MSME : महिला कारोबारियों के सपने हुए साकार, मोदी सरकार की योजना से मिला सहारा
नयी दिल्ली। मोदी सरकार ने एमएसएमई (सूक्ष्म और लघु और मध्यम उद्यम) के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इन्हीं में एक ऐसी योजना है जिससे महिला उद्यमियों को अपने सपने पूरे करने में काफी मदद मिली है। सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (सीजीटीएमएसई), जो सूक्ष्म और लघु उद्यमों (एमएसई) के लिए क्रेडिट गारंटी योजना ऑपरेट करता है, ने 67,171 महिला उद्यमियों के लोन खातों के लिए गारंटी स्वीकार की है। चालू वित्त वर्ष में 12 दिसंबर 2020 तक इन महिला उद्यमियों को 3366.63 करोड़ रु का लोन मिला है। इस बात की जानकारी एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में दी है।
पिछले साल 1 लाख से ज्यादा महिला उद्यमियों की मदद
सीजीटीएमएसई के तहत वित्त वर्ष 2019-20 में बिजनेस बढ़ाने और ग्रोथ के लिए 1,24,984 महिला उद्यमियों की मदद की गयी। इन महिला कारोबारियों को 5,367.38 करोड़ रु की मदद दी गयी। गडकरी ने आसान क्रेडिट उपलब्धता के लिए सरकारी योजना के तहत लाभ प्राप्त करने वाली महिला उद्यमियों की संख्या पर सवाल के जवाब में ये डेटा साझा किया।
डबल की गयी लोन राशि
एमएसएमई मंत्रालय और लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) ने मिल कर सीजीटीएमएसई की स्थापना की है। सीजीटीएमएसई एमएसई को गारंटी फ्री लोन दिलाने के लिए वित्तीय संस्थानों को क्रेडिट गारंटी देता है। मंत्रालय के एक बयान के अनुसार पूर्व एमएसएमई मंत्री गिरिराज सिंह ने फरवरी 2019 में सरकार की तरफ से लोन वितरण सीमा को 1 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये कर दिया था।
योजना की राशि बढ़ाई गयी
इसके अलावा योजना का फंड भी 2.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया। एमएसएमई मंत्रालय द्वारा प्रकाशित एमएसएमई डैशबोर्ड के आंकड़ों के अनुसार सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 में 8,38,947 ऋण खातों में 45,215.35 करोड़ रुपये की गारंटी दी और वित्त वर्ष 2018-19 में 4,35,520 खातों में 30,168.57 करोड़ रु की गारंटी दी गयी थी।
इन राज्यों में महिला कारोबारी आगे
31 दिसंबर 2020 तक महिला उद्यमियों के लोन खातों के लिए अनुमोदित गारंटी के मामले में जो राज्य सबसे आगे रहे उनमें पहला नंबर तमिलनाडु (8,593 खातों के लिए 394.50 करोड़ रुपये) का है। इसके बाद लिस्ट में उत्तर प्रदेश (6,289 खातों के लिए 3328.59 करोड़ रुपये), मध्य प्रदेश (5,927 खातों के लिए 215.42 करोड़ रुपये) आंध्र प्रदेश (5,208 खातों के लिए 143.16 करोड़ रुपये) और कर्नाटक (4,776 खातों के लिए 295.22 करोड़ रुपये) शामिल हैं।
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