Gold : हॉलमार्किंग ज्वेलरी क्यों है जरूरी, जानें यहां
सोना खरीदने जा रहे तो आपको पता होगा कि सोने की हॉलमार्किंग सबसे ज्यादा अनिवार्य होती है। सोना खरीदने से पहली उसकी परख को लेकर अक्सर लोगों के मन में शंका बनी रहती है।
नई दिल्ली, अप्रैल 14 : सोना खरीदने जा रहे तो आपको पता होगा कि सोने की हॉलमार्किंग सबसे ज्यादा अनिवार्य होती है। सोना खरीदने से पहली उसकी परख को लेकर अक्सर लोगों के मन में शंका बनी रहती है। तो अगर आप भी सोने के गहने खरीदने जा रहे हैं तो सावधान रहें क्योंकि छोटी सी चूक आपकी जेब पर भारी पड़ सकती है। बता दें कि सोना खरीदने और बेचने दोनों के लिए हॉलमार्किंग जरूरी है। नवरात्र ऑफर : CAR खरीदने पर मिल रहा 10 ग्राम GOLD, जानिए कहां मिल रहा इतना बढ़िया ऑफर
सोना खरीदने का नया नियम
जानकारी दें कि केंद्र सरकर ने 1 जून से सोना खरीदने के नियमों में बदलाव किया है। 1 जून के बाद हॉलमार्क को जरूरी कर दिया है। 1 जून 2021 से बिना हॉलमार्क वाले गोल्ड ज्वैलरी को न बेचा जा सकेगा और न ही आप इसे खरीद सकेंगे। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड की ओर से इसे लेकर सभी ज्लैवर्स एसोसिएशन को नोटिफिकेशन जारी किया गया है। 1 जून से ज्वैलर्स सिर्फ तीन ग्रेड का सोना बेच सकेंगे, जो 22 कैरेट, दूसरा 18 कैरेट और 14 कैरेट के होंगे। हर शहर के सोना और चांदी के लेटेस्ट रेट जानने का तरीका
क्या है हॉलमार्किंग
हॉलमार्क सरकारी गारंटी है। हॉलमार्क का निर्धारण भारत की एकमात्र एजेंसी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) करती है। हॉलमार्किंग में किसी उत्पाद को तय मापदंडों पर प्रमाणित किया जाता है। भारत में बीआईएस वह संस्था है, जो उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराए जा रहे गुणवत्ता स्तर की जांच करती है। सोने के सिक्के या गहने कोई भी सोने का आभूषण जो बीआईएस द्वारा हॉलमार्क किया गया है, उस पर बीआईएस का लोगो लगाना जरूरी है। इससे पता चलता है कि बीआईएस की लाइसेंस प्राप्त प्रयोगशालाओं में इसकी शुद्धता की जांच की गई है।
हॉलमार्क की पांच पहचान
- असली हॉलमार्क पर बीआईएस का तिकोना निशान होता है
- उस पर हॉलमार्किंग केन्द्र का लोगो होता है
- सोने की शुद्धता भी लिखी होती है
- ज्वैलरी निर्माण का वर्ष
- उत्पादक का लोगो भी होता है
ऐसे करें शुद्धता की पहचान
- 24 कैरेट शुद्ध सोने पर 999 लिखा होता है
- 22 कैरेट की ज्वेलरी पर 916 लिखा होता है
- 21 कैरेट सोने की पहचान 875 लिखा होना
- 18 कैरेट की ज्वेलरी पर 750 लिखा होता है
- 14 कैरट ज्वेलरी पर 585 लिखा होता है
ज्यादा महंगी नहीं होती हॉलमार्क ज्वेलरी
हॉलमार्क की वजह से ज्यादा महंगा होने के नाम पर ज्वैलर आपको बगैर हॉलमार्क वाली सस्ती ज्वेलरी की पेशकश करता है तो सावधान हो जाइए। लेकिन विशेषज्ञों का का कहना है कि प्रति ज्वेलरी हॉलमार्क का खर्च महज 35 रुपये आता है। सोना खरीदते वक्त आप ऑथेंटिसिटी/प्योरिटी सर्टिफिकेट लेना न भूलें। सर्टिफिकेट में सोने की कैरेट गुणवत्ता भी जरूर चेक कर लें। इसके साथ ही सोने की ज्वेलरी में लगे जेम स्टोन के लिए भी एक अलग सर्टिफिकेट जरूर लें।
हॉलमार्क ज्वेलरी क्यों जरूरी है इतना
बता दें कि उपभोक्ताओं को नकली उत्पादों से बचाने और कारोबार की निगरानी के लिए हॉलमार्किंग बेहद जरूरी है। हॉलमार्किंग का फायदा यह है कि जब आप इसे बेचने जाएंगे तो किसी तरह की डेप्रिसिएशन कॉस्ट नहीं काटी जाएगी यानी आपको सोने का वाजिब दाम मिलेगा। हॉलमार्किंग में उत्पाद कई चरणों में गुजरता है। ऐसे में गुणवत्ता में किसी तरह की गड़बड़ी की गुंजाइश कर रहती है। साथ बाजार में सोने की खरीद-बिक्री पर नजर रखने में मददगार होता है। जरूरत पड़ने पर जांच एजेंसियां कई संस्थानों के आंकड़ों का मिलान कर गड़बड़ी का पता लगा सकती हैं।
अब कितना शुद्ध मिलेगा सोना
देश में अभी तक जेवर में कितना शुद्ध सोना लगाया जाए, इसको लेकर कोई नियम नहीं था। लेकिन 1 जून 2021 से देश में केवल 14, 18 और 22 कैरेट सोने के जेवर ही बिकेंगे। अभी तक आपको कैसे सोने के जेवर बेचे जा रहे हैं, यह बताया नहीं जाता था। सुनार से जब आप जेवर लेते थे, तो वह आपको उसकी शुद्धता की गारंटी मौखिक ही देता था। इसके अलावा वह आपको सादे कागज पर रसीद बना कर दे देता था। ऐसे में आप अपने जेवर को अगर उसी सुनार को वापस करें तो उसके काम लायक रेट मिल जाते थे, लेकिन दूसरे सुनार के पास जाएं, तो आपको आधे रेट भी मिलना कठिन हो जाता था। लेकिन 1 जून के बाद से यह दिक्कत दूर हो जाएगी।