Mutual Fund : क्या है 15-15-15 रूल, जानें आप भी, होगा मोटा मुनाफा
नई दिल्ली, नवंबर 18। दौलत बढ़ाने के लिए म्यूचुअल फंड कोरोना काल में एक शानदार विकल्प के रूप में उभरा है। इनमें जारी मौजूदा तेजी अभी भी बरकरार है। पिछले करीब डेढ़ साल में कई स्कीमों ने तगड़ा रिटर्न दिया है। बल्कि इस दौरान निवेशकों का पैसा कई गुना तक बढ़ा दिया है। इसीलिए इस समय म्यूचुअल फंड निवेशकों के मन में कई सवाल हैं कि क्या उन्हें मुनाफा बुक करना चाहिए, अपने मौजूदा एसआईपी को बंद करना चाहिए या बाजार में तेजी का फायदे उठाते रहना चाहिए। ऐसे में 15-15-15 का एक शानदार रूल है, जो आपको ऐसे सवालों के जवाब ढूंढने में मदद करेगा।
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इन तीन बातों पर करें गौर
अब जैसा कि आप अच्छी तरह से जानते हैं कि म्यूचुअल फंड संपत्ति बढ़ाने में आपकी मदद कर सकते हैं। ऐसे में एक सरल नियम भी रखें जो आपको म्यूचुअल फंड में निवेश से संबंधित 3 पहलुओं का पता लगाने में मदद करेगा। ये हैं वो तीन पहलू :
- वे राशि जो आपको अपने वित्तीय लक्ष्य तक पहुंचने के लिए हर महीने बचाने की आवश्यकता है
- आपको कब तक निरंतर निवेश करना होगा
- 1 करोड़ रुपये के लक्ष्य तक पहुँचने के लिए आपको कितनी ग्रोथ रेट की जरूरत होगी
म्यूचुअल फंड निवेश में 15-15-15 नियम को समझें
यह नियम ऊपर चर्चा किए गए सभी 3 फैक्टर (सालाना रिटर्न, निवेश के वर्षों की संख्या और जरूरी ग्रोथ रेट) को दर्शाते हुए तीन बार 15 के आंकड़े का उपयोग करता है। तो 1 करोड़ रुपये की राशि जमा करने के लिए, 15 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि और 15 साल यानी 15*12 महीने के लिए निवेश और 15000 रुपये प्रति माह की राशि आपके लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करेगी।
कितने निवेश पर कितना फायदा
यहां 15 साल के कार्यकाल में किए गए 27 लाख रु के निवेश पर कोई भी व्यक्ति 73 लाख रुपये तक का लाभ हासिल कर सकता है। अपने लक्षित टार्गेट की बेहतर प्राप्ति के लिए, आपको महंगाई और लक्ष्य के लिए एडजस्टेड राशि को पर भी ध्यान देना होगा।
दो जरूरी बातें
लंबे समय के लिए निवेश, मगर भूलें नहीं
निवेश लंबे समय के लिए किया जाना चाहिए। मगर निवेश करके भूलने वाली चीज नहीं है। बल्कि नियमित रूप से इस पर नजर रखें। अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करें। हर स्कीम का रिटर्न चेक करते रहें। अगर किसी फंड में फायदा न हो तो जानकार से सलाह लेकर फंड बदल लें। उस फंड में जाएं जहां उद्देश्य पूरा होने की ज्यादा उम्मीद हो।
सबसे अहम होता है टार्गेट
किसी भी फंड से पैसा निकालने पर तभी विचार करना चाहिए जब वित्तीय लक्ष्य प्राप्त हो चुका हो या फिर होने वाला हो। लक्ष्य पूरा होने वाला हो और आप उससे पैसा निकाल लें ऐसी सलाह जानकार इसलिए देते हैं क्योंकि यदि आपके एक दम मैन टाइम पर बाजार गिरा तो फंड घटेगा। इसलिए जानकार कहते हैं कि टार्गेट पूरा होने से थोड़ा पहले पैसा निकाल कर एफडी जैसे नॉन-रिस्क ऑप्शन में निवेश करें। बाकी समय के साथ स्कीमों के रिटर्न पर ध्यान देना और कम फायदे वाली स्कीम से बाहर निकलना आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए।