सुविधा : सीधे अमेरिका में निवेश करने का मौका, जानें नियम
नई दिल्ली। अगर देश की आर्थिक स्थिति को लेकर आप निश्चिंत नहीं हैं, तो सीधे अमेरिका में भी निवेश कर सकते हैं। बहुत से लोगों को लगता है कि वह ऐप्पल, अमेजन या फेसबुक जैसी कंपनियों के शेयर में निवेश करके भारी कमाई की जा सकती है। अगर आप को भी ऐसा लगता है तो आप भारत में घर बैठे-बैठे ही अमेरिका की कंपनियों में निवेश कर सकते हैं। इस बात की इजाजत भारत और अमेरिका के कानून देते हैं। हालांकि ऐसा करने के लिए आपको कुछ प्रक्रिया को पूरा करना होगा। यह प्रक्रिया कुछ ऐसी ही जैसे भारत में शेयर बाजार में निवेश से पहले पूरी करनी पड़ती है। जैसे भारत में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) है, वैसे ही अमेरिका में सिक्युरिटी एक्सचेंज कमिशन (एसईसी) होता है। सेबी और एसईसी की अपने-अपने देशों में शेयर बाजार में निवेश की प्रक्रिया लगभग एक सी ही है। यह पूरा प्राेसेस आराम से ऑनलाइन हो जाता है।
अमेरिकी कंपनियों में निवेश के फायदे
वित्तीय बाजार के जानकार कहते हैं कि सारा निवेश एक ही जगह पर नहीं होना चाहिए। इसको कई जगहों पर करना चाहिए। ऐसे में अगर एक जगह अच्छा फायदा नहीं मिलता है, तो दूसरी जगह से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। ऐसे में अगर आपको लगता है कि आजकल देश की आर्थिक स्थिति नहीं है, और कुछ निवेश बाहर के शेयर में करना चाहिए, तो अमेरिका यह सुविधा भारतियों को देता है। इसे वित्तीय बाजार की तकनीकी भाषा में डायवर्सिफिकेशन कहा जाता है। अमेरिकी शेयर बाजार में दुनियाभर की हजारों कंपनियां लिस्टेड हैं। एक बार अगर आप औपचारिकता पूर कर लेते हैं, तो किसी भी कंपनी में निवेश कर सकते हैं।
ऐसे करें अमेरिकी शेयर बाजार में निवेश की तैयारी
अमेरिकी बाजार में किसी भी कंपनी में निवेश करने के लिए अमेरिकी नियामक सिक्युरिटी एक्सचेंज कमिशन (एसईसी) में रजिस्टर्ड ब्रोकर्स के पास एक डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होता है। यह भारत में खुलने वाले डीमैट अकाउंट जैसा ही होता है। इस अकाउंट के माध्यम से आप पैसों का भुगतान कर पाएंगे और अपने शेयर डीमैट में ले पाएंंगे। लेकिन इस ट्रेडिंग और डीमैट अकाउंट खोलने से पहले निवेशक की नो योर क्लाइंट (केवाईसी) होती है। यह प्रक्रिया भी भारत में होने वाली केवाईसी जैसी ही प्रक्रिया होती है।
ब्रोकर चुनने में क्या सावधानियां रखें
-जिस भी ब्रोकर के पास ट्रेडिंग अकाउंट खोलना चाहते हैं, चेक कर लें कि वह अमेरिकी बाजार नियामक एसईसी के साथ रजिस्टर्ड है या नहीं। इसकी लिस्ट अमेरिकी नियामक एसईस क बेवसाइट पर दी गई है।
-अमेरिकी संस्था सिक्युरिटीज इन्वेस्टर प्रोटेक्शन कॉरपोरेशन (एसआईबीसी) के साथ ब्रोकर रजिस्टर्ड है या नहीं, यह भी चेक कर लें। यह संस्था हर ट्रेडिंग अकाउंट का 5 लाख डॉलर का बीमा करती है। अगर ब्रोकर या अन्य किसी की गलती से नुकसान होता है, तो यह संस्था उसकी भरपाई करती है। इसलिए निवेश से पहले देख लें कि आपका ब्रोकर इस संस्था का सदस्य है या नहीं। इस बात की जानकारी आप एसआईबीसी की वेबसाइट से ले सकते हैं।
जानिए कैसे मिलेगा निवेश के लिए डॉलर
अमेरिका में निवेश करने के लिए डॉलर चाहिए होगा, क्योंकि अमेरिका की मुद्रा डॉलर है। भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई की एक स्कीम है लिबरलाइज्ड रेमीटेंस स्कीम। इसके तहत कोई भी भारतीय 2.5 लाख रुपये तक के डॉलर ले सकता है। यह डॉलर लेकर आप अमेरिका के शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं। जैसे ही यह डॉलर आपको मिल जाएगा, आपको इसे अमेरिकी ब्रोकर के ट्रेडिंग अकाउंट में ट्रांसफर करना होगा। इसके बाद इस पैसे से आप मनचाहा शेयर खरीद सकते हैं।
वहीं अगर निवेशक चाहता है कि यह पैसा भारत वापस लाना है, तो उसे पहले अपने शेयर बेच कर डॉलर में भुगतान लेना होगा। इसके बाद यह पैसा भारत के बैंक में ट्रांसफर किया जा सकेगा। यह पूरा काम ऑनलाइन होता है। इस दौरान एक बात पर ध्यान रखना चाहिए कि रुपये को डॉलर में या डॉलर को रुपये में जब बदलेंगे, तो उस समय के एक्सचेंज रेट के हिसाब से पैसा मिलेगा।
अमेरिकी कमाई पर भारत में लगता है टैक्स
शेयर बाजार में निवेश करने पर 2 तरह के टैक्स मुख्यतौर पर लगते हैं। एक है कैपिटल गेन टैक्स और डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स। अमेरिकी में कैपिटल गेन पर कोई टैक्स नहीं लगता है। लेकिन जब भारत में अपना इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं, तब इस कमाई को दिखाना होता है, इस पर टैक्स देना होता है।
कैपिटल गेन टैक्स भी 2 तरह से लगता है। एक है लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स और दूसरा है शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स।भारत में टैक्स फाइल करते समय 20 फीसदी की दर से लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होता है। हालांकि अगर निवेशक चाहे तो इस पर इंडेक्सेशन का लाभ ले सकता है। वहीं शॉट टर्म कैपिटल गेन अगर हुआ है तो यह इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से लिया जाता है।