Mutual Fund : नो रिस्क और शानदार रिटर्न के लिए फॉलो करें ये टिप्स
नई दिल्ली, दिसंबर 6। एक बार जब कोई निवेशक म्यूचुअल फंड में निवेश करने का फैसला कर लेता है, तो उसे यह भी चुनना होता है कि वे किस योजना में निवेश करना चाहता है। जैसे कि फिक्स्ड इनकम फंड, इक्विटी फंड या बैलेंस्ड में। साथ ही उसे एक एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) भी चुननी होती है। उदाहरण के लिए यदि आपके पास लंबी अवधि वाला टार्गेट है तो एक इक्विटी या बैलेंस्ड फंड बढ़िया होगा। निवेश करने के लिए फंड टाइप, कंपनी आदि पर फैसला लेने के बाद आपको ट्रैक रिकॉर्ड, फंड मैनेजर आदि की जानकारी जरूर लें। बाकी कुछ ऐसे टिप्स भी हैं, जिनसे आप म्यूचुअल फंड में अदिक रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं और आपका रिस्क भी न्यूनतम होगा।
Mutual Fund : क्या है 15-15-15 रूल, जानें आप भी, होगा मोटा मुनाफा
रिस्क लेने की क्षमता
बाजार काफी उतार-चढ़ाव वाली जगह है। मगर फिर भी आप म्यूचुअल फंड से 12-15 प्रतिशत सालाना रिटर्न हासिल कर सकते हैं। ये रिटर्न एफडी जैसे डेब्ट ऑप्शनों के मुकाबले कहीं अधिक है। यह रिटर्न इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप कैसे स्कीम चुनते हैं। मगर आपको ध्यान रखना है कि रिस्क लेने की क्षमता तक ही इक्विटी स्कीम में निवेश करें। इक्विटी में अधिक रिटर्न के साथ साथ जोखिम भी होता है। अगर आप ज्यादा रिटर्न की उम्मीद नहीं करते और जीरो रिस्क लेना चाहते हैं तो डेब्ट फंड में निवेश करें।
रिसर्च है जरूरी
म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले आपको रिसर्च करनी होगी। क्योंकि किसी नॉन-एक्सपर्ट की बात पर भरोसा करके पैसा लगाना सही नहीं है। बल्कि जरूरी है कि आप अच्छे से रिसर्च करें। इस काम में चाहे महीने या दो महीने का समय लगे पर आप आपको इतनी जानकारी हासिल करनी ही होगी कि आप सही स्कीम चुन सकें। रिसर्च से जानकारी बढ़ेगी और नुकसान की संभावना कम होगी।
पोर्टफोलियो करें रेडी
आपको इक्विटी स्कीमों और डेब्ट फंड स्कीमों के पोर्टफोलियो तैयार करने होंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि डेब्ट और इक्विटी में कुछ चीजें अलग-अलग ही देखी जाती हैं। पहला कि पोर्टफोलियो में ब्याज दर जोखिम, क्रेडिट जोखिम और रिटर्न अलग होते हैं। दूसरा डेब्ट का ताल्लुक शेयर बाजार से नहीं होता। मगर इक्विटी स्कीम शेयर बाजार से जुड़ी होती है।
एसआईपी से करें निवेश
म्यूचुअल फंड में निवेश करने का सबसे आसान तरीका एसआईपी है। यहां आपको हर महीने एक निश्चित राशि का निवेश करने की आवश्यकता होती है। यह एक लॉक-इन अवधि के साथ आते है जो निवेश में अनुशासन बनाने मदद करता है। आप कम से कम पांच साल या उससे अधिक की अवधि वाली लंबी अवधि की योजनाओं से बेहतर रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं। इक्विटी बाजारों में छोटी अवधि में अधिक उतार-चढ़ाव हो सकता है लेकिन आमतौर पर लंबी अवधि में ऊपर की ओर रुझान होता है। इसलिए लंबी अवधि के लिए एसआईपी करते रहें।
प्रोफेश्नल से मदद लें
एक वित्तीय सलाहकार की मदद लेने पर विचार करें जो आपकी आवश्यकताओं के अनुसार सही फंड का चयन करने में आपको रास्ता दिखा सकता है और निवेश प्रोसेस का ध्यान रखता है। साथ ही, कुछ म्यूचुअल फंड कंपनियां अच्छी योजनाओं को चुनने, तुलना करनेऔर निवेश करने में भी आपकी मदद कर सकती हैं।