अगर खरीदी है ये कार, तो मिलेगी इनकम टैक्स में छूट
नई दिल्ली। आमतौर पर देश में माना जाता है कि अगर इनकम टैक्स बचाना है, तो टैक्स सेविंग देने वाली जगहों पर निवेश करना होगा। इसके अलावा एक और तरीका है कि लोग होम लोन लेकर घर या फ्लैट खरीद लें। होम लोन के प्रिंसिपल अमाउंट पर 1.5 लाख रुपये तक की इनकम टैक्स छूट मिलती है। इसके अलावा इस लोन के चुकाए जाने वाले ब्याज पर भी इनकम टैक्स की छूट अलग से मिलती है। लेकिन अगर आपके पास पहले से ही घर है और आप बिना निवेश किए इनकम टैक्स की छूट चाहते हैं तो अब यह भी संभव है। पिछले बजट में ही सरकार ने आपको कार खरीदने पर इनकम टैक्स की छूट प्रदान की थी। लेकिन ज्यादातर लोगों को यह याद ही नहीं रहा है कि इस तरह से भी इनकम टैक्स बचाया जा सकता है। इस तरीके में आप कार को खरीदने का शौक भी पूरा कर सकते हैं, और इस कार को खरीदने के लिए के कार लोन के ब्याज पर इनकम टैक्स की छूट भी पा सकते हैं।
आइये जानते हैं कि यह इनकम टैक्स छूट किन कारों पर मिलेगी और इसे कैसे लिया जा सकेगा। सरकार ने यह स्कीम कितने समय के लिए चलाई और कितनी इनकम टैक्स छूट पाई जा सकती है।
इलेक्ट्रिक कार खरीदने पर मिल रही है इनकम टैक्स की छूट
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट में संसद में इलेक्ट्रिक कार खरीदने वालों को इनकम टैक्स की छूट की घोषणा की गई थी। इसके तहत अगर कोई व्यक्ति इलेक्ट्रिक कार खरीदता है तो उसे 1.5 लाख रुपये तक इनकम टैक्स की छूट दी जाएगी। यह छूट मूल रकम की जगह इलेक्ट्रिक कार खरीदने के लिए लोन के ब्याज पर दी जाएगी। यानी अगर आपने पूरे साल में 1.5 लाख रुपये तक का ब्याज चुकाया है तो इनकम टैक्स की छूट क्लेम कर सकते हैं। यह जरूरी नहीं है कि अगर ब्याज की रकम 1.5 लाख रुपये है तभी यह छूट मिलेगी। अगर आपने 1 रुपये भी ब्याज के रूप में चुकाया है, तो आप यह इनकम टैक्स की छूट ले सकते हैं।
जानिए किस सेक्शन के तहत मिलेगी यह छूट
इलेक्ट्रिक कार खरीदने के लिए लोन के ब्याज पर इनकम टैक्स की यह छूट सेक्शन 80ईईबी के तहत मिलेगी। इलेक्ट्रिक कार खरीदने के लोन के ब्याज पर नए टैक्स डिडक्शन का क्लेम आप 1 अप्रैल 2020 से आयकर कानून के सेक्शन 80ईईबी के तहत कर पाएंगे। सरकार ने यह छूट 4 साल के लिए दी है। यानी आप इलेक्ट्रिक कार लोन पर 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2023 के बीच खरीद सकते हैं। अगर आप इस मद में इनकम टैक्स की छूट लेना चाहते हैं तो अभी भी यह ऐसी कार खरीद सकते हैं।
इनकम टैक्स छूट के अन्य विकल्प
होम लोन के ब्याज के लिए सेक्शन 24
होम लोन लिया है तो आयकर टैक्स कानून के सेक्शन 24 के अंतर्गत किसी वित्त वर्ष में होम लोन के ब्याज के भुगतान पर 2 लाख रुपये तक की टैक्स की छूट ली जा सकती है।
सेक्शन 80 सी
आयकर कानून के सेक्शन 80 सी के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपये निवेश कर इनकम टैक्स छूट का क्लेम लिया जाता है। इसमें बीमा प्रीमियम, टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड, ईपीएफ कंट्रीब्यूशन, एलआईसी के एन्युइटी प्लान में, एनपीएस में निवेश, पोस्ट ऑफिस स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स, पीपीएफ, टैक्स सेवर एफडी, सुकन्या समृद्धि स्कीम, यूलिप बीमा प्लान, होम लोन का प्रिंसिपल अमाउंट इस छूट के तहत आता है। बच्चों की ट्यूशन फीस की छूट भी इसके तहत ली जा सकती है।
इनकम टैक्स का सेक्शन 80 सीसीसी
इनकम टैक्स के सेक्शन 80 सीसीसी बीमा पॉलिसी के किसी भी एन्युइटी प्लान में निवेश पर टैक्स डिडक्शन का लाभ लिया जा सकता है। एन्युइटी प्लान से हासिल पेंशन या इस प्लान को सरेंडर किए जाने पर ब्याज सहित मिलने वाली कुल राशि या बोनस आयकर के दायरे में आएगा।
