Gold खरीदने का ये है सही तरीका, नहीं होगी धोखाधड़ी
नई दिल्ली। गोल्ड (gold) को लेकर दुनियाभर में महिलाओं का गजब का लगाव है। सरकार की लाख कोशिश के बाद भी देश में गोल्ड की बिक्री कम नहीं हो रही है, लेकिन जो भी इसे खरीदता है, उसे गोल्ड की चोरी का डर (Fear of Gold theft) सबसे ज्यादा होता है। ऐसे में जरूरी है महिलाएं गोल्ड की इस तरह खरीदारी (Buying gold) करें कि उनका यह डर जाता रहे। सोना में निवेश का एक तरीका ऐसा भी जिसे अपनाने से खरीदा गया सोना (gold) चोरी नहीं हो सकता है। इसके अलावा इस तरह की खरीदारी में धोखाधड़ी की आशंका भी नहीं रहती है।
गोल्ड से लगाव के कारण
दुनिया के इतिहास की जब से जानकारी है गोल्ड (gold) को महिलाओं का सबसे प्रिय वस्तु पाया गया है। जितनी भी ऐतिहासिक कलाकृतियां मिली हैं उनमें महिलाएं जेवरों के साथ ही दिखी हैं। यानी गोल्ड (gold) से लगाव का एतिहासिक कारण है, जो आज भी कायम है। वैसे तो पुरुष भी जेवर के शौकीन होते हैं, लेकिन महिलाओं के सामने वह कहीं नहीं टिकटे हैं।
क्या है सोना (gold) को खरीदने का यह तरीका (best way to buy gold)
आमतौर में गोल्ड में निवेश करने वालों को इस तरीके की अच्छी जानकारी होती है, लेकिन महिलाओं की इस तरीके की जानकारी नहीं होती है। गोल्ड को खरीदने का यह तरीका (best way to buy gold) गोल्ड ट्रेडेड फंड (Gold ETF) कहलाता है। गोल्ड ट्रेडेड फंड (Gold ETF) योजनाएं कई म्युचुअल फंड कंपनियां चलाती हैं। यहां पर एक बार में या थोड़ा थोड़ा करके गोल्ड खरीदने की छूट रहती है। महिलाएं चाहें तो सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) माध्यम हर माह निवेश करके कितना भी गोल्ड (gold) खरीद सकता है।
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कैसे काम करती है गोल्ड ट्रेडेड फंड (Gold ETF) स्कीम
गोल्ड ट्रेडेड फंड (Gold ETF) स्कीम में जितना भी पैसा लगता है उतने रुपये का गोल्ड उसके डीमैट अकाउंट में जारी कर दिया जाता है। यहां पर घटतौली का चक्कर नहीं होता है। अगर किसी ने 5 हजार रुपये का सोना (gold) खरीदा है तो उसे उस दिन के भाव के हिसाब से जितना भी गोल्ड (gold) 5 हजार रुपये में आएगा, उसे यूनिट के रूप में एलाट कर दिया जाएगा। इन्वेस्टर्स जैसे-जैसे गोल्ड ट्रेडेड फंड (Gold ETF) स्कीम में निवेश (investment) बढ़ाते जाते हैं, वैसे-वैसे उनकी गोल्ड की यूनिट बढ़ती जाती हैं। महिलाओं के लिए गोल्ड खरीदने का यह तरीका (best way to buy gold) सबसे अच्छा है।
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मार्केट रेट के हिसाब से बदलती रहती है वैल्यू
जैसे सुनारों की दुकान पर सोने (gold) का रेट बदलता रहता है उसी हिसाब से गोल्ड ट्रेडेड फंड (Gold ETF) में खरीदे गोल्ड की वैल्यू भी बदलती रहती है। गोल्ड ट्रेडेड फंड (Gold ETF) में निवेश के बाद महिलाएं जिस समय भी चाहे अपने निवेश की वैल्यू चेक कर सकती है। गोल्ड ट्रेडेड फंड (Gold ETF) में निवेशक को सुविधा होती है कि वह कभी भी अपना निवेश घटा या बढ़ा सकता है। इसके अलावा महिलाएं अगर चाहे तो अपना गोल्ड (gold) मार्केट टाइम में कभी भी बेच सकती है। यह पैसा महिला को तीसरे ट्रेडिंग डे पर मिल जाता है।
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भविष्य की जरूरत में आ सकता है काम
गोल्ड ट्रेडेड फंड (Gold ETF) में खरीदा गया गोल्ड भविष्य की घरेलू जरूरतों पर काम आ सकता है। इसमें शादियां या किसी अन्य समारोह के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। यह योजना उन महिलाओं के लिए बहुत अच्छी है जो एक साथ ज्यादा गोल्ड (gold) नहीं खरीद सकती हैं। यहां पर 500 या 1000 रुपए महीने का भी निवेश करके अच्छा खासा गोल्ड एकत्र किया जा सकता है।
