For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts

17 वर्षीय ने तैयार किया StartUp, रोज कई टन प्लास्टिक को बनाता है कपड़ा

|

नई दिल्ली, सितंबर 21। 2 साल पहले 2019 में आई कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार पूरे भारत में लैंडफिल (कचरे के बड़े ढेर) में 3.3 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक प्लास्टिक जमा हो गयी थी। हालांकि पर्यावरण पर बोझ को कम करने के लिए भीलवाड़ा, राजस्थान के रहने वाले आदित्य बांगर ने कुछ स्पेशल सोचा। आदित्य ने सिर्फ 17 साल की आयु में कपड़े बनाने के लिए प्लास्टिक की बोतलों, रैपरों और कवरों को रीसाइकिल करना शुरू कर दिया। सोचने में ये अजीब लग सकता है कि भला प्लास्टिक कैसे कपड़ा बनाया जा सकता है। मगर आदित्य ने इसे सच कर दिखाया।

Amul दे रही बिजनेस करने का मौका, सालाना 60 लाख रु तक होगी कमाईAmul दे रही बिजनेस करने का मौका, सालाना 60 लाख रु तक होगी कमाई

मजबूत होता है कपड़ा

मजबूत होता है कपड़ा

द बेटर इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार आदित्य राजस्थान के मायो कॉलेज के कक्षा 12 के छात्र हैं। आदित्य के अनुसार प्लास्टिक से कपड़ा बनाने के प्रोसेस में में एक या दो दिन लगते हैं, लेकिन तैयार होने वाला कपड़ा रेगुलर कॉटन की तुलना में अधिक मजबूत होता है और अधिक टिकाऊ भी होता है। उनकी कंपनी, ट्रैश टू ट्रेजर, को जनवरी 2021 में लॉन्च किया गया था और हर दिन वे कपड़े बनाने के लिए 10 टन प्लास्टिक को रीसाइकिल करती है।

चीन से लाए आइडिया

चीन से लाए आइडिया

आदित्य एक कपड़ा मैन्युफैक्चरिंग परिवार से ताल्लुक रखते हैं। दो साल पहले वे चीन की बिजनेस ट्रिप पर गए थे। वह कंचन इंडिया लिमिटेड के मालिक और अपने चाचा के साथ कपड़े बनाने की नई मैन्युफैक्चरिंग तकनीकों को देखने के लिए यात्रा पर गए थे। तभी उन्हें एक ऐसी यूनिट मिली, जो बड़ी मात्रा में प्लास्टिक कचरे को कपड़े में बदल रही थी। इससे न केवल लैंडफिल में जाने वाले कचरे में कमी आती है, बल्कि अच्छी क्वालिटी वाले प्रोडक्ट का उत्पादन भी करती है और स्थानीय स्तर पर रोजगार पैदा करती है।

परिवार को बताया बिजनेस आइडिया

परिवार को बताया बिजनेस आइडिया

वापस लौटने पर आदित्य, जो उस समय 10वीं कक्षा में थे, ने अपने परिवार को प्लास्टिक से कपड़े बनाने का बिजनेस शुरू करने का आइडिया दिया। उनके चाचा और माता-पिता सहमत हो गए और उनके कारोबार में मदद की। आदित्य ने एक विदेशी कंपनी के साथ मिलकर भीलवाड़ा में ही एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाई। इस प्रोजेक्ट को कंचन इंडिया लिमिटेड ने फाइनेंशियली सपोर्ट किया, जिसके लिए कपड़ा बनाया जाना था।

पूरे देश से मंगाना शुरू किया प्लास्टिक

पूरे देश से मंगाना शुरू किया प्लास्टिक

जनवरी 2021 में सरकार की तरफ से लॉकडाउन में ढील दी गई। तब आदित्य ने देश भर से प्लास्टिक कचरा मंगाना शुरू किया। स्थानीय कचरा संग्रह केंद्रों से संपर्क करके वे पीईटी ग्रेड प्लास्टिक को 40 रुपये प्रति किलोग्राम के रेट पर खरीदने लगे। बता दें कि प्लास्टिक से कपड़ा बनाने के पूरे प्रोसेस में सबसे पहले कचरा मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में जाता है और फिर इसे बढ़िया ढंग से साफ किया जाता है। इसके लेबल आदि हटा कर सूखने दिया जाता है। फिर इसे बारीक टुकड़ों में काटा जाता है। जहरीले रसायन हटाने के लिए पिघलाते हैं। फिर पिघला हुआ यही प्लास्टिक फाइबर बन जाता है। पिघले हुए प्लासटिक को ठंडा होने पर प्लास्टिक फिलामेंट भी कहा जाता है।

सामने है एक चुनौती

सामने है एक चुनौती

इस समय आदित्य डेली 10 टन प्लास्टिक को रीसाइकिल करते हैं। मगर इसे खरीदना उन्हें महंगा पड़ रहा है। अब वह उन लोगों से सीधे प्लास्टिक कचरा देने को कह रहे हैं, जो इसे रीसाइक्लिंग के लिए इकट्ठा कर रहे हैं।

English summary

17 year old started StartUp makes many tons of plastic cloth every day

Aditya belongs to a textile manufacturing family. Two years ago he went on a business trip to China.
Company Search
Thousands of Goodreturn readers receive our evening newsletter.
Have you subscribed?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X