Mutual Fund : बढ़ती महंगाई में क्या हो रणनीति, जानिए और फायदा उठाइए
नई दिल्ली, जून 30। मुद्रास्फीति कई दशकों के उच्च स्तर की ओर बढ़ रही है, और इसके नतीजे में ब्याज दरें बढ़ रही हैं। महंगाई और ब्याज दरों की वजह से भारतीय शेयर बाजार उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे में म्यूचुअल फंड निवेशक अपने पोर्टफोलियो को सिकुड़ते (निवेश पर नुकसान) हुए देख रहे हैं। खासकर इक्विटी ओरिएंटेड योजनाओं में नुकसान हो रहा है। हालांकि लंबी अवधि के निवेशकों को चिंतित होने या अनावश्यक रूप से घबराने की जरूरत नहीं है। इस समय एक ऐसी निवेश रणनीति की आवश्यकता है जो आपके पोर्टफोलियो का ख्याल रख सके और लंबे समय में पैसा बना सके। आपको कुछ खास टिप्स फॉलो करने होंगे, जो हम आपको बताने जा रहे हैं।
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इक्विटी स्कीमों में अधिक निवेश
इक्विटी निवेशकों को एसआईपी या एकमुश्त (लम्प-सम) के जरिए अपने निवेश को टॉप अप करते रहना चाहिए। शेयर बाजार अपने हालिया ऐतिहासिक उच्च से लगभग 20% नीचे हैं। इसलिए निवेशकों के पास निवेश की लागत को एवरेज करने के लिए कम रेट पर नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) खरीदने का मौका है। आप एक सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (एसटीपी) का उपयोग करने पर भी विचार कर सकते हैं, जिसमें एक लिक्विड स्कीम में आपके एकमुश्त निवेश को व्यवस्थित रूप से लक्ष्य योजना में ट्रांसफर किया जाता है।
शॉर्ट और मीडियम टर्म डेब्ट फंड में निवेश करें
मौजूदा डेब्ट निवेशक या जो लोग डेब्ट में निवेश करना चाहते हैं, वे शॉर्ट टर्म डेब्ट फंड में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं। इनमें ब्याज दर में उतार-चढ़ाव के कारण प्रभावित होने की संभावना कम होती है। निवेशकों को यह याद रखना चाहिए कि ब्याज दरों में वृद्धि का डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स के प्राइस के साथ विपरीत संबंध होता है। इसका सीधा सा मतलब है कि डेब्ट फंड उच्च ब्याज चक्र में खराब प्रदर्शन करते हैं। साथ ही आप क्रेडिट-रिस्क डेब्ट फंड से बच सकते हैं।
डायनेमिक एसेट एलोकेशन फंड में निवेश करें
एसेट एलोकेशन एक सफल निवेश की कुंजी है। अलग-अलग एसेट क्लास के वैल्युएशन के आधार पर, निवेशकों को डेब्ट और इक्विटी के बीच एसेट आवंटन सुविधाओं वाली योजनाओं पर अधिक फोकस करना चाहिए। यह सुविधा वैल्यू के आधार पर आवंटन में लगातार बदलाव सुनिश्चित करती है, और निवेशकों को दोनों एसेट क्लास में से बेस्ट दिलाती है मिलता है।
एसआईपी कॉन्ट्रिब्यूशन बढ़ाएं
वार्षिक पोर्टफोलियो समीक्षा महत्वपूर्ण है। इसमें एसआईपी निवेश की मात्रा की समीक्षा भी जरूरी है। महंगाई को देखते हुए निवेशक को एसआईपी की रकम सालाना कम से कम 10 फीसदी बढ़ानी चाहिए। यह सुनिश्चित करता है कि आपकी निवेश वैल्यू भविष्य के वित्तीय लक्ष्य को प्रभावी ढंग से समय पर पूरा कर सके। ये तरीका निवेश के दौरान मुद्रास्फीति से उत्पन्न होने वाले तनाव को दूर रखता है।
पिट चुके सेक्टरों को चुनें
मौजूदा जैसी स्थिति में सेक्टर-ओरिएंटेड फंड्स, जिन्हें कोर डायवर्सिफाइड इक्विटी पोर्टफोलियो के लिए सैटेलाइट फंड के नाम से भी जाना जाता है, पर ध्यान दिया जा सकता है। हाल के महीनों में बैंकिंग, फार्मास्यूटिकल्स और आईटी जैसे क्षेत्रों में भारी गिरावट आई है। निवेशक ऐसी योजनाओं में एकमुश्त निवेश करने पर विचार कर सकते हैं, जो लंबे समय में आपके ओवरऑल निवेश पोर्टफोलियो में बहुत अधिक वैल्यू जोड़ सकते हैं। ये काम पिट चुके सेक्टर ही कर सकते हैं। क्योंकि उन्हीं में तेजी से रिटर्न देने की क्षमता होगी।