बैटरी को लेकर भारत में बड़ी खोज, खत्म हो जाएगी चीन की बादशाहत
नई दिल्ली। भारत में हुई एक खोज दुनिया को बदलने का दम रखती है। दुनियाभर से चालाकी दिखाते हुए लीथियम की खदानों पर कब्जा करने वाले चीन की बादशाहत भी खत्म हो सकती है। अभी दुनियाभर में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बनने वाली लीथियम आयन बैटरी में इस्तेमाल होने वाला लीथियम चीन के कब्जे में है। दुनिया में लीथियम रिजर्व का करीब 65 फीसदी बोलिविया और चिली में पाया जाता है। लेकिन यहां की खदानों पर चीन ने कब्जा जमा रखा है। स्थिति यह है कि चीन के चलते दुनियाभर में बैटरी की कीमतें घट नहीं पा रही हैं। ऐसे में भारत में एक स्टार्टअप ने लीथियम आयन बैटरी का विकल्प खोजा है। यह बैटरी की दुनिया बदल कर रख देगा। यह बैटरी सस्ती, हल्की और 15 मिनट में पूरी तरह से चार्ज होने वाली है। सबसे बड़ी बात है कि इसके उत्पादन की सामाग्री भारत में पर्याप्त रूप से उपलब्ध है। पिछले महीने ही, दोनों फउउंडर्स को फोर्ब्स इंडिया की अंडर 30 लिस्ट में जगह मिली थी।
-आइये जानते हैं कि क्या है यह खोज और किसने की है।
गीगाडाइन एनर्जी ने की है इस नई बैटरी की खोज
मुंबई के स्टार्टअप गीगाडाइन एनर्जी ने यह खोज की है। तारीफ की बात यह है कि इस स्टार्टअप में संस्थापकों को मिलाकर केवल 8 लोग ही हैं। इसके संस्थापको जुबिन वर्गीज और अमेय गाडीवान की टीम ने यह बैटरी तैयार की है। यह बैटरी केवल 15 मिनट में पूरी तरह से चार्ज हो सकती है। अभी इलेक्ट्रिक वाहनों की कुल कीमत में 40 फीसद उसमें लगने वाली बैटरी का दाम ही होता है। ऐसे में यह सस्ती बैटरी इलेक्ट्रिक वाहरों का दाम घटा देगी।
कार्बन से तैयार हुई है यह बैटरी
स्टार्टअप गीगाडाइन एनर्जी के संस्थापकों जुबिन वर्गीज और अमेया गदवान के अनुसार उन लोगों ने लीथियम आयन की जगह कार्बन और उसके डेरिवेटिव्स का इस्तेमाल किया है। ऐसी बैटरी की लाइफ ज्यादा है और यह जल्द ही चार्ज हो जाती है। इन लोगों के अनुसार यह बैटरी 15 मिनट में पूरी तरह से चार्ज हो जाएगी। इतना ही समय लगभग लोगों को अपने वाहन मे पेट्रोल या डीजल भराने में लगता है। इन लोगों का दावा है कि यह बैटरी सामान्य बैटरी जैसी ही है, बस बनी कार्बन से है। इन लोगों के अनुसार देश में कार्बन का पर्याप्ल भंडार है। इसलिए इसके भारी पैमाने पर उत्पादन में कोई दिक्कत नहीं आएगी।
जानिए कितना बड़ा है बैटरी का बाजार
भारत सरकार 2030 तक 100 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार देश में तैयार करना चाहती है। लेकिन इसमें सबसे बड़ी बाधा इलेक्ट्रिक वाहन की बैटरी के लिए बैटरी ही है। इन लोगों के अनुसार उन्होंने उनकी बैटरी की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है, जिससे कई समस्याओं का हल निकल आएगा। गीगाडाइन एनर्जी की योजना अपनी इस नई बैटरी का व्यवसायिक उत्पादन 2020 की शुरुआत तक शुरू हो जाए। स्टार्टअप ने जो प्रोटोटाइप तैयार किया है, उसकी क्षमता 1 किलोवॉट आवर (केवीएच) तक है। उनके अनुसार नीति आयोग के इलेक्ट्रिक व्हीकल मिशन 2030 के मुताबिक, भारत में 2030 तक ईवी बैटरीज का घरेलू बाजार 300 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।
लीथियम-आयन बैटरी से 50 गुना ज्यादा क्षमता है इस बैटरी की
जुबीन और अमेय ने कॉलेज छोड़ दिया और 2015 में गीगाडाइन एनर्जी की शुरुआत की थी। उनका दावा है कि आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली लीथियम-आयन बैटरी की अपेक्षा उनकी तकनीक से तैयार बैटरी की लाइफ 50 गुना तक ज़्यादा है। इस स्टार्टअप कुछ पेटेन्ट्स के लिए आवेदन भी दे रखा है। कंपनी देश की पहली सुपरकैपेसिटर आधारित बैटरी मैनुफैक्चरर बनना चाहती है। कंपनी चाहती है कि उनकी तकनीक से बनीं बैटरी का इस्तेमाल न सिर्फ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में हो, बल्कि अन्य कंज्यूमर डिवाइसेज में भी इनका इस्तेमाल हो सकता है।