Lockdown : अगर लौट आए हैं गांव, तो ऐसे करें कमाई
नयी दिल्ली। कोरोनावायरस के कारण देश में भर में लॉकडाउन में फिर से 2 हफ्तों की बढ़ोतरी की गई है। लॉकडाउन के कारण अगर आप कोई काम नहीं कर पा रहे हैं तो हम आपको इसका एक शानदार तरीका बताते हैं। जिन लोगों के पास थोड़ी भी जमीन है वे बेहद कम लागत में चुंकदर की खेती करके अच्छी खासी रकम कमा सकते हैं। दरअसल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सेंट्रल एरिड जोन रिसर्च इंस्टीट्यूट (काजरी) का एक परीक्षण सफल हुआ है, जिसमें वैज्ञानिकों ने चुंकदर की एक विदेशी किस्म को भारत में उगाया। भारत की जमीन उस चुंकदर की किस्म के लिए एक दम परफेक्ट रही। खास बात यह है कि वैज्ञानिकों ने अपने परीक्षण में 1 हेक्टेयर जमीन पर 200 टन चुकंदर उगाया। जैसा कि हमने बताया कि कम लागत में कमाई का ये एक शानदार माध्यम है तो बता दें कि प्रति किलो चुकंदर लागत सिर्फ 50 पैसे रही। इस चुकंदर को जानवरों के चारे के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर हम जानवरों के हरे चारे की बात करें तो उसकी लागत करीब 3 रुपये प्रति किलो आती है। ऐसे में चारे वाले चुकंदर की कीमत हरे चारे के मुकाबले काफी कम है।
इन इलाकों के लिए शानदार विकल्प
जानकार बताते हैं कि भारत के कई इलाके सूखे हैं। जहां रहने वालों किसानों के लिए उनके जानवर रोजी-रोटी का जरिया होते हैं। मगर ऐसे इलाकों में चारे की कमी रहती है। ऐसे में चुकंदर की इस किस्म को हरे चारे की जगह इस्तेमाल किया जा सकता है। चुंकदर की ये किस्म हॉलेंड की है। इसका नाम बीटा वल्गेरिस है। सूखे इलाकों में दूध देने वाले जानवरों के खाने के लिए ये बेहतर विकल्प है। इस चुकंदर में आयरन, कार्बोहाइड्रेट, कई तरह के विटामिन और एंथोसाइनिंग जैसे पौष्टिक तत्व मौजूद हैं। यानी इन्हें खाने वाले जानवरों को काफी बेहतर भोजन मिलेगा, जिससे वे अधिक दूध देंगे।
कमाई का शानदार तरीका
इस चुकंदर को उगा कर जानवरों के चारे अलावा इंसानों के खाने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। वैज्ञानिक बताते हैं कि इस किस्म की मिठास कम होती है, मगर डायबिटीज मरीजों के लिए ये काफी मुफीद है। यानी इस चुंकदर को उगा कर आप दो तरीकों से कमाई कर सकते हैं। चुकंदर की इस किस्म को उगाने में आपको कई सुविधाएं भी मिलेंगी। जैसे कि आप इसके लिए बंजर जमीन भी ले सकते हैं। यानी अच्छी जमीन पर अन्य चीजों की खेती के अलावा खराब जमीन पर इस चुकंदर को उगाया जा सकता है। साथ ही सिंचाई के लिए आप बेकार या नमकीन पानी भी इस्तेमाल कर सकते हैं। ये आपकी लागत कम करेगा।
किसानों ने किया सफल परीक्षण
राजस्थान के 600 से ज्यादा किसानों ने इस चुकंदर का सफल परीक्षण किया है। राज्य की जिन जगहों पर किसानों को कामयाबी मिली है उनमें सिरोही, बीकानेर, सीकर, झुंझुनू, अजमेर, जयपुर, चूरू, भरतपुर, बाड़मेर, जोधपुर, नागौर, पाली, श्री गंगानगर, अलवर, कोटा और बूंदी शामिल हैं। अगर आप इसकी खेती करने के इच्छुक हैं तो आपको किसान काजरी, जोधपुर से संपर्क करना होगा। इसके बीच हॉलैंड से ही आयात करने होंगे क्योंकि ये एक पेटेंट उत्पाद है।
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