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Cryptocurrency : ऐसे घटती-बढ़ती हैं कीमतें, आप भी जानिए

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नई दिल्ली, नवंबर 24। क्रिप्टोकरेंसी एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2021 को लेकर एक नयी रिपोर्ट नयी सामने आई है। इसमें कहा गया है कि इस बिल से क्रिप्टो पर बैन नहीं लगेगा, बल्कि इसे रेगुलेट किया जाएगा। क्रिप्टो स्टेकहॉल्डर्स ने भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए विनियमन के लिए कहा और विधेयक में संशोधन होने की संभावना है। इससे पहले कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया था कि सरकार प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने जा रही है। हालांकि इसके कुछ अपवाद भी होने की बात कही गयी थी। बता दें कि प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर बैन की खबर से बिटकॉइन सहित बाकी क्रिप्टो में गिरावट आई थी। जबकि बैन के बजाय रेगुलेट होने की खबर से क्रिप्टोकरेंसी एक बार फिर से चढ़ सकती हैं। इसी तरह के और क्या कारण हैं, जिनके चलते क्रिप्टोकरेंसी के दाम घटते-बढ़ते हैं, यहां हम उन्हीं कारणों की चर्चा करेंगे।

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किसी क्रिप्टो का इस्तेमाल

किसी क्रिप्टो का इस्तेमाल

आपके लिए ये जानना बहुत जरूरी है कि किसी भी क्रिप्टोकरेंसी का कितना इस्तेमाल होता है या क्या किसी देश में उसमें लेन-देन की इजाजत है। इसी तरह कितनी वैश्विक कंपनियां उसमें पेमेंट लेने को तैयार हैं। जितना अधिक किसी क्रिप्टो का इस्तेमाल होगा, उतनी ही अधिक उम्मीद उस क्रिप्टो का रेट बढ़ने की होगी। लोग किसी कॉइन में लेन-देन करते हैं और उसे खर्च करते हैं तो उसकी कीमतें बढ़ेंगी।

सर्कुलेशन में कॉइन की संख्या

सर्कुलेशन में कॉइन की संख्या

आपको मालूम होना चाहिए कि किसी क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग लिमिटेड होती है। यानी कितने सिक्के चलन में रहेंगे ये पहले से तय होता है। जैसे कि बिटकॉइन की डेवलपिंग के समय तय हुआ था कि इसके 2.1 करोड़ कॉइन ही जनरेट होंगे। अगर अधिक लोग इसे खरीद कर होल्ड करें तो इसकी दुर्लभता बढ़ेगी, जिससे इसकी कीमत ऊपर जाएगी।

बर्निंग मैकेनिज्म को समझिए

बर्निंग मैकेनिज्म को समझिए

कुछ कॉइन्स के लिए बर्निंग मैकेनिज्म का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें होता यह है कि किसी खास कॉइन की वैल्यू बढ़ाने के लिए जितने कॉइन सप्लाई में होते हैं उनमें से कुछ को बर्न यानी खत्म कर दिया जाता है। इससे कॉइन की उपलब्धता कम हो जाती है।

व्हेल अकाउंट है खास

व्हेल अकाउंट है खास

व्हेल अकाउंट नाम सुनने में अजीब लग सकता है। मगर ये अकाउंट क्रिप्टो की दुनिया में बहुत अहमियत रखते हैं। पहले जानिए कि व्हेल अकाउंट्स क्या होते हैं। ये वो खाते होते हैं, जो किसी क्रिप्टो के जितने कॉइन सर्कुलेशन में होते हैं उनमें से एक बड़े हिस्से को अपने पास रखते हैं। यानी इनके पास किसी खास की कॉइन की बड़ी होल्डिंग होती है। ये बेचते हैं तो उस क्रिप्टो की कीमत घटती है। व्हेल अकाउंट मार्केट को इंफ्लुएंस करते हैं।

2020 में हटा था बैन

2020 में हटा था बैन

सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में क्रिप्टो पर प्रतिबंध हटा दिया था और अब 2021 में इंडस्ट्री के स्टेकहोल्डर्स और केंद्र के बीच एक ऐसा नियम लाने के लिए बातचीत चल रही है जो भ्रष्ट प्रेक्टिस को चेक करेगा। ब्लॉकचैन और क्रिप्टो एसेट्स काउंसिल के अनुसार, भारत में क्रिप्टो संपत्ति में लगभग 6 लाख करोड़ रुपये हैं। प्राइवेट डिजिटल करेंसियों ने पिछले एक दशक में काफी लोकप्रियता हासिल की है। हालांकि, नियामकों और सरकारों को इन करेंसीज के बारे में संदेह है और वे संबंधित जोखिमों के बारे में आशंकित हैं।

English summary

Cryptocurrency Prices fluctuate like this you should also know

A burning mechanism is used for some coins. What happens in this is that in order to increase the value of a particular coin, some of the coins that are in supply are burnt. This reduces the availability of the coin.
Story first published: Wednesday, November 24, 2021, 16:10 [IST]
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