के 20 फीसदी तक का फाइनेंस दिया जा रहा है और भी रियायती दरों पर। गडकरी के अनुसार 3 लाख करोड़ रु के बिना गारंटी वाले लोन से 45 लाख एमएसएमई को फायदा मिलेगा।
एमएसएमई में इक्विटी निवेश
गडकरी के अनुसार वे एमएसएमई जो तेजी से ग्रोथ कर रही हैं और जिनका जीएसटी, आयकर और बैंक कारोबार का अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड है उन्हें सिम्प्लिफाइड सिस्टम के माध्यम से एक रेटिंग मिलेगी। उसी के आधार पर फर्म में 15 फीसदी इक्विटी निवेश किया जाएगा। इससे पूंजी बाजार में आगे बढ़ने की योजना वाली एमएसएमई को अच्छा समर्थन मिलेगा। साथ ही सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को भी 45 दिनों के भीतर एसएमई के सभी बकाया चुकाने के लिए कहा गया है। अब 1 करोड़ रुपये के निवेश और 5 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाले उद्यमों को अब सूक्ष्म उद्यम माना जाएगा। 10 करोड़ रुपये से कम के निवेश और 50 करोड़ रुपये से कम टर्नओवर वाले कारोबार को अब छोटे उद्यमों की कैटेगरी में रखा जाएगा। वहीं 50 करोड़ रुपये के निवेश और 250 करोड़ रुपये के कारोबार वाली इकाइयों को मध्यम उद्यम माना जाएगा।
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