FD : बैंक, Post Office और एनबीएफसी में क्या है बेस्ट, जानिए कहां होगा ज्यादा फायदा
नई दिल्ली, जून 25। निवेश के हर एक माध्यम के अपने कुछ फायदे और नुकसान होते हैं। निवेश करने से पहले सभी को निवेश विधि के फायदे और नुकसान का ध्यान जरूर रखना चाहिए। निवेश करने से पहले अधिक रिटर्न के लिए सबसे अधिक ब्याज कौन सा माध्यम दे रहा है यह जानना तो जरूरी है ही लेकिन साथ ही किस निवेश में कितना जोखिम है इसका पता होना भी महत्वपूर्ण होता है। अधिकतम निवेश में जोखिम और रिटर्न का ब्याज दर का सीधा कनेक्शन होता है। हालांकि, सावधि जमा (फिक्स्ड डिपॉजिट) में निवेश डूबने का खतरा कम होता है और ब्याज भी अच्छा मिलता है। आइए जानते है बैंक, एनबीएफसी और डाकघर में से फिक्स डिपॉजिट के लिए बेहतर विकल्प क्या है।
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बैंक
आम लोगों में बैंक में एफडी खाता खुलवाना सबसे कॉमन और पुराना निवेश विकल्प है। भारत में बैंक में लोग NBFC और पोस्ट ऑफिस की तुलना में कहीं अधिक फिक्स डिपॉजिट रखते हैं। बैंकों द्वारा फिक्स डिपॉजिट पर दिए जाने वाले ब्याज की निगरानी भारतीय रिजर्व बैंक करती है। बैंक एफडी पर जो ब्याज दर देते है वह आरबीआई के रेपो दर पर निर्भर होता है। रेपो रेट के बढ़ने घटने से ब्याज दर बदलती रहती है।
NBFC
भारत में फिक्स डिपॉजिट की ब्याज दरें रिजर्व बैंक के गाइडलाइन से नियंत्रित की जाती हैं। लेकिन एनबीएफसी के योजनाओं पर रिजर्व बैंक की सीधी नजर नहीं होती है। सामान्य तौर पर आरबीआई के रेपो रेट कमी या इजाफा के कारण ब्याज दरों पर सीधा असर कम होता है। इसलिए , एनबीएफसी का एफडी प्लान बैंकों और डाकघर के फिक्स डिपॉजिट तुलना में अधिक आकर्षक होता है। एनबीएफसी में फिक्स डिपॉजिट खाता खुलवाना एक अच्छा विकल्प है लेकिन इसमें जोखिम ज्यादा होता है।
डाकघर
बैंक और एनबीएफसी के आलाव भारतीय डाक भी एफडी का विकल्प है। डाकघर की सभी योजनाओं पर भारत सरकार का सीधा कंट्रोल रहता है। भारतीय डाक एक साल से पांच साल तक की एफडी योजना आकर्षक ब्याज दरों पर उपलब्ध कराती है। पोस्ट ऑफिस सालाना तौर पर ब्याज का भुगतान करती है। डाकघर के एफडी योजना को न्यूनतम 1000 रुपए से शुरू होती है। डाकघर भारत सरकार के अधीन आती है, इसलिए यह निवेश का एक सुरक्षित माध्यम है। एनआरआई को छोड़कर हर भारतीय डाकघर के एफडी में निवेश कर सकता है।