इनकम टैक्स सेक्शन 80 सीसीडी
इनकम टैक्स के सेक्शन 80 सीसीडी (1) पेंशन अकाउंट में जमा पर टैक्स में छूट मिलती हळै। सैलरीड इंप्लॉई अपनी सैलरी का 10 फीसदी तक पेंशन अकाउंट में जमा कर छूट पा सकता है। यह छूट अधिकतम 1.5 लाख रुपये है। वहीं सेक्शन 80 सीसीडी (1बी) के तहत सैलरीड कर्मचारी अपनी तरफ से एनपीएल में डिपॉजिट कर 50,000 रुपये की अतिरिक्त टैक्स छूट का लाभ भी ले सकता है। लेकिन यहां पर ध्यान रखना चाहिए कि सेक्शन 80 सी, 80 सीसीसी और 80 सीसीडी (1B) के तहत कुल मिलाकर 1.5 लाख रुपये से ज्यादा की टैक्स छूट का लाभ नहीं लिया जा सकता है।
इनकम टैक्स सेक्शन 80 सीसीडी (2)
नियोक्ता के अंशदान पर भी कर्मचारी सेक्शन 80 सीसीडी (2) के तहत टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकता है। यह वेतन के 10 फीसदी के बराबर होता है।
इनकम टैक्स छूट के कुछ और विकल्प
इनकम टैक्स सेक्शन 80 डी
व्यक्ति या एचयूएफ सेक्शन 80 सी के अंतर्गत मिलने वाले टैक्स डिडक्शन के अतिरिक्त सेक्शन 80 डी के तहत अपने, पति/पत्नी और निर्भर बच्चों के मेडिकल इंश्योरेंस के लिए चुकाए गए प्रीमियम पर अधिकतम 25 हजार रुपये (सीनियर सिटीजन करदाता के मामले में 50 हजार रुपये) तक की टैक्स छूट का लाभ ले सकते हैं। इस सीमा के ऊपर अगर करदाता 60 साल से कम उम्र के माता-पिता के लिए मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम और/या मेडिकल खर्चों का वहन कर रहा है, तो उसे 25 हजार रुपये का अतिरिक्त (60 साल से ज्यादा उम्र यानी सीनियर सिटीजन माता-पिता के मामले में 50 हजार रुपये का अतिरिक्त) टैक्स डिडक्शन मिलेगा। इसके अलावा कोई व्यक्तिगत करदाता सेक्शन 80 डी के तहत प्रिवेंटिव हेल्थ चेक-अप पर हुए खर्च के लिए 5 हजार रुपये का क्लेम भी कर सकता है।
वहीं अगर किसी टैक्सपेयर और उसके पेरेटेंस दोनों की उम्र 60 साल या उससे ज्यादा है, तो इस सेक्शन के तहत इंश्योरेंस प्रीमियम के जरिए अधिकतम 1 लाख रुपये तक की टैक्स छूट पाई जा सकती है। हालांकि हर मामले में शर्त यह है कि प्रीमियम का भुगतान कैश में न किया गया हो।
इनकम टैक्स सेक्शन 80 डीडी
व्यक्ति या एचयूएफ इस सेक्शन के जरिए खुद पर निर्भर किसी दिव्यांग रिश्तेदार के मेडिकल ट्रीटमेंट, ट्रेनिंग आदि पर टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकता है। इसमें उस दिव्यांग रिश्तेदार की देखभाल के लिए किसी विशिष्ट स्कीम में जमा भी छूट के दायरे में आएगी। अगर निर्भर रिश्तेदार 40 फीसदी या इससे ज्यादा लेकिन 80 फीसदी से कम डिसेबल है, तो टैक्स में 75000 रुपये की छूट मिलेगी। अगर रिश्तेदार गंभीर रूप से डिसेबल है, यानी 80 फीसदी से ज्यादा तो टैक्स छूट 1.25 लाख रुपये रहेगी। इस क्लेम के लिए किसी मान्य मेडिकल अथॉरिटी से डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट जरूरी होगा।
इनकम टैक्स सेक्शन 80 डीडीबी
आयकर कानून के सेक्शन 80 डीडीबी के तहत चुनिंदा बीमारियों के मामले में सैलरीड इंप्लॉई अपने या खुद पर निर्भर परिवार के सदस्य के इलाज पर अधिकतम 40,000 रुपये टैक्स कटौती क्लेम कर सकते है। सीनियर सिटीजन के इलाज के मामले में 1 लाख रुपये तक के मेडिकल खर्च पर टैक्स छूट का फायदा लिया जा सकता है। इसके लिए आपको इलाज का बिल दिखाना होता है। अगर इलाज का खर्च बीमा कंपनी या इंप्लॉई के एंप्लॉयर की ओर से रिंबर्स किया गया है, तो रिंबर्स की गई राशि को घटाने के बाद बचे खर्च पर टैक्स कटौती का फायदा मिलेगा।
इनकम टैक्स छूट के कुछ और विकल्प
इनकम टैक्स सेक्शन 80 ई
