फेल ट्रांजेक्शन पर RBI की सख्ती, बैकों को देना होगा इतना मुआवजा
डिजिटल पेमेंट करने वालों को आरबीआई ने बड़ी राहत देने की घोषणा की है। रिजर्व बैंक ने कस्टमर्स के फेल्ड ट्रांजेक्शन को लेकर नया फरमान निकाला है।
नई दिल्ली: डिजिटल पेमेंट करने वालों को आरबीआई ने बड़ी राहत देने की घोषणा की है। रिजर्व बैंक ने कस्टमर्स के फेल्ड ट्रांजेक्शन को लेकर नया फरमान निकाला है। इसके तहत बैंकों के लिए फेल्ड ट्रांजेक्शन पर शिकायतों के निपटारे और रकम के ऑटो रिवर्सल को लेकर समयावधि निश्चित की गई है। इसे टर्न अराउंड टाइम (टीएटी) करार दिया गया है। इस समयावधि के अंदर ट्रांजेक्शन का सेटलमेंट या रिवर्सल न होने पर बैंकों को कस्टमर्स को मुआवजा देना होगा। समयावधि पूरी होने के बाद 100 रु प्रतिदिन के हिसाब से यह मुआवजा रहेगा। आपको इस बात से अवगत करा दें कि आरबीआई का यह फरमान 15 अक्टूबर 2019 ये अमल में आएगा। SBI की नई सर्विस, घर बैठे बदले अपना बैंक ब्रांच, जानिए प्रोसेस ये भी पढ़ लें
फेल ट्रांजेक्शन के लिए कस्टमर नहीं जिम्मेदार
वहीं इस फरमान के तहत सभी ऑथराइज्ड पेमेंट सिस्टम जैसे- एटीएम ट्रांजेक्शन, कार्ड टू कार्ड फंड ट्रांसफर, पीओएस ट्रांजेक्शंस, कार्ड रहित ई-कॉमर्स, आईएमपीएस ट्रांजेक्शन, यूपीआई ट्रांजेक्शंस, आधार इनेबल्ड ट्रांजेक्शन, नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस और मोबाइल ऐप ट्रांजेक्शन कवर होंगे। अच्छी बात तो यह है कि मुआवजा उसी स्थिति में दिया जाएगा, जब फेल्ड ट्रांजेक्शन के लिए कस्टमर जिम्मेदार नहीं होंगे। यानी अगर कस्टमर्स की खुद की गलती की वजह से ट्रांजेक्शन फेल हुआ है तो बैंक मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी नहीं हैं।
इन कारणों से भी होते ट्रांजेक्शन फेल
बैंकों को भेजे गए आरबीआई के सर्कुलर के मुताबिक, ट्रांजेक्शन फेल होने के कई कारण ऐसे भी हो सकते हैं जिनमें कस्टमर की गलती न हो, जैसे कम्युनिकेशन लिंक्स में गड़बड़ी, एटीएम में कैश न होना, टाइम आउट सेशंस आदि। अगर इनमे से किसी वजह से कस्टमर का ट्रांजेक्शन फेल हुआ है तो बैंकों को मुआवजा देना होगा। आरबीआई ने कस्टमर्स द्वारा शिकायत या क्लेम के बिना ही उन्हें मुआवजा दिए जाने का निर्देश दिया है। अगर किसी कस्टमर को मुआवजा नहीं मिलता है तो वह रिजर्व बैंक के बैंकिंग लोकपाल को शिकायत कर सकता है।
जानें ट्रांजेक्शन और मुआवजे की डिटेल
एटीएम ट्रांजेक्शन
- एटीएम ट्रांजेक्शन में खाते से पैसे कटे लेकिन कैश नहीं निकला
- ट्रांजेक्शन के बाद से 5 दिन में खाते में पैसा वापस लौटाना होगा
- 5 दिन ( T+5) से ज्यादा वक्त लगा तो ग्राहक को हर्जाना मिलेगा
- हर रोज 100 रुपए के हिसाब से ग्राहक को हर्जाना देने का निर्देश।
यूपीआई से फंड ट्रांसफर
- अगर खाते से पैसे कटे लेकिन जिसे भेजा गया उसके खाते में नहीं पहुंचे
- ऐसे में ट्रांजेक्शन के 1 दिन (T+1) के भीतर रकम वापसी जरूरी
- बैंक ऐसा नहीं कर पाए तो दूसरे दिन से 100 रुपए रोजाना हर्जाना मिलेगा
यूपीआई से मर्चेंट पेमेंट
- खाते से रकम कटी पर मर्चेंट तक नहीं पहुंची तो T+5 दिन में रिवर्सल
- तय मियाद में ऑटो रिवर्सल नहीं तो 100 रुपए रोजाना हर्जाना देना होगा।
कार्ड टू कार्ड ट्रांसफर
- एक कार्ड से डेबिट हुआ लेकिन दूसरे कार्ड मे रकम ट्रांसफर नहीं हुई
- ऐसे में ट्रांजेक्शन के बाद अधिकतम 1 दिन (T+1) में रिवर्सल
- ट्रांजेक्शन के बाद दूसरे दिन से 100 रुपए रोजाना हर्जाना लगेगा
पीओएस से ट्रांजेक्शन
- खाते से पैसे कटे लेकिन मर्चेंट को रकम का कंफर्मेशन नहीं आया
- ऐसे में ट्रांजेक्शन के 5 दिन (T+5) के भीतर कटे रकम की वापसी
- ट्रांजेक्शन के बाद छठवें (6th) दिन से 100 रुपए रोजाना का ग्राहक को हर्जाना
आधार पे से ट्रांजेक्शन
- खाते में क्रेडिट करने में दूरी की स्थिति में हर्जाना देना होगा
- ट्रांजेक्शन के 5 दिन (T+5) बाद तक की मियाद में रकम वापसी
- वापसी में देरी तो छठवें (6th) दिन से 100 रुपए रोजाना पेनाल्टी लगेगी
आईएमपीएस से ट्रांजेक्शन
- खाते से रकम कटी लेकिन भेजे जाने वाले के खाते में नहीं पहुंची
- ट्रांजेक्शन के एक दिन बाद की मियाद तक रकम वापसी जरूरी
- रकम वापस खाते में नहीं आई तो दूसरे दिन से 100 रु हर्जाना
इन बातों का रखें ध्यान
- इस नए फ्रेमवर्क के तहत सभी डॉमेस्टिक ट्रांजेक्शन कवर होंगे।
- वहीं फंड ट्रांसफर के मामले में भेजने वाले के अकाउंट से पैसा कट गया लेकिन बेनिफीशियरी तक नहीं पहुंचा तो इसे तय समयावधि के अंदर बेनिफीशियरी के अकाउंट में क्रेडिट किया जाएगा। ऐसा न होने पर मुआवजा बेनिफीशियरी को मिलेगा।
- दूसरी ओर अगर ट्रांजेक्शन में देरी पैसा भेजने वाले के बैंक की ओर से हो रही है तो मुआवजा पैसा भेजने वाले को मिलेगा।