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कोरोना लाया एक और मुसीबत, एक-तिहाई छोटे कारोबार बंद होने के करीब

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नयी दिल्ली। लॉकडाउन के पांचवे चरण के साथ ही UNLOCK-1 की शुरुआत हो गई है। मगर अब हालात ऐसे हो गए हैं कि एक-तिहाई (हर तीन में से एक) से अधिक छोटे और मध्यम कारोबारों में रिकवरी की कोई उम्मीद नहीं है, जिससे ये बंद होने की कगार पर पहुंच गए हैं। ऑल इंडिया मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एआईएमओ) ने 9 अन्य उद्योग संस्थाओं के साथ मिल कर एक सर्वे किया है, जिसमें ये खुलासा हुआ है कि एक-तिहाई से ज्यादा छोटे और मध्यम उद्योग बंद होने की कगार पर हैं। एआईएमओ के सर्वे में एमएसएमई, स्व-नियोजित (Self Employed), कॉर्पोरेट सीईओ और कर्मचारियों से 46,525 जवाब मिले। यह सर्वे 24 मई से 30 मई के बीच ऑनलाइन किया गया।

रिकवरी की उम्मीद नहीं

रिकवरी की उम्मीद नहीं

सर्वे में शामिल 35 फीसदी एमएसएमई और 37 फीसदी स्वरोजगार उत्तरदाताओं ने कहा कि उनके कारोबार में रिकवरी की उम्मीद नहीं है। वहीं 32 फीसदी एमएसएमई ने कहा कि उनकी रिकवरी में छह महीने लगेंगे। सिर्फ 12 फीसदी ने तीन महीने से कम समय में रिकवरी की उम्मीद जताई। अच्छी बात ये रही कि कॉर्पोरेट सीईओ की तरफ से कारोबार के लिए बेहतर आशा जताई गई। कॉर्पोरेट सीईओ ने 3 महीनों में रिकवरी की बात कही। एआईएमओ के पूर्व प्रेसिडेंट केई रघुनाथन के अनुसार ऑपरेशन में गिरावट और भविष्य में मिलने वाले कारोबारी ऑर्डर को लेकर अनिश्चितता छोटे और मध्यम उद्यमों की सबसे बड़ी चिंता है।

पूरी तरह कोरोना जिम्मेदार नहीं

पूरी तरह कोरोना जिम्मेदार नहीं

रघुनाथन कहते हैं कि व्यवसायों के बंद का पूरा कारण कोरोना महामारी नहीं सकती है। सर्वे शामिल लोगों को पिछले तीन सालों में पहले से ही कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था, जिनमें नोटबंदी, जीएसटी और अर्थव्यस्था में चल रही मंदी शामिल है। उनके अनुसार उनके लोन बढ़े होंगे और अब कोरोना ने ताबूत में अंतिम कील का काम कर दिया। उन्होंने ये भी कहा कि आजादी के बाद से इतने बड़े पैमाने पर व्यापारों को बर्बाद होते नहीं देखा देखा गया। भारत में सबसे कठिन लॉकडाउन में से एक लगाया गया था, जिसमें 17 मई को समाप्त होने वाले तीसरे चरण के बाद आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने के लिए थोड़ी-थोड़ी ढील दी गई।

कितने फीसदी कारोबार रहे अछूते

कितने फीसदी कारोबार रहे अछूते

एआईएमओ के सर्वेक्षण में यह भी पता चला है कि केवल 3 प्रतिशत एमएसएमई, 6 प्रतिशत कॉर्पोरेट्स, और 11 प्रतिशत स्व-नियोजित उत्तरदाताओं ने कहा है कि वे मौजूदा स्थिति से अप्रभावित रहेंगे और अच्छा काम करना जारी रखेंगे। इसकी वजह है लॉकडाउन के दौरान उनका आवश्यक सेवाओं की आपूर्ति में लगा होना। एमएसएमई, जिनकी संख्या 6 करोड़ से अधिक हैं और इनमें करीब 11 करोड़ लोग लगे हैं, इंटरनल भंडार कम होने और मांग घटने की वजह से दबाव में हैं। एमएसएमई सेक्टर देश के कुल विनिर्माण उत्पादन का लगभग 45 प्रतिशत, 40 प्रतिशत निर्यात और राष्ट्रीय जीडीपी में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान देता है।

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English summary

Coronavirus brought another trouble one third small businesses close to wind up

35 per cent of the surveyed MSMEs and 37 per cent of self-employed respondents said that there is no hope of recovery in their business. At the same time, 32 percent MSMEs said that their recovery will take six months.
Story first published: Tuesday, June 2, 2020, 19:57 [IST]
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