इसके तहत उच्च शिक्षा के उद्देश्य से लिए गए लोन पर टैक्स डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। लोन करदाता, पत्नी, बच्चे या फिर किसी भी ऐसे स्टूडेंट के लिए हो सकता है, जिसका करदाता कानूनी अभिभावक हो। टैक्स कटौती का लाभ लोन का ब्याज चुकाया जाना शुरू किए जाने वाले साल से 8 साल तक या पूरा ब्याज चुकता हो जाने, जो भी अवधि पहले खत्म हो तक लिया जा सकता है।
इनकम टैक्स सेक्शन 80 जी
आयकर कानून का सेक्शन 80 जी कुछ निश्चित संगठनों या संस्थानों को डोनेशन या दान देकर टैक्स कटौती का लाभ पाने का विकल्प देता है। कटौती का क्लेम कुछ मामलों में 100 फीसदी तक तो कुछ में 50 फीसदी तक या किसी में बिना लिमिट वाला हो सकता है। हालांकि कैश में 2000 रुपये से ज्यादा की डोनेशन पर कर कटौती का फायदा नहीं मिलेगा।
इनकम टैक्स सेक्शन 80 जीजी
इस सेक्शन के तहत उन लोगों को घर के किराए पर टैक्स छूट मिलती है, जिन्हें सैलरी के साथ हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) नहीं मिलता है। साथ ही टैक्स देने वाले, उसकी पत्नी या नाबालिग बच्चे के पास कोई आवासीय संपत्ति नहीं होनी चाहिए। सेक्शन 80 जीजी के तहत किराए पर मिलने वाली छूट इस तरह है...
-रेंट पेड माइनस कुल एडजस्टेड इनकम का 10 फीसदी
-प्रतिमाह 5000 रुपये
-एडजस्टेट इनकम का 25 फीसदी
इनकम टैक्स छूट के कुछ और विकल्प
इनकम टैक्स सेक्शन 80 जीजीए
अगर व्यक्तिगत करदाता सरकार द्वारा मंजूर (35(1) (ii), 35(1) (iii), 35 सीसीए, 35 सीसीबी के तहत) किसी वैज्ञानिक अनुसंधान करने वाली संस्था, यूनिवर्सिटी या कॉलेज को दान देता है, तो उसे इस रकम पर टैक्स कटौती का फायदा मिलता है। हालांकि 10,000 रुपये से अधिक के चंदे पर यह फायदा तभी हासिल किया जा सकता है, जब दान नकदी के अलावा किसी अन्य माध्यम से दिया गया हो। कारोबारी या पेशेवर आमदनी से इस तरह का दान छूट के दायरे में नहीं आता है।
इनकम टैक्स सेक्शन 80 जीजीसी
सैलरीड इंप्लॉई द्वारा किसी राजनीतिक दल या इलेक्टोरल ट्रस्ट को दिए गए चंदे पर टैक्स में छूट पाई जा सकती है। हालांकि यह चंदा कैश में नहीं होना चाहिए।
इनकम टैक्स छूट के कुछ और विकल्प
इनकम टैक्स सेक्शन 80 ईईए
होम लोन के ब्याज का भुगतान करने पर पहले से ही सेक्शन 24 के तहत डिडक्शन मिलता है। बजट 2019 में हुए ऐलान के बाद अब सेक्शन 80 ईईए के तहत होम लोन के ब्याज भुगतान पर 1.5 लाख का डिडक्शन अलग से मिलेगा। लेकिन इसके लिए लोन 1 अप्रैल 2019 के बाद और 31 मार्च 2020 से पहले लिया गया होना चाहिए। साथ ही इस डिडक्शन का फायदा लेने के लिए आपके होम लोन की रकम 45 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। इस तरह सैलरीड क्लास होम लोन के ब्याज पर 1 साल में 3.5 लाख रुपये तक का डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं।
इनकम टैक्स सेक्शन 80 टीटीए
आयकर कानून का यह सेक्शन किसी भी बैंक, पोस्ट ऑफिस या को-ऑपरेटिव सोसायटी में बचत खाते से 10,000 रुपये तक की ब्याज आय पर टैक्स डिडक्शन का फायदा देता है। इसका लाभ व्यक्ति या हिन्दू अनडिवाइडेड फैमली (एचयूएफ) भी ले सकते हैं। हालांकि इसके तहत एफडी, आरडी या कॉरपोरेट बॉन्ड से हासिल ब्याज टैक्स फ्री नहीं होता है।
इनकम टैक्स सेक्शन 80 टीटीबी
इनकम टैक्स के सेक्शन 80 टीटीबी के तहत सीनियर सिटीजन को जमा पर 50,000 रुपये तक की ब्याज आय टैक्स फ्री है।
इनकम टैक्स सेक्शन 80 यू
अगर कोई व्यक्ति शारीरिक या मानसिक तौर पर दिव्यांग है, तो वह सेक्शन 80 यू के तहत 75,000 रुपये तक का टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकता है। इसमें ब्लाइंडनेस भी शामिल होगी। गंभीर रूप से शारीरिक दिव्यांगता के मामले में टैक्स कटौती 1.25 लाख रुपये तक हो सकती है।