Loan तो पूरा हो गया, पर क्या Bank ने आपको दिया ये दस्तावेज?
घर खरीदना हो या कार, या फिर कोई बड़ा खर्च आ जाए। हम लोन (loan) लेकर अपनी जरूरतें पूरी करते हैं। लेकिन हम लोन लेकर बेहद शिद्दत से उसकी किस्तें (installment)जमा करते हैं।
नई दिल्ली : घर खरीदना हो या कार, या फिर कोई बड़ा खर्च आ जाए। हम लोन (loan) लेकर अपनी जरूरतें पूरी करते हैं। लेकिन हम लोन लेकर बेहद शिद्दत से उसकी किस्तें (installment)जमा करते हैं। लोन चुकाने के बाद आप सोच रहे होंगे कि अब आपकी जिम्मदारी समाप्त हो गई। लेकिन, अभी आपका नो ड्यूज सर्टिफिकेट (No Dues Certificate) (एनडीसी) लेना जरूरी है। अगर आपने ये सर्टिफिकेट (certificate) नहीं लिया है तो दोबारा लोन लेते वक्त आप यह साबित नहीं कर पाएंगे कि आपने पिछला लोन चुका दिया है।
जी हां ग्राहक द्वारा लोन (loan) चुकाने के बाद बैंक (bank) या अन्य कर्जदाता नो ड्यूज सर्टिफिकेट (No Dues Certificate) या क्लोजर लेटर (Closer Letter) जारी करते हैं। ये सर्टिफिकेट (certificate) या लेटर (letter) ही इस बात का प्रमाण होता है कि आप लोन का भुगतान कर चुके हैं। कुछ बैंक एनडीसी (bank NDS) के साथ-साथ स्टेटमेंट ऑफ अकाउंट (statement of account) भी जारी करते हैं। ग्राहकों को बैंक (bank) के ऐसे दस्तावेज (documents) संभाल कर रखने चाहिए। अगर बाद में ऐसे लोन को लेकर क्रेडिट स्कोर (credit score) में कुछ गड़बड़ी होती है तो इसके लिए कर्ज चुकाने के बाद मिले स्टेटमेंट ऑफ अकाउंट मददगार साबित होता है।
क्या करें अगर न मिले ‘नो ड्यूज सर्टिफिकेट'
आपको इस बात से अवगत करा दें कि अगर आप लोन चुकाने के लिए समय से पहले नकद भुगतान करते हैं तो कर्जदाता कर्ज समाप्त होते ही आपको एनडीसी (NDS) दे देते हैं। वहीं अगर आप चेक के जरिए लोन का प्रीपेमेंट (pre payment) करने या सभी ईएमआई (EMI) के भुगतान के बाद लोन खुद ही बंद हो जाता है। बैंक कर्ज लेने वाले व्यक्ति को पत्र लिखकर सूचित करता है कि वह अपने असली दस्तावेज बैंक (Bank document) से ले जाए। अगर ऐसी कोई चिट्ठी कर्ज लेने वाले व्यक्ति को नहीं मिलती है तो उसे कर्जदाता से संपर्क करना चाहिए। वहीं, बैंक से मिला एनडीसी (NDS) अगर खो जाता है तो बैंक से संपर्क कर उसकी एक डुप्लीकेट कॉपी (duplicate copy) ले लेनी चाहिए।
लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी
प्रॉपर्टी (property) के विरुद्ध लोन (against loan) लेने की प्रकिया होम लोन जैसी ही है। लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी (loan against property) में मालिकाना हक लोन लेने वाले के पास ही होता है। हालांकि, बैंक के पास अधिकार होता है कि डिफाल्टर (defaulter) होने पर प्रॉपर्टी को जब्त कर लें।
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कार लोन
लोन (defaulter) ले कर खरीदी गई कार का पंजीकरण प्रमाण पत्र (registration certificate) (आरसी) बैंक के नाम से होता है। अगर, लोन की रकम चुका दी गई है, तो पंजीकरण प्रमाण पत्र को खरीददार के नाम करने के लिए क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में संपर्क करना होता है। पंजीकरण प्रमाण पत्र और इंश्योरेंस पॉलिसी (insurance policy) के आवेदन करने के लिए बैंक (bank) से मिला हुआ क्लोजर रिपोर्ट (closer report) और आवेदन पत्र देना होता है।
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पर्सनल, क्रेडिट कार्ड और दूसरे तरह के लोन
इस तरह के लोन (loan) में क्लोजर पत्र (closer letter) (एनडीसी) मिलने के बाद समाप्त माना जाता है। लोन लेने के बाद क्रेडिट स्कोर चेक (credit score check) करना चाहिए। हालांकि, यह अनिवार्य नहीं है। लोन चुका देने पर बैंक सिबिल स्कोर (bank Cibill score) मांग सकते हैं। बैंक इसके लिए 30 दिनों का समय लेता है। जब, बैंक यह जानकारी दे कि आपका सिबिल स्कोर अपडेट (cibill score update) कर दिया गया है तो सिबिल से अपना अपडेटेड स्कोर प्राप्त कर सकते है।