कमाल : देश के 99 फीसदी कारोबार अब MSME के दायरे में, जानिए कैसे
नयी दिल्ली। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की परिभाषा में बदलाव ने भारत को छोटे व्यवसायों के देश में बदल दिया है। एमएसएमई की परिभाषा बदलने से लगभग करीब 99 फीसदी इकाइयां अब निवेश और टर्नओवर के दोहरे मापदंडों के आधार पर एमएसएमई की कैटेगरी में आती हैं। नई परिभाषा के तहत अब 1 करोड़ रुपये के निवेश और 5 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाले उद्यमों को अब सूक्ष्म उद्यम माना जाएगा। 10 करोड़ रुपये से कम के निवेश और 50 करोड़ रुपये से कम टर्नओवर वाले कारोबार को अब छोटे उद्यमों की कैटेगरी में रखा जाएगा। वहीं 50 करोड़ रुपये के निवेश और 250 करोड़ रुपये के कारोबार वाली इकाइयों को मध्यम उद्यम माना जाएगा।
क्या कहते हैं जीएसटी आंकड़े
प्लांट और मशीनरी में निवेश पारंपरिक पैरामीटर रहा है जिस पर एमएसएमई को वर्गीकृत किया गया है। इससे उन्हें कंसेशनल फाइनेंस जैसे कई बेनेफिट मिलते हैं। हालांकि जीएसटी सिस्टम लागू होने के बाद से उत्पाद शुल्क पर राहत का मुख्य बेनेफिट खत्म हो गया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार जीएसटी अधिकारियों के आंकड़े बताते हैं कि 99 फीसदी फर्म्स एमएसएमई परिभाषा में फिट हैं। जीएसटी नेटवर्क में पंजीकृत आधे से अधिक व्यवसायों में 20 लाख रुपये से कम का कारोबार होता है, जो पहले पंजीकरण सीमा थी।
आईटी के आंकड़े
अतिरिक्त राहत के रूप सरकार ने निर्यात से होने वाली इनकम को एमएसएमई के टर्नओवर से बाहर रखने का फैसला लिया है। आयकर विभाग (आईटी) के विश्लेषण से पता चला है कि जब निवेश की बात आती है तो भारत में कुछ हजार इकाइयाँ हैं जिन्होंने संयंत्र और मशीनरी या उपकरण में निवेश किया है और वो 50 करोड़ रुपये से अधिक है, जो मध्यम उद्यमों के लिए लिमिट है। ये आंकड़े नीति-निर्माताओं के लिए आश्चर्य के रूप में सामने आए हैं क्योंकि परिभाषा का विस्तार करने से पहले इन पर नजर नहीं डाली गई।
निर्यात को मिले बढ़ावा
दरअसल सरकार ने निर्यात से होने वाली इनकम को एमएसएमई के टर्नओवर से बाहर रखने का फैसला लिया है। इससे एमएसएमई को अधिक से अधिक निर्यात करने की छूट मिलेगी। क्योंकि फर्म्स को अपने एमएसएमई का दर्जा और मिलने वाले फायदे खोने का डर नहीं रहेगा। इससे एमएसएमई फर्म्स का आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे खुल कर निर्यात पर ध्यान दे सकेंगी। केंद्रीय एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक अगले सालों में इस सेक्टर का देश के कुल निर्यात में योगदान 60 फीसदी तक पहुंच जाएगा।
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