सुरक्षित निवेश का विकल्प भी
च्वॉइस ब्रोकिंग के प्रेसीडेंट अजय केजरीवाल के अनुसार महिलाएं अपने निवेश को डायवर्सिफाइड करने के लिए भी गोल्ड (gold) में निवेश कर सकती हैं। उनके अनुसार निवेशक बॉड और स्टॉक मार्केट में निवेश के साथ गोल्ड में निवेश करके अपने पोर्टफोलियो को सुरक्षित बना सकते हैं। उन्होंने बताया कि 2008 के दौरान की मंदी और 2012 में यूरो जोन की दिक्कतों के वक्त निवेशकों ने सुरक्षित निवेश के लिए गोल्ड का सहारा लिया था।
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गोल्ड म्युचुअल फंड में सिप क्या है (What is SIP in gold mutual funds)
गोल्ड म्युचुअल फंड (gold mutual fund) में निवेश के एक तरीके को सिस्टेमेटिक प्लान (Sistmatic Investment Plan) यानी सिप (SIP) कहते हैं। सिप (SIP) में किसी म्यूच्यूअल फंड में एक निश्चित अंतराल पर लगातार निवेश किसा जाता है। दरअसल यह करीब करीब पोस्ट ऑफिस (Post office) की आरडी (RD) की तरह होता है। इस तरह का निवेश शेयर बाजार मे होने वाले उतार चढ़ाव का म्युचुअल फंड (mutual fund) पर पड़ने वाले निगेटिव प्रभाव को कम करता है और रिटर्न का बढ़ाने में मदद करता है।
सिप (SIP) से निवेश में आसानी
सिप (SIP) माध्यम से निवेश करने मैं बहुत ही आसानी है। इसमें निवेश करने के लिए आपको चुने गए म्युचुअल फंड (mutual fund) को अपने बैंक अकाउंट से लिंक करना होता है। इससे आपकी तरफ से तय की गई तारीख को आपकी तरफ से तय की गई रकम आपके बैंक अकाउंट से अपने आप ही कट कर म्युचुअल फंड कंपनी में चली जाती है। सिप (SIP) शुरू करने के बाद यह पूरा प्रोसेस अपने आप हर माह होता रहता है।
सिप (SIP) से घटता है निवेश का जोखिम
म्युचुअल फंड (mutual fund) में सिस्टेमेटिक प्लान (Sistmatic Investment Plan) यानी सिप (SIP) माध्यम से निवेश करने से जोखिम कम होता है और ज्यादा लाभ मिलने का चांस बढ़ जाता है। जब भी हम किसी म्युचुअल फंड में सिप (SIP) के माध्यम से निवेश करते हैं तो हमारा पैसा एक निश्चित अंतराल पर म्यूच्यूअल फंड (mutual fund) में निवेश होता है जो शेयर बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव के जोखिम को कम करता है। इसके अन्य फायदे जानते हैं
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छोटे रकम से निवेश
अगर आप के पास एकमुश्त रकम नहीं है तो सिप (SIP) की शुरुआत केवल 500 रुपये से भी हो सकती है। बाद में धीरे धीरे यही छोटी रकम एक दिन बड़ी रकम का रूप ले लेगी।
कम रिस्क
सिप (SIP) में एक निश्चित अंतराल पर रकम म्यूच्यूअल फंड (mutual fund) में डाली जाती है। इससे मार्केट में होने वाली है उतार-चढ़ाव मे होने वाले जोखिम को कम करता है। इसे समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं। मान लीजिए आपके पास 1,00000 रुपये निवेश करने के लिए है। और इस रकम को आप एक साथ निवेश ना करके आप इस रकम को 10,000-10,000 हजार रुपये की 10 किस्त में हर महीने जमा करते हैं यानी हर महीने 10,000 हजार रुपये का निवेश करते हैं। ऐसे में शेयर बाजार मे होने वाले उतार चढ़ाव को एवरेज करने का मौका आपको 10 बार मिलेगा, जो आपका रिस्क कम कर देगा।
(नोट-निवेश सलाह ब्रोकरेज हाउस और मार्केट एक्सपर्ट्स के द्वारा दी गई हैं। कृपया अपने स्तर पर या अपने एक्सपर्ट्स के जरिए किसी भी तरह की सलाह की जांच कर लें। मार्केट में निवेश के अपने जोखिम हैं, इसलिए सतर्कता जरूरी है।)
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