Mutual Fund और SIP से रिटर्न बढ़ाने के बेस्ट टिप्स, होगा ज्यादा मुनाफा
नई दिल्ली, 19 अक्टूबर। रिपोर्ट्स के अनुसार म्यूचुअल फंड वो प्रमुख निवेश ऑप्शन रहा है, जिसने महामारी के बीच निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया है। असल में म्यूचुअल फंड में निवेश के कई फायदे हैं, जो निवेशकों की सुविधा के अनुसार हैं। इनमें पहला है कि निवेशक को शेयरों पर एक्टिव तौर पर नजर नहीं रखनी पड़ती और न ही उन्हें खरीदने बेचने का मैनेजमेंट संभालना पड़ता। निवेशक आराम से सालों में थोड़ा-थोड़ा निवेश करके कम्पाउंडिंग के जरिए एक बड़ा फंड तैयार कर सकते हैं। साथ ही एसटीपी के जरिए इक्विटी और डेब्ट फंड के बीच पैसे का तेजी से ट्रांसफर करने की सुविधा मिलती है। मगर फिर भी कुछ ऐसी चीजें हैं, जिन पर आम तौर पर लोग ध्यान नहीं देते। हम यहां आपको कुछ ऐसी शानदार टिप्स देंगे, जिन्हें फॉलो करके आप अपने रिटर्न को बढ़ा सकते हैं।
Mutual Fund : शुरू करने के लिए शानदार एसआईपी स्कीमें, 1 साल में हुआ है पैसा डबल
गिरावट के दौरान एसआईपी न रोकें
शेयर बाजार में गिरावट के दौरान एसआईपी न रोकें। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि यदि आप गिरावट के दौरान एसआईपी रोकते हैं तो आप वास्तव में कम लागत पर ज्यादा म्यूचुअल फंड्स यूनिट खरीदने का फायदा नहीं उठा सकते। गिरावट के दौरान एसआईपी न रोकने पर आपको अधिक यूनिट्स प्राप्त करने में मदद मिलती है। इसलिए आपके रिटर्न में वृद्धि होती है। क्योंकि जब मार्केट चढ़ेगी तो आपकी यूनिट्स की वैल्यू भी बढ़ेगी।
लंबी अवधि का परफॉर्मेंस देखें
आपके म्यूचुअल फंड/एसआईपी निवेश पर फैसला लेने के लिए किसी फंड का हालिया सही फैक्टर नहीं हो सकता है। विभिन्न बाजार कारकों जैसे कि वर्तमान स्थिति में हाई लिक्विडिटी, सरकार की आर्थिक सहायता वाली नीतियां मौजूदा समय में तेजी को सपोर्ट कर रही हैं, जिससे शेयर बाजार और फिर म्यूचुअल फंड स्कीम को फायदा मिल सकता है। आपको ये देखना चाहिए कि कोई फंड अपने दम पर लंबे समय में कैसा परफॉर्म करता रहा है।
अन्य फंड से भी तुलना करें
आम तौर पर एक बढ़िया सिलेक्शन के लिए फंड की तुलना उसके 5 और 10 साल के फंड के प्रदर्शन के आधार पर की जानी चाहिए। साथ ही उनके पीयर फंड यानी उसके जैसे 'अन्य फंड से भी तुलना' की जानी चाहिए। इससे आपको एक स्पष्ट तस्वीर भी मिलेगी कि पूरे इकोनॉमिक साइकिल में फंड ने कैसा प्रदर्शन किया है।
किसी फंड का सस्ता होना उसकी एनएवी से तय नहीं होता
किसी फंड के एनएवी या नेट एसेट वैल्यू को यह तय करने के मानदंड के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए कि फंड सस्ता है या नहीं। एनएवी कई फैक्टर द्वारा निर्धारित होती है, जैसे कि फंड के बाजार घटक और यदि कोई योजना अच्छी तरह से मैनेज की जा रही है तो एनएवी तेजी से बढ़ भी सकती है। इसी तरह लंबे समय से चल रही फंड योजना का एनएवी भी अधिक होगा। इसलिए फंड को फंड के पिछले प्रदर्शन के साथ-साथ आउटपरफॉर्मिंग फंड और बेंचमार्क इंडेक्स की भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए चुना जाना चाहिए।
सलाह हमेशा आएगी काम
आपको निवेश रोमांचक और मजेदार लग सकता है। मगर ऐसा है नहीं। अपनी नोलेज को हमेशा अधिक न आंके। बल्कि जरूरत पड़े तो जानकार और एक्सपर्ट की राय जरूर लें। वित्तीय सलाहकार से बात करना हमेशा मदद कर सकता है।