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डूब गया ये Bank, जानें खाताधारकों को कितना वापस मिलेगा पैसा

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नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैक यानी आरबीआई ने महाराष्ट्र के सीकेपी सहकारी बैंक का बीते दिनों लाइसेंस रद कर दिया है। इस प्रकार यह बैंक तकनीकी रूप से बंद हो गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि इस बैंक के खाताधारकों का पैसा कौन वापस करेगा। अब खाताधारकों को यह पैसा डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रे​डिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) की ओर से दिया जाएगा। लेकिन इसके नियम स्पष्ट हैं, जिन्हें जानना जरूरी है। इन नियमों के तहत करीब 99 फीसदी खाताधारकों का पैसा तो पूरा वापस मिल जाएगा, लेकिन बाकी खाताधारकों का पैसा पूरा वापस नहीं मिल पाएगा। पिछले बजट में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने डीआईसीजीसी के तहत कवरेज की राशि को बढ़ा दिया था, जो इसी 1 अप्रैल से लागू हो गई हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो आधे से ज्यादा खाताधारकों को नुकसान उठाना पड़ता है।

5 लाख रुपये के ऊपर की जमा रकम डूब जाएगी

5 लाख रुपये के ऊपर की जमा रकम डूब जाएगी

जानकारी के मुताबिक, सीकेपी सहकारी बैंक के 1.25 लाख खाताधारक हैं। आरबीआई के लाइसेंस और लिक्विडेशन प्रोसिडिंग्स कैंसिल होने से सीकेपी सहकारी बैंक लिमिटेड के जमाकर्ताओं को भुगतान की प्रक्रिया डीआईसीजीसी एक्ट 1961 के अनुरूप शुरू की जाएगी। नियमों के मुताबिक, अगर कोई बैंक डूब जाता है, तो उस बैंक में अब ग्राहकों की 5 लाख रुपये तक की जमा सिक्योर्ड है। इस प्रकार सीकेपी सहकारी बैंक के जमाकर्ताओं को 5 लाख रुपये तक की जमा वापस मिलेगी। हालांकि अगर किसी की इससे ज्यादा रकम बैंक में जमा है, तो 5 लाख रुपये से ऊपर की जमा राशि डूब जाएगी। 

क्या है डीआईसीजीसी की प्रक्रिया

क्या है डीआईसीजीसी की प्रक्रिया

डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रे​डिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) भारतीय रिजर्व बैंक की पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी कंपनी है। आरबीआई के निर्देश के मुताबिक सभी कमर्शियल और को ऑपरेटिव बैंकों में जमा रकम का डीआईसीजीसी बीमा सुरक्षा कवर प्रदान करता है। इसके तहत जमाकर्ताओं की बैंक जमा पर डिपॉजिट इंश्योरेंस कवरेज का लाभ मिलता है। इस योजना के दायरे में सभी छोटे और बड़े कमर्शियल बैंक, कोऑपरेटिव बैंक कवर होते हैं। यह कवरेज इन बैंकों की विदेशी शाखाओं पर मिलता है। 

कौन कौन से डिपॉजिट होते हैं डीआईसीजीसी में कवर

कौन कौन से डिपॉजिट होते हैं डीआईसीजीसी में कवर

डीआईसीजीसी बैंक में हर तरह की जमा को कवर करता है। इसमें सेविंग्स, फिक्स्ड, करंट, रेकरिंग या अन्य शामिल किया जाता है।

-विदेशी सरकार द्वारा जमा
-केंद्र/राज्य सरकार का डिपॉजिट
-इंटर बैंक डिपॉजिट
-राज्य के भूमि विकास बैंक की जमा
-भारत से बाहर की कोई डिपॉजिट
-रिजर्व बैंक की मंजूरी से छूट प्राप्त कोई डिपॉजिट

ज्वॉइंट अकाउंट वालों को होगा फायदा

ज्वॉइंट अकाउंट वालों को होगा फायदा

5 लाख रुपये की लिमिट एक ग्राहक की एक ही बैंक की सभी शाखाओं में मौजूद सभी एकल खाता जमाओं जैसे बचत खाता, एफडी, आरडी आदि को मिलाकर है। इसमें मूलधन और ब्‍याज दोनों को शामिल किया जाता है। लेकिन अगर किसी के एक ही बैंक में सिंगल और ज्वॉइंट दोनों अकाउंट हैं, तो दोनों में 5-5 लाख रुपये तक की रकम वापस मिलेगी। रिजर्व बैंक के मुताबिक, सिंगल और ज्वॉइंट अकाउंट को अलग-अलग यूनिट माना जाता है। 

माइनर अकाउंट के भी जान लें नियम

माइनर अकाउंट के भी जान लें नियम

अगर किसी बैंक में माइनर यानी 18 साल से कम उम्र के बच्चे का अकाउंट है और उसे कोई वयस्क कानूनी अभिभावक के तौर पर ऑपरेट कर रहा है तो ऐसे में माइनर अकाउंट को अलग अकाउंट माना जाएगा। उसमें अलग से 5 लाख रुपये तक की जमा सुरक्षित मानी जाएगी। हालांकि अगर एक ही बैंक में माइनर के नाम पर एक से ज्यादा खाते हैं तो सभी खातों को मिलाकर 5 लाख रुपये वाली लिमिट लागू होगी।

ऑनलाइन फ्रॉड : ये है बैंक खाता लूटने का नया तरीका, बच कर रहेंऑनलाइन फ्रॉड : ये है बैंक खाता लूटने का नया तरीका, बच कर रहें

English summary

How much is the deposit amount of the account holders safe when the bank defaults

Deposits up to Rs 5 lakh are protected under the Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation (DICGC) in India.
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