Pakistan उधार के तेल से उड़ा रहा फाइटर, ऐसी है कंगाली
नई दिल्ली। भारत से युद्ध के सपने देख रहा पाकिस्तान (Pakistan) फिलहाल उधार के तेल से अपने फाइटर उड़ा रहा है। इस वक्त पाकिस्तान की वित्तीय स्थिति ऐसी नहीं है वह विदेशों से तेल नगद पैसे देकर खरीद सके। उधार में यह तेल उसे सउदी अरब ने देने का वादा किया है। इसके अलावा उसे अपनी रोज की जरूरतों के आयात का बिल भरने के लिए भी कर्ज लेना पड़ रहा है। दुनिया भर के वित्तीय बाजार से इस वक्त पाकिस्तान (Pakistan) कटा हुआ है। इसका सबसे बड़ा पाकिस्तान से होने वाली टेरर फंडिंड है। इसी के चलते पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय संगठन फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने उसे 'ग्रे लिस्ट' बनाए रखने का फैसला किया है। यह फैसला पिछले शुक्रवार को पेरिस में हुई बैठक में लिया गया है। इसके बाद पाकिस्तान (Pakistan) को दुनिया के वित्तीय बाजार से कर्ज नहीं मिल पा रहा है और उसे सउदी अरब और चीन से भीख के रूप में पैसे मांगने पड़ रहे हैं।
कुछ ऐसी है पाकिस्तान की कंगाली की दशा
इमरान खान जब से पाकिस्तान (Pakistan) की कमान संभाली तब से वह या तो विदेशी दौरा करके भीख के रूप में पैसा मांग रहे हैं या सरकारी खर्चों में कटौती और प्रधानमंत्री कार्यालय की कारों और यहां तक की वहां पल रही भैसों को बेच रहे है। फिलहाल पाकिस्तान के पास पूरे दो महीने के आयात तक के लिए विदेशी मुद्रा भंडार (Pakistan Foreign Exchange Reserves) नहीं है। हालात यह हैं कि कर्ज उतारने के लिए भी पाकिस्तान (Pakistan) को कर्ज लेना पड़ रहा है। ऐसे कर्ज को पाकिस्तान सर्कुलर डेट बताता है।
डालें ट्रेड डेफिसिट पर एक नजर
पाकिस्तान (Pakistan) का ट्रेड डेफिसिट (Pakistan Trade Deficit) लगातार बढ़ता जा रहा है। पाकिस्तानी ट्रेड डेफिसिट (Pakistan Trade Deficit) जहां वित्तीय वर्ष 2014 में 16.6 बिलियन डॉलर का था, वह वित्तीय वर्ष 2018 में बढ़कर 31.2 बिलियन डॉलर का हो गया है। वित्तीय वर्ष 2014 में पाकिस्तान ने जहां केवल 24.8 बिलियन डॉलर का निर्यात किया था वहीं 56 बिलियन डॉलर का आयात किया था। जब किसी देश का आयात उसके निर्यात से ज्यादा हो जाता है तो उसे ट्रेड डेफिसिट कहा जाता है।
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ऐसे समझें आंकड़ों को
पाकिस्तान (Pakistan) हर माह करीब 5 अरब डॉलर का आयात करता है और करीब 2 अरब डॉलर का निर्यात करता है। इस प्रकार उसके पास हर माह अपने आयात बिल को चुकाने के लिए करीब 3 अरब डॉलर की अलग से जरूरत पड़ती है। वहीं पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में दिसंबर 2018 में 7.2 बिलियन डॉलर था। यानी अगर जनवरी और फरवरी का उसने आयात बिल चुका दिया है तो उसके पास मार्च में अपने आयात बिल को चुकाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
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पाकिस्तानी (Pakistan rupee) रुपया लगातार हो रहा कमजोर
पाकिस्तान (Pakistan) के विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर की कमी का सबसे खराब असर पाकिस्तानी रुपये पर पड़ रहा है। दिसंबर 2018 में डॉलर के मुकाबले यह गिरकर करीब 138.39 रुपये के स्तर पर आ गया है। वहीं भारत के रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले करीब 70 रुपये है। ऐसे में पाकिस्तान (Pakistan) के 1 रुपये की कीमत भारत की अठन्नी के बराबर रह गई है।
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पाकिस्तानी कर्ज की स्थिति
पाकिस्तान (Pakistan) पर कर्ज (debt on pakistan) का बोझ लगातार बढ़ता रहा है। पाकिस्तान सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार सितंबर 2017 में पाकिस्तान की जीडीपी का 75.2 फीसदी कर्ज (debt on pakistan) था, जिसमें से 26.2 फीसदी हिस्सा विदेशी कर्ज का था। कर्ज की यह स्थिति सितंबर 2018 में और भी बिगड़ गई है। इस दौरान पाकिस्तान पर जीडीपी की तुलना में 80.3 फीसदी कर्ज (debt on pakistan) था, जिसमें विदेशी कर्ज की हिस्सेदारी 31.2 फीसदी थी।
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भारत से तीन गुना ज्यादा महंगाई
भारत जहां करीब 3 फीसदी महंगाई (Inflation) की दर से ही परेशान है, वहीं पाकिस्तान (Pakistan) में यह करीब 10 फीसदी पर है। जनवरी 2019 में पाकिस्तान में कंज्यूमजर प्राइस इंडेक्स (CPI) की दर जहां 7.2 फीसदी थी वहीं होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) की दर करीब 9.9 फीसदी पर थी। इस महंगाई (Inflation) के चलते और आतंकवाद के चलते ही पाकिस्तान (Pakistan) में विदेशी निवेश नहीं आ पा रहा है, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।
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