अजब-गजब : 10 हजार रु में शुरू की थी इस फल की खेती, अब कमाई है 10 लाख रु
नई दिल्ली, जनवरी 8। खेती करना हर किसी के बस की बात नहीं। दूसरी बात इससे मुनाफा कमा पाना और भी मुश्किल है। पर कुछ किसान थोड़ा अलग हट कर काम करते हैं या किसी खास चीज की खेती करे हैं और मोटा पैसा कमाते हैं। आपको बता दें कि इस तरह से तगड़ा मुनाफा कमाने वालों में गुजरात के कई किसानों ने मिसाल कायम की है। अब इस कड़ी में एक और नाम जुड़ गया है। ये नाम है मनसुख दुधात्रा का, जो वीरपुर के रहने वाले हैं। जानते हैं इन्होंने कैसे मुनाफा कमाया है।
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सिर्फ 10 हजार रु से की शुरुआत
गुजरात में जिन चीजों की खेती बड़े स्तर पर होती है उनमें प्याज, मूंगफली, टमाटर और खजूर आदि शामिल हैं। यहां कई अन्य फल भी हैं, जिनका स्वाद पूरा भारत लेता है। इन्हीं में से एक है शरीफा। जी हां शरीफा गुजरात में काफी पैदा होता है और मनसुख ने इसी फल से शुरुआत की और आज लाखों रु कमा रहे हैं। उन्होंने महज 10 हजार रु से शरीफे की खेती शुरू की थी।
4 सालों में बढ़ाया उत्पादन
पिछले करीब 4 सालों में मनसुख ने शरीफे का उत्पादन बढ़ाया। अब स्थिति यह है कि वे 1 किलो तक वजन वाले शरीफे उगा रहे हैं। आज मनसुख के शरीफे भारत ही नहीं बल्कि दुबई तक पहुंच रहे हैं, जहां इनकी खूब मांग भी हो रही। अहम बात यह है कि मनसुख 1-2 नहीं बल्कि अपने खेतों में शरीफे की कई किस्में उगाते हैं। इन्हीं 1 किलो वाले तक शरीफे होते हैं।
ये है खासियत
इन शरीफों में देसी शरीफा के मुकाबले बीज काफी कम होते हैं और यही इनकी सबसे बड़ी खासियत है। ये हाइब्रिड शरीफे होते हैं, जिनमें 15-20 बीज ही मिलेंगे। मगर देसी शरीफों में इनकी संख्या 40 बीज तक हो सकती है। इनका टेस्ट भी काफी शानदार होता है। वनइंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक मनसुख के बेटे के अनुसार स्वाद अच्छा होने से इनकी डिमांड काफी है।
सालाना 10 लाख रु का मुनाफा
इन शरीफों से मनसुख 10 लाख रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं। उन्होंने इनकी मार्केटिंग की, जिससे उनकी आमदनी में काफी इजाफा हुआ। मनसुख पहले देसी शरीफे (जिसे सीताफल भी कहा जाता है) की खेती करते थे। मगर तब उनका उत्पादन काफी कम था और कमाई भी कम थी। मगर फिर उन्होंने हाइब्रिड किस्म की खेती शुरू की। इससे प्रोडक्शन बढ़ा, जिसके नतीजे में लाभ भी बढ़ा।
बेटों ने भी बंटाया हाथ
मनसुख का मुनाफा बढ़ाने में मार्केटिंग ने अहम भूमिका निभाई। उनके दो बेटे हैं और दोनों ही शिक्षित हैं। उन्होंने कहीं नौकरी नहीं की। वे अपने पिता के साथ खेती में ही लग गए। अब दोनों भाइयों ने एक नर्सरी भी बनाई है। मनसुख के पास 10 बीघा जमीन है, जिसमें बागवानी होती। अधिकतर में शरीफा उगाया जाता है। मगर वे आगे इसमें और भी बढ़ोतरी करने जा रहे हैं। उनकी जमीन पर 900 हाइब्रिड किस्म के पेड़ हैं। वे रोज 35 से 40 किलोग्राम तक शरीफा हासिल करते हैं। फिर इसे 40 रु से 120 रु प्रति किलो तक बेचा जाता है। वैसे तो देसी शरीफा 2 से 3 दिन ही चल पाता है, मगर हाइब्रिड शरीफे 10 से 15 दिनों तक चल सकते हैं। सर्दियों में ये फल और भी कम खराब होते हैं।