Financial आपदा से बचने के लिए 4 शानदार टिप्स, नहीं होगा नुकसान
नयी दिल्ली। 2020 ने अब तक लगभग सभी छोटे-बड़े भारतीय निवेशकों को झटका दिया है। चाहे वे शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड या फिर सरकारी बचत योजनाओं के ही निवेशकों क्यों न हों सभी को या तो नुकसान हुआ है या फिर मुनाफे में भारी झेलनी पड़ी है। निवेशकों की लगभग सभी रणनीतियों पर बाजार ने पानी फेर दिया। इससे निवेशकों के लक्ष्यों को भी झटका लगेगा। लंबी अवधि के लक्ष्यों के लिए प्लानिंग और भी बिगड़ सकती है। लगभग हर निवेशक को कोरोनावायरस की वजह से ही झटका लगा है। वैसे बाजार जानकार कुछ टिप्स बताते हैं जिन्हें फॉलो करने से आप फाइनेंशियल इमरजेंसी से बच सकते हैं। यहां हम आपको ऐसे ही 4 शानदार टिप्स के बारे में बताएंगे।
एसेट एलोकेशन जरूरी है
एसेट एलोकेशन का मतलब है कई तरह के निवेश उपकरणों में थोड़ा थोड़ा निवेश करना। एक दो जगह (खास कर शेयर बाजार में) पैसा लगाने से बेहतर है कि आप थोड़ा थोड़ा पैसा कई जगहों में निवेश करें। एसेट एलोकेशन को निवेश के मामले में बेस्ट ऑप्शन माना जाता है। अगर आप सारा पैसा शेयर बाजार जैसी जगह में निवेश कर देंगे तो आप लंबे समय तक नहीं टिक सकेंगे। वैसे आपको एसेट एलोकेशन क्यों करना चाहिए? 2019 में सरकारी सिक्योरिटीज में 9.5 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि सोने की कीमतें 24.6 फीसदी बढ़ीं। इसके विपरीत निफ्टी 500 ने मात्र 7.7 प्रतिशत रिटर्न दिया। 2020 में अब तक शेयर बाजार 25 फीसदी गिरा है, सरकारी सिक्योरिटीज 3.4 फीसदी ऊपर आई हैं, जबकि गोल्ड ने 17 फीसदी रिटर्न दिया है। इस उदाहरण से आप समझिए कि एसेट एलोकेशन कितनी जरूरी चीज है।
निवेश के लिए पोर्टफोलियो बनाएं
ज्यादातर निवेशकों को लगता है कि आक्रामक ब्रोकरों से व्यक्तिगत स्टॉक सलाह या टिप्स लेना और फिर उस सलाह को लागू करना पैसा बनाने का तरीका है। मगर ये गलत है। यह आपका पैसा डुबा सकता है। अपनी संपत्ति और इक्विटी शेयर चुनने के लिए पोर्टफोलियो अप्रोच सही तरीका है। आपके द्वारा खरीदे जाने वाले हर शेयर के लिए यह स्पष्ट होना चाहिए कि उस स्टॉक में कितना पैसा आपको लगाना है। बिना किसी स्पष्ट प्लान के रेंडम शेयर खरीदना बिलकुल भी सही नहीं है। इसका एक उदाहरण है जिन फंड मैनेजर ने अपने ग्राहकों का 40 फीसदी पैसा फाइनेंशियल शेयरों में निवेश किया उन्होंने देखा कि पिछले कुछ महीनों में उनके पोर्टफोलियो की वैल्यू तेजी से घटी है।
रिस्क मैनेजमेंट है बहुत जरूरी
परहेज हमेशा इलाज से बेहतर है। ऐसा आपने कई बार सुना होगा। यह पैसे पर भी उतना ही लागू होता है जितना कि आपके स्वास्थ्य के लिए। मजबूत रिस्क मैनेजमेंट या जोखिम प्रबंधन वह निवारक उपाय है जो यह सुनिश्चित कर सकता है कि आपको फाइनेंशियल समस्या न हो। दरअसल रिस्क मैनेजमेंट का सही अर्थ है जोखिम को पाटना। उदाहरण के लिए आपके 100 रुपये बाजार गिरने से 65 रुपये रह गए। अब इन्हें वापस 100 रु बनने में समय लगेगा। यहां बेहतर है कि आप नुकसान को स्वीकार करें और बची पूंजी को निवेश करने के लिए बेहतर विकल्प की तलाश करें।
SCCARS से बचने के लिए वैश्विक विविधीकरण करें
यहां एससीसीएआरएस का मतलब है सिंगल कंट्री, सिंगर करेंसी, सिंगल एसेट रिस्क। डॉलर के संदर्भ में भारतीय शेयर बाजार से के 10 साल का डेटा रिटर्न चौंकाने वाला है। ये -3% है। इसका मतलब यह है कि औसत भारतीय का पैसा अमेरिकी डॉलर के संदर्भ में घट रहा है। 2019 में, भारत दुनिया में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले बाजारों में से एक था। ज्यादातर बाजारों ने 25 फीसदी (इटली) से लेकर 50 फीसदी (रूस) तक रिटर्न दिया। यहां तक कि 2020 में भारत ब्राजील के साथ प्रदर्शन टेबल में सबसे नीचे है। यदि आप दुनिया भर में अपने निवेश में विविधता नहीं ला रहे हैं, तो कहीं न कहीं आपको इसकी कीमत चुकानी होगी। आपके लिए एसेट एलोकेशन की तरह ही जरूरी है विदेशों तक अपना पोर्टफोलियो बढ़ाएं।
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