जन औषधि योजना : घर में सरकारी मेडिकल स्टोर खोलने का मौका
नई दिल्ली। बजट 2020 में किसी को कुछ मिला हो या न मिला हो, लेकिन अगर आप अपने शहर में ही रहकर रोजगार शुरू करना करना चाहते हैं, तो यह मौका जरूर मिला है। यह मौका वर्ष 2024 तक जनऔषधि केन्द्र के तहत मिलने जा रहा है। बजट में बताया गया है कि इस योजना का विस्तार हर जिले में किया जाएगा। जनऔषधि योजना के जरिए सरकार सस्ती दवाएं मेडिकल स्टोर से बेचती है। इन्हीं मेडिकल स्टोर को जनऔषधि केन्द्र कहा जाता है। कुछ शर्तें पूरी करके कोई भी इस सरकारी मेडिकल स्टोर खोलने का लाइसेंस ले सकता है। इस योजना का पूरा नाम प्रधानमंत्री जन-औषधि योजना (पीएमजेएवाई) है।
6000 जनऔषधि केन्द्र खुल चुके हैं
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में दी जानकारी के अनुसार अब तक देशभर में कुल 6 हजार जनऔषधि केंद्र खोले जा चुके हैं। इन केंद्रों में अभी 800 से ज्यादा तरह की दवाएं बिकती हैं। वित्त मंत्री के अनुसार अगले 4 साल के दौरान इन केंद्रों से 2000 तरह दवाएं और कम से कम 300 शल्य चिकित्सा के उपकरण बेचे जाएंगे।
3 कटेगिरी में हैं खोल सकते हैं जनऔषधि केंद्र
-पहली कैटेगरी के तहत कोई भी व्यक्ति, बेरोजगार फार्मासिस्ट, डॉक्टर, रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर जनऔषधि केंद्र खोल सकता है
-दूसरी कैटेगरी के तहत ट्रस्ट, एनजीओ, प्राइवेट हॉस्पिटल, सोसायटी और सेल्फ हेल्प ग्रुप को जनऔषधि केंद्र खोल सकता है
-तीसरी कैटेगरी में राज्य सरकारों की ओर से नॉमिनेट एजेंसी जनऔषधि केन्द्र खोल सकती है
जानिए कहां से मिलेगा फार्म
जनऔषधि केन्द्र के लिए रिटेल ड्रग सेल्स का लाइसेंस जन औषधि केंद्र के नाम से लेना होता है। 120 वर्गफुट एरिया दुकान खोलने के लिए आपके पास होना चाहिए। जन औषधि केन्द्र के लिए फार्म यहां से डाउनलोड करें
-इसके बाद आपको आवेदन ब्यूरो ऑफ फॉर्मा पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग ऑफ इंडिया के जनरल मैनेजर(एएंडएफ) के नाम से भेजना होगा।
सरकारी मदद का विवरण
सरकार जन औषधि केंद्र खोलने पर 2.5 लाख रुपये तक की मदद करती है। जनऔषधि केंद्र से दवाओं की बिक्री से 20 फीसदी तक का मार्जिन मिलता है। इसके अलावा हर महीने की बिक्री पर अलग से 15 फीसदी इंसेंटिव दिया जाता है। हालांकि इंसेंटिव की अधिकतम सीमा 10 हजार रुपये महीने तक फिक्स है। यह इंसेंटिव तब तक मिलेगा, जब तक कि 2.5 लाख रुपये पूरे न हो जाएं। वहीं नक्सल प्रभावित और नॉर्थ ईस्ट के राज्यों में इंसेंटिव की अधिकतम सीमा 15 हजार रुपये प्रति माह तक है।