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ऑलराउंडर किसान : कई तरीकों से हर साल कमाता है लाखों रु, ये है कामयाबी का राज

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नई दिल्ली, जुलाई 18। खेती तो सब किसान करते हैं, मगर हर किसान मोटा पैसा नहीं कमा पाता। पर अब कुछ किसान कुछ हट कर काम कर रहे हैं और तगड़ी कमाई भी। आज हम आपको यहां एक ऐसे ही किसान की जानकारी देंगे, जो किसानी के कई तरीकों से सालाना बहुत तगड़ी कमाई कर रहे हैं। ये हैं बिहार के बेगूसराय के जय शंकर कुमार। 48 वर्षीय जय शंकर एक प्रगतिशील और अभिनव किसान हैं। अहम बात यह है कि वो केमिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएट हैं। आगे जानते हैं कि कैसे उनकी सालाना कमाई इतनी तगड़ी हो गयी है।

 

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पहले करते थे सादा फसलों की खेती

पहले करते थे सादा फसलों की खेती

पहले जय शंकर पारंपरिक फसलें उगाते थे। इनमें मक्का, गेहूं, चावल और मोटे अनाज शामिल हैं। लेकिन कम मुनाफे ने उनके परिवार को बेहतर रिटर्न के विकल्पों की तलाश करने के लिए प्रोत्साहित किया। इसलिए जय शंकर ने कई प्रशिक्षण/जागरूकता कार्यक्रमों में भाग लिया और कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), बेगूसराय के वैज्ञानिकों के साथ बातचीत की कि कैसे अपनी आजीविका में सुधार किया जाए।

खास तकनीक के बारे में मिली जानकारी
 

खास तकनीक के बारे में मिली जानकारी

जय शंकर को इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम के बारे में पता चला और वे इससे बहुत आश्वस्त हुए। उन्होंने इसी के तहत बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन, वर्मीकम्पोस्ट, पक्षी पालन और कृषि फसलों पर काम एक साथ शुरू किया। उन्हें केवीके के तकनीकी बैकस्टॉपिंग का साथ मिला। उन्होंने लगभग 0.5 हेक्टेयर क्षेत्र में एक मछली तालाब भी तैयार किया और ताजे पानी में मोती की खेती करना शुरू कर दिया।

वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन में रुचि

वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन में रुचि

वर्मीकम्पोस्ट उत्पादन में जय शंकर की रुचि और समर्पण को देखते हुए, कृषि विभाग, बिहार सरकार ने उन्हें 25 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी। वे अब प्रति वर्ष 3000 मीट्रिक टन से अधिक वर्मीकम्पोस्ट का उत्पादन कर रहे हैं। इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम में, कृषि को पशुधन के साथ जोड़ा जा सकता है। साल भर इनकम जनरेट करने और अतिरिक्त पैसा कमाने के लिए मछली और मुर्गी आदि को एक ही स्थान पर रखा जाता है।

बागवानी की तरफ कदम बढ़ाए

बागवानी की तरफ कदम बढ़ाए

इसके अलावा, बागवानी विभाग ने जय शंकर को पॉली हाउस और बेमौसमी सब्जियों की खेती के साथ-साथ बाजार में जल्दी आपूर्ति के लिए पौधे उगाने के लिए अन्य इनपुट के साथ समर्थन दिया। केवीके, बेगूसराय ने उनके सभी प्रयासों में तकनीकी रूप से उनकी मदद की। केवीके के वैज्ञानिकों ने उनके एकीकृत कृषि प्रणाली मॉडल के सुधार और अपडेशन के लिए समय पर सुझाव दिए।

कितनी है कमाई

कितनी है कमाई

उनकी पारिवारिक आय जो एक समय लगभग 27000 रुपये प्रति माह या 3.24 लाख रु प्रति वर्ष थी, अब कई गुना बढ़ गयी है। मोती की खेती, मत्स्य पालन, वर्मीकम्पोस्ट, बागवानी और पक्षियों के इंटीग्रेशन के साथ उनकी इनकम प्रति माह 1 लाख रुपये या प्रति वर्ष 12 लाख से अधिक हो गई है। जय शंकर अब दूसरों की भी मदद कर रहे हैं। कृषि जागरण की रिपोर्ट के अनुसार वे बेगूसराय के केवीके जिले के ग्रामीण युवाओं के लिए मेंटर ट्रेनर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उनका खेत "रोल मॉडल" के रूप में किसानों के संपर्क में आने की सुविधा प्रदान करने में सहायक है, लेकिन उनका मानना है कि उनके अंदर का समर्पण किसान को उन्हें दूसरों से अलग बनाता है।

English summary

All rounder farmer earns lakhs of rupees every year in many ways this is the secret of success

Earlier Jai Shankar used to grow traditional crops. These include maize, wheat, rice and coarse cereals. But low profits encouraged his family to look for alternatives with better returns.
Story first published: Monday, July 18, 2022, 19:49 [IST]
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