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Petrol-Diesel Price : कच्चे तेल के दाम घटने का आपको क्यों नहीं मिलता फायदा, जानिए पूरा मामला

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नयी दिल्ली। कहा जाता है कि भारत में पेट्रोल और डीजल की रिटेल कीमतें वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों से जुड़ी हैं। इसका मतलब है कि ऑटो ईंधन (पेट्रोल-डीजल) और विमानन टरबाइन ईंधन (एटीएफ) की कीमतें पूर्ण रूप से डिकंट्रोल (कीमतों के डिकंट्रोल का मतलब है कि सरकार उस वस्तु के मूल्य निर्धारण में हस्तक्षेप नहीं करती है) होनी चाहिए। जिसका साफ मतलब है कि अगर कच्चे तेल की कीमतें गिरें तो ईंधन की रिटेल कीमतों में भी कमी आनी चाहिए। कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने पर ईंधन की कीमतें बढ़नी चाहिए। मगर ऐसा होता नहीं दिख रहा है। फरवरी से कच्चे तेल के दाम काफी गिर गए, मगर पेट्रोल की कीमतें नहीं घटीं। आइये जानते हैं इसका कारण।

लगातार बढ़े रहे ईंधन के दाम

लगातार बढ़े रहे ईंधन के दाम

शुक्रवार को ऑटो ईंधन की कीमतों में लगातार छठे दिन बढ़ोतरी हुई। दरअसल तेल कंपनियों ने 82 दिनों के अंतराल के बाद रविवार से रोज कीमतें बदलने वाला सिस्टम शुरू कर दिया है। पिछले छह दिनों में पेट्रोल की कीमत में 3.31 रुपये प्रति लीटर और डीजल में 3.42 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। ये हालात तब हैं जब ब्रेंट और यूएस क्रूड इंडेक्स (डब्लूटीआई) में 10 फीसदी की गिरावट आई है।

क्या है ईंधन महंगा होने की वजह

क्या है ईंधन महंगा होने की वजह

होना तो चाहिए था कि कच्चे तेल के 10 फीसदी गिरने के साथ ही पेट्रोल-डीजल सस्ते होते, मगर नतीजा इसके उलट रहा है। दरअसल ऑयल प्राइस डीकंट्रोल भारत में एकतरफा है। यानी जब वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम बढ़ते हैं तो सरकार फौरन पेट्रोल-डीजल महंगा करती है, मगर जैसे ही कच्चा तेल सस्ता होता है तो सरकार अधिक आमदनी करने के लिए नए टैक्स और शुल्क पेट्रोल-डीजल पर लगा देती है। कीमतों के खेल के फायदे में सरकार रहती है। उपभोक्ता और फ्यूल रिटेलिंग कंपनियां नुकसान में रहती हैं।

इन कंपनियों के पास होनी चाहिए स्वतंत्रता

इन कंपनियों के पास होनी चाहिए स्वतंत्रता

प्राइस डीकंट्रोल से इंडियन ऑयल, एचपीसीएल या बीपीसीएल जैसी ईंधन खुदरा विक्रेताओं को अपनी लागत और मुनाफे की गणना के आधार पर पेट्रोल या डीजल की कीमतें तय करने की स्वतंत्रता मिलती है। मगर असल में ऐसा होता नहीं है। जानकारी के लिए बता दें कि फ्यूल प्राइस डीकंट्रोल एक स्टेप-बाय-स्टेप कवायद रही है, जिसमें सरकार ने 2002 में एटीएफ, वर्ष 2010 में पेट्रोल और अक्टूबर 2014 में डीजल को मुक्त किया था। इससे पहले सरकार कीमत तय करने में हस्तक्षेप करती थी, जिस पर ईंधन खुदरा विक्रेता डीजल या पेट्रोल बेचते थे। घरेलू एलपीजी और मिट्टी के तेल जैसे ईंधन अभी भी सरकार के नियंत्रण में हैं।

ग्राहकों को नहीं मिलता फायदा

ग्राहकों को नहीं मिलता फायदा

फरवरी की शुरुआत में क्रूड की कीमतें औसतन 55 डॉलर प्रति बैरल से गिर कर मार्च के शुरुआत में 35 डॉलर तक पहुंच गईं और फिर मार्च के अंत तक गिर कर 20 डॉलर तक पहुंच गई। अब कीमतें लगभग 37 डॉलर तक आ गई हैं। दूसरी ओर भारत में, ईंधन की खुदरा कीमतें 82 दिनों तक स्थिर रहीं, जबकि सरकार ने इस दौरान एक्साइज में 2 बार बढ़ोरी की। हालांकि सरकार ने दावा किया कि बढ़ोतरी का असर उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ा है, लेकिन ग्राहकों को कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का फायदा नहीं मिला। केंद्र के अलावा कई राज्यों ने भी इस दौरान ऑटो ईंधन पर टैक्स बढ़ाया।

कितना है ईंधन पर टैक्स

कितना है ईंधन पर टैक्स

केयर रेटिंग्स के अनुसार मई में उत्पाद शुल्क में दूसरे संशोधन के साथ सरकार पेट्रोल के बेस प्राइस पर लगभग 260 प्रतिशत (उत्पाद शुल्क और वैट) टैक्स वसूल रही है। डीजल के मामले में ये 256 फीसदी है। इसकी तुलना में पंप की कीमतों के प्रतिशत के रूप में ईंधन पर जर्मनी और इटली में खुदरा मूल्य का लगभग 65 प्रतिशत, यूके में 62 प्रतिशत, जापान में 45 प्रतिशत और अमेरिका में 20 प्रतिशत टैक्स लगता है। अब कोरोना संकट की स्थिति धीरे-धीरे दुनिया में सामान्य हो रही है तो तेल की कीमतें ऊपर की ओर बढ़ रही हैं। इसलिए जैसे ही ओएमसी (ऑयल मार्केटिंग कंपनियां) इस बढ़ोतरी को पास करती हैं उपभोक्ताओं को वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि का भार सहन करना पड़ता है। ध्यान रहे कि इस पूरे मामले में ओएमसी को भी फायदा नहीं होता, बल्कि सिर्फ सरकार फायदे में रहती है।

Crude Oil : सऊदी अरब ने बढ़ाए दाम, जानिए आप पर क्या पड़ सकता है असरCrude Oil : सऊदी अरब ने बढ़ाए दाम, जानिए आप पर क्या पड़ सकता है असर

English summary

Petrol Diesel Price Why you do not get the benefit of decreasing crude oil price know whole matter

Crude prices fell from an average of $ 55 per barrel in early February to $ 35 in early March and then to $ 20 by the end of March.
Story first published: Saturday, June 13, 2020, 19:09 [IST]
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