SIP और STP में क्या है अंतर, क्या है आपके लिए बेस्ट, जानिए यहां
नई दिल्ली, सितंबर 19। जो लोग म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं, उन्हें एसआईपी यानी सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान के बारे में जरूर पता होगा। एसआईपी को निवेश का एक बेहतर और सेफ ऑप्शन माना जाता है। इस ऑप्शन में आपको एक साथ मोटी रकम का निवेश नहीं करना होता, बल्कि आप थोड़े-थोड़े पैसे जमा करके एक मोटा फंड तैयार कर सकते हैं। जानकार भी म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए इसी ऑप्शन को सबसे सही मानते हैं। एसआईपी के जरिए आप एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) और म्यूचुअल फंड योजनाओं में निवेश कर सकते हैं। एसआईपी निवेश में अस्थिरता को संभालने का सबसे अच्छा तरीका है। हालाँकि, एक और निवेश का तरीका है। ये है सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान या एसटीपी, जो उस लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगा, जिसके लिए आप म्यूचुअल फंड निवेश कर रहे हैं।
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क्या होती है एसटीपी
असल में एसटीपी एसआईपी का ही एक प्रकार है, जो निवेशकों को एक ही एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) की एक योजना से दूसरी योजना में (रेगुलर टाइम गैप पर) कुछ तय राशि ट्रांसफर करने की सुविधा प्रदान करती है। यह सुविधा निवेशकों को बिना किसी अड़चन के अलग-अलग एसेट क्लास में स्विच करके निवेश पोर्टफोलियो को रीबैलेंस करने में मदद करेगी। इससे अस्थिरता कम होती है।
दोनों में क्या है बेहतर
हम पहले बता चुके हैं कि एसटीपी में एक एसआईपी का ही एक प्रकार है। ये एसआईपी जैसा ही काम करेगी। इसके तहत एक निश्चित राशि किसी फंड में निवेश की जाएगी। मगर जानकारों के अनुसार यदि आप हर महीने थोड़ी-थोड़ी रकम के बजाय एक साथ मोटी रकम निवेश करना चाहें तो एसटीपी ज्यादा बेहतर मानी जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि आप किसी कम जोखिम वाली स्कीम में सारा पैसा लगा दें और फिर थोड़ा-थोड़ा निवेश इक्विटी जैसी जोखिम वाली स्कीमों में निवेश करते रहें।
जानिए एसटीपी के प्रकार
एसटीपी भी कई तरह की होती है। आप अपनी मर्जी और सुविधा के हिसाब से एसटीपी का कोई एक ऑप्शन चुन सकते हैं। पहला तरीका है फिक्स्ड एसटीपी, जिसमें आप एक तय रकम एक फंड से दूसरे फंड में ट्रांसफर करेंगे। दूसरा है कैपिटल एप्रिसिएशन एसटीपी, जिसमें एक स्कीम में हुए निवेश को दूसरी स्कीम में लगाया जाएगा। तीसरा ऑप्शन है फ्लेक्सी एसटीपी। इसमें आप एक स्कीम से दूसरी स्कीम में पैसा ट्रांसफर करने के लिए कम-ज्यादा रकम चुन सकते हैं।
एग्जिट लोड का ध्यान रखें
एग्जिट लोड यानी किसी स्कीम से एक निश्चित समय से पहले निकलने पर लगने वाला चार्ज। आपको म्यूचुअल फंड हाउस के एग्जिट लोड का ध्यान रखना चाहिए। ये चार्ज आमतौर पर इक्विटी फंड में लिए एक वर्ष से पहले पहले पैसे निकालने पर लगता है। मगर लिक्विड फंड पर कोई एग्जिट लोड नहीं होता। अधिकतर एसटीपी में बिना किसी एग्जिट चार्ज के ही लिक्विड फंड से इक्विटी फंड में पैसा ट्रांसफर होता है।
एसआईपी का फायदा
एसआईपी एक्टिवेट करने से हर महीने आपके बैंक खाते से एक निश्चित राशि कट जाती है, जो आपकी पसंद के म्यूच्यूअल फंड में निवेश हो जाती है। हर बार जब आप किसी म्यूचुअल फंड स्कीम में एसआईपी के माध्यम से निवेश करते हैं, तो आप अपने द्वारा निवेश की गई राशि के अनुरूप एक निश्चित संख्या में फंड यूनिट खरीदते हैं। एसआईपी के माध्यम से निवेश करते समय आपको बाजारों को समय देने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि आप तेजी और मंदी के बाजार के रुझानों से लाभान्वित होते हैं।